—8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
सोनभद्र। 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है ,जिस पर पूरे विश्व में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्य एवं सोच को आगे बढ़ाया जाता है । महिला सशक्तिकरण की बात महिलाओं के सम्मान को बढ़ा कर ही किया जा सकता है। भारत की आबादी की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गांव में रहती है तो मतलब 35 प्रतिशत महिला आबादी गांव में है जिसका सशक्तिकरण जरूरी है। लेकिन किसी ऐसे महिला को सशक्त नही कहा जा सकता जिसको समाज में या घर में सम्मान न दिया जाय और वह अग्रणी बने तथा सुबह और शाम को खुले में शौच करने जाए। भारत में सही मायने में महिलाओं का सशक्तिकरण स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) के उद्देश्य को पूर्ण कर के हुआ।
जो महिलाएं, बच्चियां खुले में शौच जाति थी उस समय लोगो के वहा से गुजरने से वह अपने आत्म सम्मान में चाह कर भी वृद्धि नही कर पा रही थी। सही मायने में ऐसे पुरानी परंपराओं और सोच के महिलाओं का सशक्तिकरण नही किया जा सकता जिसको हम नित्य दैनिक कार्य (शौच) करने के लिए लोटा थमा कर खुले में भेज दें। सही मायने में ग्रामीण क्षेत्रों में जब शौचालय का निर्माण हुआ और घर की महिलाए उसका प्रयोग करने लगी तो उनके सम्मान में वृद्धि हुई सम्मान के साथ ही उनके आत्म सम्मान में भी वृद्धि हुई।
ग्रामीण क्षेत्रों में सीएलटीएस के द्वारा पहली बार सरकार ने कोई ऐसा प्रयोग किया जिसमे महिलाए घर के चौखट के बाहर निकल कर अपने लिए और अपने बच्चियों के लिए मन में एक लक्ष्य बनाई और उसको प्राप्त किया। महिला सशक्तिकरण का कार्य स्वच्छ भारत मिशन के द्वारा शुरू किया गया उसका इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है की आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा शौचालय का नाम *इज्जत घर* किया गया।
शौचालय निर्माण में सुबह निगरानी टीम बनी जिसमे सबसे ज्यादा सहयोग और सहभागिता महिलाओं की थी। आज स्वच्छ भारत के कई नए आयाम बचे है जिसको हम महिलाओं के सशक्तिकरण से जोड़ कर पूरा कर सकते है। क्योंकि सफाई को अपने आयाम तक पहुंचने में महिलाए ही अग्रणी है।
अनिल केशरी
डीसी,
स्वच्छ भारत मिशन
सोनभद्र