आस्था का महापर्व छठ पूजा आज यानी शुक्रवार को शुरू हो गया. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पष्ठी तिथि पर छठ पूजा मनाई जाती है. इस पर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 31 अक्टूबर को होगा.
सोनभद्र : लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय के साथ शुक्रवार को शुरू हो रहा है. समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 31 अक्टूबर को होगा. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूरज की अर्ध्य और चौथे दिन उगते अर्घ्य देते हुए समापन होता है. छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पष्ठी तिथि पर छठ पूजा मनाई जाती है.
नहाय खाय का शाब्दिक मतलब होता है स्नान करके भोजन करना. वैसे तो धार्मिक दृष्टि से हर दिन स्नान करके ही भोजन करने के लिए कहा गया है, लेकिन छठ के नहाय खाय में व्रती नदियों और तालाब में स्नान करके स्वयं अपने हाथों से अरबा चाल यानी कच्चा चावल का भात बनाते हैं और फिर कद्दू जिसे लौकी और घीया भी कहा जाता है. उसकी सब्जी बनाते हैं फिर सरसों के साग को भी पवित्रता पूर्वक पकाते हैं. इन्हीं को भोजन रूप में मात्र एक बार ग्रहण करते हैं.
आस्था का महापर्व छठ पूजा पंडित सत्येन्द्र पाण्डेय बताते हैं कि नहाय खाय का संबंध मूल रूप से शुद्धता से है. व्रती अपने आप को सात्विक और पवित्र करके छठ मैया के सामने उपस्थित हों इसलिए पवित्रता और आत्मशुद्धि के लिए छठ पर्व के पहले दिन यानी नहाय खाय के दिन स्नान करके एक समय नमक वाला भोजन करते हैं. फिर अगले दिन खरना को नमक का त्याग करके एक समय मीठा भोजन करते हैं, जो गुड़ में बना होता है. फिर तीसरे दिन निर्जल होकर व्रत करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ का पर्व पूर्ण होता है. किसी भी और पर्व में पवित्रता पर इतना जोर नहीं दिया गया है जितना की छठ पर्व में दिया गया है. इसलिए इस पर्व को बहुत ही कठिन माना जाता है.
छठ पर्व कार्यक्रम तिथियां
पहला दिन नहाय खाय 28 अक्टूबर
दूसरा दिन खरना 29 अक्टूबर
तीसरा दिन संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर
चौथा दिन उगते सूरज को अर्घ्य 31 अक्टूबर