पांच राज्यों में करारी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के इस्तीफे की अटकलों को कांग्रेस ने सिरे से खारिज किया है. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ये पूरी तरह से गलत है.
नई दिल्ली । कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को उन खबरों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए रविवार को इस्तीफा देने जा रही हैं.
कांग्रेस का ये बयान तब आया है जब एक समाचार चैनल ने दावा किया कि ‘तीनों गांधी कल कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अपना इस्तीफा देंगे’. बैठक रविवार शाम 4 बजे दिल्ली में पार्टी कार्यालय में होगी. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इन रिपोर्टों को ‘पूरी तरह से अनुचित, शरारतपूर्ण और गलत’ कहा.
आया है जब एक समाचार चैनल ने दावा किया कि ‘तीनों गांधी कल कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अपना इस्तीफा देंगे’. बैठक रविवार शाम 4 बजे दिल्ली में पार्टी कार्यालय में होगी. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इन रिपोर्टों को ‘पूरी तरह से अनुचित, शरारतपूर्ण और गलत’ कहा.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘एनडीटीवी पर अज्ञात स्रोतों के आधार पर कथित इस्तीफे की खबर पूरी तरह से अनुचित, शरारती और गलत है.’ सुरजेवाला ने कहा, ‘एक टीवी चैनल के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के कहने पर काल्पनिक स्रोतों से निकलने वाली ऐसी निराधार प्रचार कहानियों को प्रसारित करना अनुचित है.’
गौरतलब है कि शुक्रवार को G23 नेताओं की बैठक वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई थी. ये वहीं नेता हैं जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर और नेतृत्व परिवर्तन से लेकर संगठनात्मक बदलावों की मांग कर की थी.
चर्चा है कि शुक्रवार की बैठक में तय किया जा रहा था कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व की भूमिका पर भी सवाल उठाए जाएंगे और वे संगठनात्मक चुनाव को गति देने की अपनी मांग दोहराएंगे.
दरअसल कांग्रेस पंजाब में महज कुछ साल पुरानी पार्टी आप के साथ चुनावी लड़ाई हार गई है. उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में वह भाजपा को चुनौती देने में भी विफल रही है. पार्टी के लिए और चिंता की बात यह है कि वह अब केवल दो राज्यों यानी छत्तीसगढ़ और राजस्थान तक सिमट कर रह गई है.