वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ खाताधारकों के लिए 8.10 प्रतिशत ब्याज दर की सिफारिश की है, जो 40 सालों में सबसे कम माना जा रहा है। ईपीएफओ की न्यासी बोर्ड में यह फैसला लिया गया है। अंतिम मोहर वित्त मंत्रालय लगाएगा।
नई दिल्ली । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) के बैठक में ब्याज दर को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। इस फैसले से कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। बोर्ड के दो सदस्यों द्वारा द इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी दी गई कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ खाताधारकों के लिए 8.10 प्रतिशत ब्याज दर की सिफारिश की है, जो चार दशकों में सबसे कम कहा जा रहा है।
वहीं ईपीएफओ बोर्ड ने पिछले साल मार्च में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश को अंतिम रूप दिया था। हालाकि इससे पहले ईपीएफओ ने लोगों के वित्तीय संसाधनों पर कोविड के प्रभाव के मद्देनजर पर्याप्त निकासी के बावजूद, 2020-21 के लिए पीएफ जमा पर ब्याज दर बिना परिवर्तन के 8.5 प्रतिशत ही रखा था और यही 2019-20 में भी था।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कोविड -19 महामारी के बाद उच्च निकासी और कम योगदान हुआ था। 31 दिसंबर तक EPFO ने अग्रिम सुविधा के तहत प्रदान किए गए 14,310.21 करोड़ रुपये के 56.79 लाख दावों का निपटारा किया था।
वहीं पिछले कुछ सालों में वित्त मंत्रालय की ओर से ईपीएफओं के ब्याज दर को कम करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है और ब्याज दर को 8 प्रतिशत से नीचे लाने की बात कही जा रही है। इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने आईएल एंड एफएस और इसी तरह की जोखिम वाली संस्थाओं के लिए 2019-20 की ब्याज दर और 2018-19 की ब्याज दर 8.65 प्रतिशत पर सवाल खड़े किए थे।
हालाकि गिरावट के बाद भी पीएफ की ब्याज दर अन्य बचत खातों से अधिक बनी हुई है। बचत योजनाएं 4 से लेकर 7.6 प्रतिशत का ही रिटर्न देती हैं। बता दें कि ब्याज दर की सिफारिश, केंद्रीय श्रम मंत्री की अध्यक्षता में, नियोक्ताओं व कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ सीबीटी की बैठक में लिया जाता है। इसके बाद वित्त मंत्रालय द्वारा इसपर अंतिम रूप दिया जाता है।