Thursday, April 25, 2024
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यहां ‘ कोडवर्ड ‘(इंट्री) का खेल हुआ फिर से प्रारंभ,ओवरलोड ट्रकें वाहन पास कराने वाले ( पासर) के सहारे पास होती है

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सोनभद्र। कुछ सफेदपोश लोगो के इशारे पर रात के अंधेरे में ओवरलोड ट्रकें पार कराकर योगी सरकार के खजाने को जहाँ एक तरफ प्रतिमाह लाखों का चूना लगाया जा रहा है वहीँ दूसरी तरफ जिस विभाग के कंधे पर ओभरलोड रोकने की जिम्मेदारी है उसके अफसर भी मालामाल हो रहे हैं । महज एक कोडवर्ड के जरिए हर रात 300 से 400 ओवरलोड ट्रकें जिले की सीमा से निकाली जा रही हैं । इसके लिए वाहन पास कराने वालों को माध्यम बनाया गया है ।मिली जानकारी के मुताबिक इस कार्य में मारकुंडी एरिया के एक प्राइवेट व्यक्ति के जरिए इंट्री ( सुविधा शुल्क ) भी वसूले जाने की चर्चा- ए- आम है । रात के अंधेरे में चलने वाले इस खेल की भनक सामान्य व्यक्ति को न लगने पाए , इसके लिए प्रतिमाह एक नए कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है और इसी कोड वर्ड के जरिए बिना किसी रोक – टोक के ओवरलोड वाहन आसानी से जिले की सीमा से निकल जाते हैं ।

नाम न छापने की शर्त पर कई वाहन संचालक बताते हैं कि बिना किसी रोक – टोक के ओवरलोड एवं बगैर परमिट वाले वाहनों के संचालन के लिए पहले वाहन पास अर्थात पासर जो ट्रक मालिक व साहब के बीच की कड़ी होता है, से संबंध बनाना पड़ता है । वहां से उस प् प्राइवेट व्यक्ति का नंबर मिलता है जो साहब का करीबी है और जिसके माध्यम से आप को कोडवर्ड मिलेगा । इसके बाद उससे संपर्क कर गाड़ी का नंबर नोट कराने के साथ एक निश्चित रकम अदा करनी पड़ती है । रकम अदा करने के बाद वाहन चालक को या उसके स्वामी को एक कोडवर्ड दिया जाता है । आगे बढ़ने पर जिले की सीमा में जहां पर गाड़ी रोकी जाती है , वहां उस कोड वर्ड ( codeword ) को बता देना होता है । गाड़ी रोकने वाला विभागीय व्यक्ति अपने मोबाइल से उस कोडवर्ड ( codeword ) के जरिए वाहन संख्या का मिलान करता है । इसके बाद यदि कोडवर्ड सही है तो बिना कुछ पूछे वाहन आगे बढ़ाने इशारा दे दिया जाता है । कहीं कोई रिकॉर्ड न रहने पाए , इसके लिए इस खेल से जुड़े लोग सामान्य तरीके से एक दूसरे को फोन काल करने की बजाए , वाट्सएप काल का सहारा लेते हैं ।

इस खेल से जुड़े लोगों पर आधारित चर्चाओं पर ऐतबार करें तो रात के 11 बजे से भोर के चार बजे तक इंट्री वाले वाहनों को पास कराने का खेल चलता है । रास्ते में कहीं कोई दिक्कत न आने पाए , इसके लिए वाहन पास करने वाले अर्थात पासर के माध्यम से अधिकारियों का लोकेशन लिया जाता है । इसके बाद वाहन आगे बढ़ाने की हरी झंडी दे दी जाती है । दिन में ओभरलोड या बिना परमिट की बालू गिट्टी लदे ओवरलोड वाहन चोपन से पटवध के बीच खड़े कर दिए जाते हैं । रात गहराते ही वह धीरे – धीरे मारकुंडी की तरफ बढ़ने लगते हैं । मारकुंडी में मौजूद इंट्री टीम की तरफ से इशारा मिलते ही वाहन मारकुंडी पहाड़ी चढ़ते हुए आगे के लिए निकल लेते हैं

गिट्टी परिवहन में लगे कई ट्रक संचालकों का आरोप है कि ओवरलोड परिवहन पर जिस तरह से सख्ती दिखाई जाती है अगर उसी तरह की सख्ती मानक से अधिक गिट्टी लोडिंग करने वाले क्रशर पर ही दिखा दी जाए तो यह नौबत ही ना आए । सोनांचल ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल किशोर सिंह बताते हैं कि सितंबर माह में ओवरलोड में 297 गाड़ियों का चालान किया गया । वाहनों को रिलीज करते वक्त खान विभाग ने वाहन संचालकों से किस क्रशर प्लांट से गिट्टी लोड की गई , इसका शपथ पत्र भी लिया गया था ।एसोसिएशन से पूर्व में हुए समझौते में यह बात तय हुई थी कि ओवरलोड  या बगैर परमिट में जो भी वाहन पकड़े जाएंगे उन पर गिट्टी लोड करने वाले क्रशर प्लांटों पर भी कार्रवाई की जाएगी लेकिन महज चार वाहनों के मामले में कार्रवाई की गई । शेष की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई ।

उन्होंने आगे बताया कि ओभरलोड से सरकारी राजस्व का भी नुकसान होता है।एम एम 11 अर्थात परमिट भी उतने की ही जारी होती है जितना लोड नियमानुसार पास रहता है । उससे ज्यादा मात्रा की गिट्टी बिना किसी रॉयल्टी की अदायगी के ही ले जाई जाती है । जैसे किसी ट्रक पर नियमानुसार 18 घनफीट तक गिट्टी – बालू लोड की जाती है तो सरकार के खाते में रॉयल्टी उतने की ही जमा होगी । उससे ज्यादा लोड की गई गिट्टी बालू का परिवहन बगैर किसी परमिट या रॉयल्टी के ही किया जाएगा । इसका सीधा मतलब है मानक से अधिक जितना भी गिट्टी – बालू का परिवहन होगा , उतना सरकार को राजस्व का चूना लगता जाएगा

लोगों की मानें तो अगर आप इंट्री के सिस्टम में हैं तो आपके वाहन के लिए सब कुछ ओके है । अगर आप इसमें नहीं है तो अंडर लोड वाहन भी चालान के शिकार हो जा रहे हैं । सोनांचल ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल किशोर सिंह कहते हैं कि इंट्री का सिस्टम तो बना ही है , अन्य तरीके से भी वाहन संचालकों को परेशान किया जा रहा है । इसको लेकर वह खान अधिकारी और डीएम से मुलाकात भी कर चुके हैं । बावजूद अभी तक वाहन चालकों को गलत कार्रवाई से निजात नहीं मिल पा रही । इस बारे में विभागीय पक्ष जानने के लिए एआरटीओ प्रवर्तन पीके राय से संपर्क का प्रयास किया गया तो उनका सीयूजी नंबर देर तक कवरेज एरिया से बाहर मिला । उनके व्यक्तिगत नंबर पर संपर्क किया गया तो इस मामले की चर्चा करते ही उन्होंने चुप्पी साध ली । दोबारा फोन करने पर उनका फोन व्यस्त बताने लगा । वहीं खान अधिकारी जेपी दुबे का फोन व्यस्त बताता रहा ।

 

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