Saturday, April 20, 2024
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हथियार जैसा इस्तेमाल किया जा रहा है मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट : सीजेआई रमना

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ईडी की कार्रवाई पर विपक्षी दल सवाल उठाते रहे और वे केंद्र के इशारे पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप लगाते रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को तगड़ा झटका दिया है।

नई दिल्ली । क्या मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट का इस्तेमाल ग़लत तरीक़े से किया जा रहा है? भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने आज प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को जो चेतावनी दी है उससे तो कम से कम ऐसा ही लगता है। उन्होंने ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग को नियंत्रित करने के लिए क़ानून के अंधाधुंध उपयोग के ख़िलाफ़ चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे तो क़ानून अपनी धार खो देगा।

मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि क़ानून को वर्तमान में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहाँ तक ​​​​कि उन मामलों में भी जहां छोटी मात्रा में रुपये शामिल है। सीजेआई रमना ने कहा, ‘आप सभी लोगों को सलाखों के पीछे नहीं डाल सकते। आपको इसका उचित उपयोग करना होगा’।

अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब वह मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दो मामलों में सुनवाई कर रही थी। पीएमएलए पर एक मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई रमना ने कहा, ‘आप अधिनियम (धन शोधन निवारण अधिनियम) को कमजोर कर रहे हैं। केवल इस मामले में नहीं। यदि आप इसे 10,000 रुपये के मामले और 100 रुपये के मामले में हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू करते हैं, तो क्या होगा?’ 

सीजेआई रमना ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘यदि आप इसे हर मामले में इस्तेमाल करना चाहते हैं तो यह काम नहीं करता है। यह इस तरह से काम नहीं करता है।’

“यदि आप (ईडी) अंधाधुंध रूप से पीएमएलए का उपयोग करते हैं तो यह अपनी प्रासंगिकता खो देगा।’ जस्टिस एएस बोपन्ना


जस्टिस एनवी रमना, एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की तीन न्यायाधीशों की बेंच केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। इसमें पीएमएलए के तहत आरोपी नरेंद्र कुमार पटेल को अग्रिम जमानत देने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

एक टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में पीएमएलए के तहत जनवरी में मेसर्स जय अम्बे गौरी केम लिमिटेड के निदेशक पटेल को गिरफ्तार किया था।

अदालत द्वारा सुना जा रहा दूसरा मामला उषा मार्टिन लिमिटेड नामक एक फर्म द्वारा दायर की गई अपील थी, जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। उसने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। पीएमएलए के तहत दर्ज एक मामले में फर्म के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी गई थी और फर्म को तलब किया गया था।

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