Saturday, April 27, 2024
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एक साथ 38 को फाँसी की सजा ,आखिर माजरा क्या था ?

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अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। 11 अन्य को आजीवन कारावास। इस तरह अपनी तरह का यह एक अलग ही मामला है। आख़िर यह ऐसा क्या मामला था कि इस तरह का ऐतिहासिक फ़ैसला आया है?

आज से 14 साल पहले की बात है। यह साल 2008 था। 26 जुलाई का दिन था। गुजरात का अहमदाबाद शहर दहल गया था। 70 मिनट में एक के बाद एक 22 धमाके हुए थे। 

अहमदाबाद । 26 जुलाई को अहमदाबाद के मणिनगर में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पहला बम धमाका हुआ था। मणिनगर उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसक्षा क्षेत्र था। इसके बाद एक घंटे से ज़्यादा समय तक एक के बाद एक धमाके होते रहे। चारों तरफ़ तबाही का मंजर था।

कोई ऐसी जगह नहीं थी जहाँ विस्फोट नहीं हुआ हो। बसों से लेकर पार्किंग, सिविल अस्पताल, नगर निगम का अस्पताल तक। हर जगह धमाके हुए थे। कम से कम 56 लोगों की मौत हुई थी। 200 से ज़्यादा घायल हुए थे।

 किन जगहों पर हुए धमाके?

सबसे पहला धमाका मणिनगर में हुआ था। इसके बाद अन्य जगहों पर ये धमाके हुए। इन जगहों में ठक्कर बापा नगर, जवाहर चौक, अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल, ट्रॉमा सेंटर, नरोल, सरखेज, खडिया, रायपुर, सारंगपुर, एलजी अस्‍पताल, हाटकेश्वर सर्कल, बापूनगर, गोविंदवाड़ी, इसानपुर आदि शामिल थे। आतंकियों ने टिफिन में बम रखकर उसे साइकिल पर रख दिया था। भीड़ भाड़ और बाज़ार वाली जगहों पर ये धमाके हुए थे।

 इन धमाकों के बाद भी गुजरात के अन्‍य शहरों समेत केरल, राजस्‍थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, नई दिल्‍ली में धमाके करने की धमकियां आती रही थीं।

धमाकों के लिए दोषी कौन ?

कथित तौर पर ये बम धमाके इंडियन मुजाहिदीन यानी आईएम ने 2002 में गोधरा कांड का बदला लेने के लिए किए थे। पुलिस ने दावा किया था कि इन धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी से जुड़े आतंकी शामिल थे।

 इन सीरियल धमाकों के मामले में अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 एफ़आईआर दर्ज की गई थीं। दिसंबर 2009 से सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी 35 एफ़आईआर को एक कर दिया। कुल 78 आरोपी थे। एक सरकारी गवाह बन गया। बाद में 77 आरोपियों पर केस चला।

गुजरात की एक विशेष अदालत ने इस मामले में 8 फरवरी 2022 को 49 लोगों को दोषी करार देते हुए 38 को मृत्यु दण्ड और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाया। आरोपी रहे 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। इस मामले में 1,163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। 6 हजार से ज़्यादा सबूत पेश हुए। विशेष अदालत के जज अंबालाल पटेल ने 6 हज़ार से ज़्यादा पन्नों का फ़ैसला सुनाया।

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