सोनभद्र । एक तरफ यूपी सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में ऑपरेशन कायाकल्प के तहत परिषदीय स्कूलों में करोड़ों का बजट पानी की तरह खर्च कर तस्वीर बदलने का दावा कर रहा है वहीं दूसरी तरफ दूसरी तरफ परिषदीय विद्यालय प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेलने को विवश है।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक नंदकिशोर ने बताया कि “उनकी बच्चों को इस भवन में पढ़ाने की मजबूरी है। विद्यायल के नए भवन को लेकर उन्होंने ग्राम प्रधान समेत शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बार-बार गुहार लगा रहे है लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। पंचायत विभाग के मजदूरों को रहने के लिए विद्यालय देने के सवाल पर प्रधानाध्यापक ने कहा कि इन्हें भवन खाली करने के लिए ग्राम प्रधान को कह दिया गया है।”
वहीं पूर्व माध्यमिक विद्यालय पुरैनिया में बच्चे पानी के अभाव में रहने को मजबूर हैं। पूर्व प्रधान के द्वारा विद्यालय में समर्सिबल की व्यवस्था जरूर करायी गयी थी लेकिन चोरों द्वारा उसे चोरी कर लिया गया जिसके बाद से ग्राम प्रधान बजट का हवाला देते हुए अब तक पानी की व्यवस्था नहीं करा सके हैं। हालांकि पूर्व में कायाकल्प योजना के तहत विद्यालय में बड़ी सी बाउंड्री तो बनवा दी गयी लेकिन गेट नहीं लगवाया गया। वहीं विद्यालय की छत, दरवाजे, खिड़कियों तथा पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई जिससे विद्यालय कंक्रीट का ढांचा दिखता है।
पूरे मामले पर सहायक अध्यापक अंशुमान देव पांडेय ने बताया कि “विद्यालय में कायाकल्प के नाम पर मात्र यह बड़ी बाउंड्री का निर्माण कराया गया है। थोड़ी दूर से पानी की व्यवस्था की गई है, भीषण गर्मी में बच्चों समेत अध्यापकों को भी पानी के बगैर दिक्कत का सामना करना पड़ता है।”
वहीं बीएसए हरिवंश कुमार ने पूरे मामले पर कहा कि “वह जल्द ही मौके का निरीक्षण करेंगे और पंचायत विभाग से समन्वय स्थापित कर विद्यालय के कायाकल्प और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु प्रयास करेंगे।”
सरकार की तमाम योजनाएं अभिलेखों तक ही सीमित रह गई हैं। आलीशान कार्यालयों में एसी मशीन लगाकर ठंडी हवा खाने वाले अधिकारियों को परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं है। यदि इन जर्जर भवनों में पढ़ाई कर रहे छात्र व इनका भविष्य सवांर रहे अध्यापक किसी हादसे का शिकार हो जाते हैं तो इसकी जवाब देही किसकी होगी लेकिन फिर भी बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालयों के जर्जर भवन को ठीक कराए जाने की ओर पहल नहीं हो रही है, केंद्र और राज्य सरकार की कायाकल्प योजना ग्राम पंचायत की फाइलों में दब कर रह गयी है।