Sunday, May 19, 2024
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स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा बनेगा चुनावीं मुद्दा – युवा मंच

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जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को लेकर सीएम को लिखा पत्र

सोनभद्र । जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर युवा मंच ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गहरी चिंता जताई ।

युवा मंच ने जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के सवाल को चुनाव में राजनीतिक विमर्श में लाने के लिए लोगों से संवाद व जनसंपर्क अभियान संचालित करने का निर्णय पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया । इसमें युवा मंच प्रदेश संयोजक राजेश सचान भी मौजूद रहे। इसकी जानकारी युवा मंच जिलाध्यक्ष रूबी सिंह गोंड, सविता गोंड व सुगवंती गोंड ने प्रेस बयान में दी।

बताया कि युवा मंच की ओर से मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के माध्यम से सीएम के संज्ञान में लाया गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए न्यूनतम मानदंड के हिसाब से कम से कम चार चिकित्सा विशेषज्ञ जिसमें सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ के अलावा 21 पैरामेडिकल और अन्य कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जाना आवश्यक है।

इसमें एक ओटी, एक्स-रे, लेबर रूम और प्रयोगशाला सुविधाओं के साथ 30 इन-डोर बेड हैं। लेकिन इस न्यूनतम मानक के सापेक्ष शायद ही एक चौथाई इंफ्रास्ट्रक्चर और विशेषज्ञ डाक्टर हों। बड़ी संख्या में चिकित्सकों के रिक्त पदों को भी नहीं भरा जा रहा है। रेनूकूट व ओबरा जैसे बड़े औद्योगिक केन्द्र में स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत संचालित सरकारी अस्पताल तक नहीं है।

इन स्वास्थ्य केंद्रों में ईसीजी, एक्स रे , एलएफटी, केएफटी, डेंगू जैसी जांचें अमूमन नहीं होती। यहां तक कि अनपरा नगर पंचायत स्थित संयुक्त चिकित्सालय रेफरल अस्पताल के बतौर है। अमूमन यही स्थिति सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की है। मुख्यालय स्थित संयुक्त चिकित्सालय को छोड़कर कहीं पर भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। म्योरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में युवा मंच पदाधिकारियों को बताया गया कि वर्षों से आधुनिक किस्म की एक्स रे मशीन है लेकिन टेक्नीशियन के अभाव में बेकार पड़ी हुई है।

हालत यह है कि मुख्यालय स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में अरसे से रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। आदिवासी व पठारी क्षेत्रों के लिए निर्धारित मानक 80 हजार आबादी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए लेकिन सोनभद्र में इससे काफी ज्यादा आबादी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के अंतर्गत है।

मांग की गई कि सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों समेत अन्य अस्पतालों में सरकार द्वारा तय मानक के अनुरूप चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाए, पर्याप्त संख्या में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएं और सरकार द्वारा निर्धारित सभी जांच व दवाएं मुहैया कराई जाएं।

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