Thursday, May 9, 2024
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सीएमओ कर रहे धुआंधार जिले के अस्पतालों के जाँच, आखिर इसके बाद भी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था क्यूँ है बेपटरी ?

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सीएमओ के साथ जांच में लगे लोगों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में।स्वास्थ्य महकमें में यह सुपर सीएमओ की पदवी से विभूषित हैं।

सीएमओ के साथ लगातार जांच में लगे इन लोगों के मूल काम को कौन दे रहा अंजाम ?क्या स्वास्थ्य विभाग में इनकी नियुक्ति सीएमओ की जांच में सहयोग के लिए हुई है ? अथवा स्वास्थ्य विभाग को केवल यह संदेश देने का प्रयास है कि यहाँ बिना हमारे पत्ता भी नही हिलता।

Sonbhadra news (सोनभद्र)।उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पास प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की कमान भी है और वह लगातार प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पसीना बहाते नजर आ रहे हैं।उपमुख्यमंत्री लगातार जिलों का दौरा कर यह जांचने का प्रयास करने में लगे हैं कि कहां समस्या है और उसके समाधान का उचित प्रयास भी कर रहे हैं।इसके बावजूद भी कभी कभी कहीं कहीं से कुछ ऐसी खबरें आ ही जाती हैं जिसको देखकर लगता है कि कुछ लोग उपमुख्यमंत्री/ स्वास्थ मंत्री की मेहनत पर पानी फेरने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रहने देना चाहते।

यहां आपको बताते चलें कि सोनभद्र आदिवासी बहुल जनपद है जहां के गरीब आदिवासी समुदाय के लोग इन्हीं सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं ऐसे में यदि सोनभद्र के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बेपटरी हुई तो सबसे अधिक नुकसान इन गरीब लोगों को ही उठाना पड़ सकता है।परन्तु सोनभद्र की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पैनी नज़र रखने वालों की मानें तो सोनभद्र की स्वास्थ्य विभाग के मुखिया अर्थात सीएमओ के इर्द गिर्द कुछ ऐसे लोगों ने ऐसा कब्जा जमा लिया है जिसे छेद पाना किसी के लिए आसान नहीं है।उन लोगों का यह भी कहना है कि जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया अपने इन्हीं नवरत्नों की नजर से ही स्वास्थ्य विभाग को देखते हैं और यही लोग जो चाहते हैं वही दिखाई देता है और जिसे यह लोग छिपाना चाहते हैं वह छिप जाता है। ऐसी हालत में जिले के स्वास्थ्य विभाग में यह धारणा आम हो गयी है कि सीएमओ के इर्द गिर्द रहने वाले कुछ लोगों को सुपर सीएमओ की पदवी दे दी गई है और स्वास्थ्य विभाग में कोई भी काम हो तो इन सुपर सीएमओ से मिल लीजिए आप का काम हो जाएगा अर्थात सोनभद्र के स्वास्थ्य विभाग में द्वैध शासन प्रणाली लागू है।यही वजह है कि बिना उत्तरदायित्व के कुछ लोग जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को चला रहे हैं जिसका परिणाम है कि जिले के अधिकतर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केवल रेफरल सेंटर के रूप में कार्य कर रहे हैं और इन पर नियंत्रण रखने वाले लोगों ने इन सब की तरफ से आंख मूंद रखी है।

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यहां आपको बताते चलें कि कुछ दिनों से सोशल साइट्स पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें जिले के सीएमओ के साथ कुछ लोग किसी सीएससी अथवा पीएसी की जांच में गए हैं जिसे देखकर यही कहा जा सकता है कि सीएमओ से अधिक पूछताछ यही सुपर सीएमओ टाइप के लोग कर रहे हैं।उक्त वायरल वीडियो की सत्यता/ असत्यता की पुष्टि फिलहाल विंध्यलीडर नहीं करता परन्तु उक्त वीडियो को देखकर यह सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्गति आखिर क्यूँ हो रही है।जब बिना उत्तरदायित्व के यह लोग अपना मूल काम जिसके लिए इनकी स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति हुई है छोड़कर सुपर सीएमओ बन जांच में लग गए हैं तो स्वास्थ्य व्यवस्था को बेपटरी होने से आखिर कौन रोक सकता है।

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