किसान नेताओं से उनकी समस्या जाने बिना तथा पत्रकारों को जबाब दिए बिना कार में बैठ निकल लिए।
क्रय केंद्र पर उपस्थित किसान व किसान नेता क्रय केंद्र प्रभारियों व मिलरों की मिलीभगत से किये जा रहे किसानों के शोषण पर नोडल से वार्ता करने का कर रहे थे प्रयास पर धान खरीद के नोडल चाय पानी कर गाड़ी में बैठे व खिसक लिए।
सोनभद्र। विधानसभा चुनाव अपने चरम पर है और किसानों की समस्याओं के निदान के लिए हर पार्टी मंच से दम्भ भी भर रही है।यहां तक कि अभी तक जिन भी पार्टियों ने घोषणा पत्र जारी किया है उनसे यही लगता है कि पार्टी चाहे जो भी हो यही दिखाने की कोशिश की गई है किसान व उनकी समस्या उनके एजेंडे में प्रमुख स्थान रखते हैं।पर यह तो हुई विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र की बात पर असली हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है।
धरातल पर यदि किसानों की समस्याओं पर सरकारी मशीनरी थोड़ा भी संजीदगी से कार्य करती तो किसानों की इतनी दुर्दशा न हो रही होती।वर्तमान साल चुनावी वर्ष है इसके बावजूद भी किसान को अपनी उपज (धान) बेचने के लिए जिस तरह से अधिकारियों व मिलरों के कॉकस से जूझना पड़ रहा है उसकी एक बानगी आज उस समय देखने को मिली जब मंडी परिसर स्थित भारतीय खाद्य निगम के क्रय केंद्र पर लखनऊ से धान खरीद के नोडल अधिकारी जांच को पहुंचे।
वहां उपस्थित किसानों ने उनसे शिकायत की कि उक्त क्रय केंद्र पर नियमानुसार 40 किलो की जगह प्रति बोरी 500 ग्राम अधिक मात्रा में धान की तौल की जा रही है।किसानों की शिकायत के बाद वहां उपस्थित किसान नेताओं व पत्र प्रतिनिधियों के समक्ष जब नोडल अधिकारी ने उक्त क्रय केंद्र पर पूर्व में तौल की गई धान की बोरियों में से रेंडमली कुछ बोरों की अपने सामने तौल कराई तो किसी बोरी का वजन 41 किलो 200 ग्राम तो किसी का 41 किलो 150 ग्राम निकला।
यहां आपको बताते चलें कि नियमानुसार एक बोरी में 40 किलोग्राम धान की तौल की जानी है अब उसमें यदि बोरी का वजन भी मिला लिया जाय तो धान सहित बोरे का वजन 40.600 किलोग्राम होना चाहिए क्योंकि बोरे का वजन 600 ग्राम होता है।ऐसे में जब धान खरीद के प्रदेश सरकार के नोडल के सामने किसानों की शिकायत सही पाई गई और उन्होंने अपने सामने जब पुरानी धान खरीदी गई बोरियों की तौल कराई तो उन बोरियों में (41.200-40.600) अर्थात 600 ग्राम प्रति बोरी अधिक मात्रा में धान पाया गया।
इससे यह तो साफ है कि धान क्रय केंद्र प्रभारी व मिलरों के बीच कोई न कोई दुरभि संधि अवश्य ही है और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। अब सवाल यह भी है कि जब धान खरीद के प्रदेश सरकार के सबसे बड़े अफसर की जांच में यह बात साफ हो गई कि प्रति बोरी 500 ग्राम तक अधिक धान किसानों से लिया जा रहा है तो उसके लिए जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्यवाही की जाएगी।
किसानों की हितों की बात करने वाली वर्तमान सरकार किसानों को इस तरह से मजबूर कर उनके हक पर डाका डालने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करती है।सबसे चौकाने वाली बात यह रही कि जब पत्र प्रतिनिधीयों को पता चला कि मंडी परिसर स्थित धान खरीद सेंटर की जाँच करने प्रदेश सरकार में विशेष सचिव ए के सिंह जो धान खरीद के नोडल भी हैं आये हैं ,वहां पहुंच गए और उनकी जांच में तौल में बोरे में 40.400 की जगह 41.200किलोग्राम धान मिलने पर तथा किसानों से अधिक मात्रा में धान लेने के बावजूद अपने कागज में कम मात्रा में धान अंकित करने पर उनसे उनका जबाब जानना चाहा तो वह बिना जबाब दिए ही गाड़ी में बैठ कर वहां से चल दिये।
धान खरीद के लिए सरकार की तरफ से नियुक्त नोडल अफसर के उक्त कार्य प्रणाली से आप किसानों के प्रति सरकार व सरकारी मशीनरी के सवेदनशीलता का अनुमान आप स्वंय लगा सकते हैं। धान खरीद के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व मिलरों की मिलीभगत से किसानों के हक पर डाले जा रहे डाके के प्रति पूर्वांचल नव निर्माण मंच के नेता गिरीश पांडेय ने कहा कि किसानों के शोषण को मंच कत्तई बर्दास्त नहीं करेगा।उन्होंने बताया कि पूरे जिले में किसानों से प्रति बोरी 40 किलो की जगह 40 किलोग्राम 500 ग्राम जबर्दस्ती धान लिया जा रहा है। वर्तमान सरकार का किसानों की हितैसी होने दावा बिल्कुल खोखला है ,यदि ऐसा नहीं होता तो धान खरीद में इतने बड़े पैमाने पर घोटाले को अधिकारी अंजाम नहीं दे पाते।