Thursday, May 9, 2024
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क्या अब सोनांचल में कोयले की लूट को सीबीआई ही कंट्रोल कर सकती है ?

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(सोनभद्र से समर सैम की रिपोर्ट)
सोनभद्र। वैध कोयले की आड़ में अवैध और मिलावटी कोयले का व्यापार डंके की चोट पर हो रहा है। ऐसा लगता है कि इन कोयला माफियाओं ने सिस्टम को शिखण्डी बना दिया है। मौके पर गड़बड़झाला सहित दर्जनों वाहनों को पकड़ा गया। मगर सिर्फ कोरम पूरा किया गया। जबकि ये खेल काफी लंबे समय से खेला जा रहा है। आपको बताते चलें कि कोयले में मिलावट का यह खुला खेल फरुक्खाबादी वर्षों से सोनभद्र जनपद में चल रहा है।

बीते शुक्रवार को सलइबनवा रेलवे कोयला डंपिंग साइट पर एडीएम न्यायिक सुभाष चंद्र यादव और एसडीएम ओबरा की संयुक्त टीम द्वारा अचानक की गई छापामार कार्यवाही के बाद लगभग चार दर्जन वाहनों पर लदे माल को संदिग्ध मानते हुये थाने ले जाया गया। मौके पर माल लदे वाहनों की कागजात से पता चला कि गाड़ी को जाना था चीन, पहुंच गई जापान समझ गये ना वाले गाने की तर्ज पर उक्त वाहन सलईबनवा पहुंच गये हैं। वहीं दर्जनों सीज़ किये गए इन वाहनों पर लदे मॉल और कागजातों से पता चला कि उन पर चारकोल, डस्ट, ब्लैक स्टोन और स्टील प्लांट से निकलने वाला ब्लैक कचड़ा लदा था।

आखिर सलईबनवा जहां से कोयला रेलवे के बैगनो में लोड कर विभिन्न व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में पहुंचाया जाता है वहां यह चारकोल, डस्ट, ब्लैक स्टोन और स्टील प्लांट से निकलने वाला ब्लैक कचड़ा किस मकसद से लाया गया था ? क्या यह कोयले जैसा दिखने वाला पत्थर जिसे कोयले में मिलावट के लिए प्रयोग किया जाता है वहां मिलावट कर गंतब्य तक भेजने के उद्देश्य से इक्ट्ठा किया जा रहा था ? जिसपर मजबूरन जांच टीम ने कार्रवाई करते हुए कोरम पूरा किया। जांच के वक्त एडीएम, एसडीएम के अलावा खनिज निरीक्षक, परिवहन अधिकारी एवं थानाध्यक्ष चोपन मय हमराही मौजूद थे। लेकिन कार्रवाई के दूसरे दिन भी उस डंपिंग साईट पर मिलावट खोरी का खेल निर्भय होकर संचालित किया जा रहा है। कोयला माफियाओं के दुस्साहस का आलम यह है कि एडीएम न्यायिक के भी डंपिंग साईट पर पूछने पर भी किसी ने ये नहीं बताया कि साइट पर डंप कोयला किसका है। जबकि मौके पर रैक लोड हो रही है दिनरात।

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सलाइबनवा स्थित रेलवे स्टेशन पर आलम यह है कि रेलवे साइड की लोडिंग पॉइंट पर मोतियाबिंद का मरीज़ भी मिलावटी कोयला लोड होते देख सकता है।आँख के अंधे नाम नयन सुख हो तो बात समझ में आती है। लेकिन लगता है यहां तो सब सावन के अंधे हैं इन्हें सबकुछ हरा ही हरा दिखाई दे रहा है। इनसे कारगर कार्रवाई की उम्मीद करना बेमानी है। आपको बताते चलें कि मिलावटखोरी का यह खेल लंबे समय से बदस्तूर जारी है। कोयला माफियाओं के आगे प्रशासन दण्डवत नज़र आता है। जबकि सलाइबनवा कोयला डंपिंग पॉइंट से गाड़ियों पर लोड मिलावटी पदार्थ बरामद हुये हैं। इसके प्रमाण डंपिंग पॉइंट पर चारो तरफ मिलावटी कोयलों की भारी मात्रा से मिल जाता है। इसके बाद भी जांच टीम गांधी जी के बंदर की भूमिका में नज़र आ रही है और पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है वह अज्ञात लोगों के खिलाफ की गई है जबकि कोयले में मिलावट के लिए चारकोल, डस्ट, ब्लैक स्टोन और स्टील प्लांट से निकलने वाला ब्लैक कचड़ा आदि रेलवे के लोडिंग प्वाइंट से पकड़ा गया है।

यहां आप सब को बताते चलें कि पूर्व में जनपद सोनभद्र के बीना स्थित कृष्णशिला कोयला डंपिंग साईट से आकूत मात्रा में अवैध कोयला मिला था। उक्त विशाल कोयला भंडार में दो तीन महीने से आग सुलगने के कारण स्थानीय लोगों ने आक्रोश व्यक्त किया जिसके बाद ये मीडिया की सुर्खियां बनने लगी। तब जाकर प्रशासन की नींद खुली और जांच कर उक्त लावारिस कोयला भंडार को सीज़ किया गया। फिर अंदर ही अंदर उसका भी कोरम पूरा कर दिया गया।

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ऐसा लगता है कि कृष्णशिला रेलवे साइडिंग पर कार्यवाही के बाद अब सलाइबनवा कोयला डंपिंग यार्ड को कोयला माफियाओं ने अपना ठिकाना बना लिया है। बंगाल और दूसरी जगह से चारकोल और स्टील प्लांट का कचड़ा लाकर यहां जमकर मिलावट खोरी की जा रही है। खदानों से निकले अच्छे क्वालिटी के कोयले को खुले मार्केट में दूसरी जगहों पर बेच दिया जाता है और उसी कागज़ पर अवैध व घटिया सामग्री जो कोयला जैसी दिखाई देती है मंगाकर उसमें मिलावट कर रैक लोड कर उसे भेज दिया जाता है। प्रतिदिन करोड़ों के खेल में पूरा नेक्सेस लगा हुआ है। प्रथम दृष्ट्या ये संगठित अपराध है। ऐसे अवैध कारोबारियों के ऊपर गैंगस्टर एक्ट लगनी चाहिए। प्रॉपर्टी कुर्क होनी चाहिए थी। परंतु जांच के नाम पर महज़ रस्म अदायगी की गई। लेकिन इतना सबकुछ होने के बाद भी कोयला माफियाओं का ये खेल बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से जारी है।

सोनभद्र जनपद में2009 में जब कोयला माफियाओं ने अनपरा,पिपरी और शक्तिनगर में घर घर कोयला डिपो बना लिया था। इस पर काबू पाना स्थानीय प्रशासन और शासन के बूते से बाहर हो गया था। तब सीबीआई लखनऊ ने रेड डाला और सारा खेल खत्म हो गया। कई कोयला माफियाओं को सलाखों के पीछे जाना पड़ा था। अब सलाइबनवा कोयला डंपिंग साइट पर सीबीआई के रेड की दरकार है। क्योंकि ये मर्ज़ फिजिशियन के कंट्रोल से बाहर हो चुका है। अब इसे स्पेशिलिस्ट सर्जन ही ठीक कर सकता है। सभी मुफ्त के माल पर हाथ साफ कर रहे हैं। इतनी बार तो दिल्ली भी न लुटी होगी। जितनी बार सोनांचल के कोयले को लूटा गया है। एक पुरानी कहावत है यहां तो माई भी आन्हर और बाऊ भी आन्हर अब दिया केकरे के दिखाईं जैसे हालात हैं इसीलिए कोयले के कारोबार से जुड़े लोग मुफ्त का चंदन घिस मेरे लल्लन की तरह मस्त हैं। अंत में एक शेर बस बात ख़त्म, एक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्तां करने को जब हर शाख पे उल्लू बैठे हैं तोअंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा ?

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