Thursday, May 9, 2024
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सदर तहसील के नाजिर विजय शंकर श्रीवास्तव के ख़िलाफ़ 51,00,639.00 रुपये का गबन करने के आरोप में एफआईआर हुई दर्ज

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तहसीलदार सदर ने पूर्व में नाजिर के पद पर कार्यरत विजय शंकर श्रीवास्तव के ख़िलाफ़ 51,00,639.00 रुपये का गबन करने के आरोप में सदर कोतवाली में दर्ज कराई एफआईआर

सरकारी अभिलेखो मे गबन के नीयत से हेर फेर करने के मामले में विजय शंकर श्रीवास्तव के उर एफआईआर दर्ज

सोनभद्र। सहायक वासिल बाकी नवीस / प्रभारी नायब नाजिर तहसील रावसगंज द्वारा सरकारी धनराशि मु0 – 51,00,639.00 रुपये का गवन करने तथा सरकारी अभिलेखो मे गबन के नीयत से हेर फेर करने के सम्बन्ध मेंअरुण कुमार गिरी तहसीलदार रावर्ट्सगंज सोनभद्र ने कोतवाली राबर्ट्सगंज में एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है जिसके मुताबिक तहसील संग्रह एवं नजारत के रिकार्ड रुम एवं आलमारी में गठित कमेटी की रिपोर्ट से सहायक वासिल बाकी नवीस / प्रभारी नायब नाजिर विजय शंकर श्रीवास्तव द्वारा रजि0 न0- 4 वित्तीय वर्ष 2017-18, रजि0 न0- 4 वित्तीय वर्ष 2019-20, रजि0 न0- 4 वित्तीय वर्ष 2020-21, रजि0 न0- 4 वित्तीय वर्ष 2021-22, रजि0 न0- 7 वित्तीय वर्ष 2021-22 मे सरकारी धनराशि मु0 – 51,00,639.00 रुपये का गबन किया गया है।

तहसीलदार द्वारा दिये गए तहरीर के आधार पर सरकारी अभिलेखो मे गबन के नीयत से हेर फेर करने के सम्बन्ध मे थाना रावर्ट्सगंज पर मु0अ0स0 – 501/2023 धारा 409 भादवि बनाम विजय शंकर श्रीवास्तव पुत्र स्व0 श्याम सुन्दर लाल निवासी ग्राम व पोस्ट सिधौत जनपद गाजीपुर वर्तमान पता- ए 53 (टी) जी0आई0सी0 फिल्ड न्यू मार्केट तुर्रा वार्ड न0- 2 पिपरी जनपद सोनभद्र पंजीकृत कर विधिक कार्यवाही की जा रही है ।

लोग उठा रहे सवाल,आखिर कैसे हो गया गबन ?इतने साल से क्या करते रहे अधिकारी ?

यहां आप सब को बताते चलें कि रेवेन्यू के जानकार मानते हैं कि यदि नियमित रूप से नियमानुसार उच्चाधिकारियों द्वारा अपने पर्यवेक्षणीय उत्तरदायित्व का निर्वहन किया गया होता तो इतनी रकम का गबन न हुआ होता।उन लोगों का मानना है कि उक्त रजिस्टर न.चार को नियमित रूप से तहसीलदार द्वारा निरीक्षण किया जाना चाहिए और यदि उनके द्वारा अपने उक्त उत्तरदायित्व का निर्वहन किया गया होता तो सरकारी धन के गबन को रोका जा सकता था।इतना ही नहीं सवाल तो यह भी उठ रहा है कि जब नियमित रूप से विभिन्न उत्तरदायित्व पर कार्य कर रहे उच्चाधिकारियों द्वारा तहसील का निरीक्षण किया जाता रहा तो निरीक्षण करने वाले उक्त उच्चाधिकारी आखिर किस प्रकार का निरीक्षण करते रहे कि उक्त अनियमितता का उन्हें पता ही नहीं चला ? इससे एक बात तो साफ है कि उक्त गबन के लिए कई स्तर से लापरवाही बरती गई।इसलिए सिर्फ एक छोटे से कर्मचारी पर कार्यवाही करने के बजाय इसके लिए जिम्मेदार अन्य लोगों के खिलाफ भी कार्यवाही किया जाना चाहिए था।फिलहाल अब तो एफआईआर दर्ज करा दी गयी है और उम्मीद है कि आने वाले समय मे उक्त गबन के लिए अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही होगी।

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