प्रयागराज। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम नोज पर श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक एवम् अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के महामन्त्री श्रीमहन्त स्वामी हरि गिरि जी महाराज की अध्यक्षता में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के सभापति श्रीमहन्त स्वामी प्रेम गिरि जी महाराज, जूना अखाड़ा के प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज, सार्वभौम विश्वगुरू स्वामी करुणानन्द सरस्वती जी महाराज, प्रयागराज वेणी माधव मन्दिर की महन्त साध्वी वैभव गिरि जी, किन्नर अखाड़ा के कई महामण्डलेश्वरों के साथ साधु-संतों और मेला प्रशासन के मेलाधिकारी गौरव श्रीवास्तव , चण्डिका त्रिपाठी सहित अन्य अधिकारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना के बाद पंचकोसी परिक्रमा प्रारम्भ की।

पूजन-अर्चन के पश्चात् पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि इस परिक्रमा पर 550 साल पहले अकबर ने रोक लगा दी थी, जो २०१९ में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्रित्व काल में पुन: प्रारम्भ हो पाई |

पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने कहा कि प्रयागराज के पूर्व दिशा में दुर्वासा ऋषि का आश्रम है और पश्चिम में भारद्वाज ऋषि का आश्रम है। उत्तर में पांडेश्वर महादेव स्थापित हैं और दक्षिण में पाराशर ऋषि की कुटिया बनी हुई है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि यदि प्रयागराज पहुंचकर इन चारों स्थानों के दर्शन कर लिए जाएं तो प्रयाग की परिक्रमा पूरी मानी जाती है, और व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप धुल जाते हैं।

प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा में इन चारों तीर्थ स्थानों को शामिल किया जाता है | यह यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न हो और भविष्य में इसमें किसी प्रकार की कोई रुकावट न आने पाये, यही माता गंगा, यमुना, सरस्वती से कामना एवम् प्रार्थना है |
–स्वामी बृजभूषणानन्द जी महाराज
