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ज्यादातर राज्यों में स्कूल खुलने लगे हैं। जहां अभी नहीं खुले हैं, वह खोलने की तैयारी कर रहे हैं। 12 से 18 साल के बच्चों के लिए देसी वैक्सीन को मंजूरी भी मिल चुकी है। आने वाले महीने त्योहारों वाले हैं यानी बाजारों में भीड़भाड़ और बढ़ने वाली है। इस बीच केरल में कोरोना विस्फोट ने तीसरी लहर की आशंका को और बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली । केरल में बुधवार को कोरोना के मामलों में जिस तरह का उछाल दिखा, वह डराने वाला है। राज्य में कोरोना संक्रमण के 31,445 नए मामले सामने आए हैं। एक दिन पहले 24,296 केस आए थे। केरल में हुए इस ‘कोरोना विस्फोट’ से यह आशंका गहरा गई है कि कहीं यह देश में संक्रमण की तीसरी लहर की शुरुआत तो नहीं। आने वाले महीने त्योहारों वाले हैं जिनमें गणेशोत्सव, दशहरा, दिवाली, छठ जैसे पर्व शामिल हैं।
उससे पहले केरल में कोरोना की यह खतरनाक चाल निश्चित तौर पर डराने वाली है। संयोग से केरल में यह कोरोना विस्फोट ओणम त्योहार के बाद हुआ है। गृह मंत्रालय की बनाई एक्सपर्ट कमिटी भी अपनी हालिया रिपोर्ट में चेता चुकी है कि तीसरी लहर सितंबर से अक्टूबर के बीच कभी भी आ सकती है। कमिटी ने तो यहां तक कहा है कि तीसरी लहर में रोजाना 6 लाख केस देखने को मिल सकते हैं।


केरल ने बजाई खतरे की घंटी?
कोरोना महामारी की वजह से बंद स्कूल एक बार फिर खुलने लगे हैं। जिन राज्यों ने अभी स्कूल नहीं खोले हैं, वे भी चरणबद्ध तरीके से खोलने की तैयारी कर रहे हैं। वैक्सीनेशन पर बने नेशनल टेक्निकल अडवाइजरी ग्रुप ने भी चरणबद्ध तरीके से सभी क्लास के बच्चों के लिए स्कूल खोलने की सिफारिश की है। 12 से 17 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को इमर्जेंसी यूज की मंजूरी भले ही मिल गई है लेकिन अभी यही रणनीति बन रही है कि पहले किन बच्चों को वैक्सीन दी जाए और किन्हें नहीं। इन सबके बीच केरल में कोरोना की रफ्तार बच्चों के लिए खतरे की घंटी की तरह है।
बच्चों को कब से लगेगी वैक्सीन?
जायडस कैडिला की 3 खुराक वाली देसी वैक्सीन जाइकोव-डी को 20 अगस्त को ही देश में इमर्जेंसी यूज की इजाजत मिल चुकी है। खास बात यह है कि इसे 12 से 18 साल के किशोरों के साथ-साथ सभी उम्र के वयस्कों को भी दिया जा सकता है। वैक्सीनेशन के लिए बना नेशनल टेक्निकल अडवाइजरी ग्रुप अभी 12 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन का खाका बनाने में जुटा है। इसके लिए जल्द ही ग्रुप की बैठक होगी।

एनटीएजीआई के अध्यक्ष डॉक्टर एन के अरोड़ा ने कहा कि जाइकोव-डी वैक्सीन सबसे पहले 12-18 आयु वर्ग के उन बच्चों को लगाई जाएगी जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं। इसकी शुरुआत अक्टूबर में होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा अनुमान है कि भारत में 12-18 आयुवर्ग के 12 करोड़ किशोर हैं और उनमें से एक प्रतिशत से कम बच्चों को कुछ बीमारियां हो सकती हैं। डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि 12-18 एज ग्रुप के स्वस्थ बच्चों को तभी वैक्सीन लगाई जाएगी जब वयस्कों का टीकाकरण पूरा हो जाए। इसका मतलब है कि अपने बच्चों को जल्द वैक्सीन लगवाने की उम्मीद पाले अभिभावकों को अभी बहुत लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
बच्चों के लिए स्कूल अभी कितने सेफ?
NTAGI के चेयरमैन डॉक्टर अरोड़ा ने सभी स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोले जाने की हिमायत की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता समेत बच्चे के परिवार के सभी वयस्क सदस्यों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी हो। इसी तरह स्कूलों में सभी टीचर, कर्मचारी, बस ड्राइवर समेत उन सभी लोगों को वैक्सीन लग चुकी हो, जो बच्चों के संपर्क में आने वालें हों ताकि बच्चों के लिए लिए सुरक्षा घेरा बन सके। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे कोरोना से गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते हैं। अभी वैक्सीनेशन की जो रफ्तार है, उसे देखते हुए ‘बच्चों के लिए सुरक्षा घेरा’ दूर की कौड़ी दिख रही है।

तो एक दिन में आ सकते हैं 6-6 लाख से ज्यादा केस!
गृह मंत्रालय की तरफ से बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट तो और भी डराने वाले हैं। केरल में कोरोना विस्फोट और कमिटी की इस रिपोर्ट को अगर एक साथ देखा जाए तो बहुत डरावनी तस्वीर उभरती दिख रही है। कमिटी ने आशंका जताई है कि देश में सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी तीसरी लहर आ सकती है। अगर वैक्सीनेशन तेज नहीं किया गया तो रोजाना 6 लाख से भी अधिक नए कोरोना केस आ सकते हैं।
बच्चे बन सकते हैं ‘सुपर स्प्रेडर’
स्विटजरलैंड के ज्यूरिक में इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर साई रेड्डी ने तो भारत में बच्चों के ‘सुपर स्प्रेडर’ बनने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि इस बात की आशंका बहुत ज्यादा है कि एक नया वेरिएंट आएगा और हम उससे बचने के लिए वैक्सीन पर निर्भर नहीं रह पाएंगे। अगर कोई व्यक्ति जिसने वैक्सीन नहीं लगवाई है इसके संपर्क में आता है तो वह ‘सुपर स्प्रेडर’ बन सकता है यानी तेजी से संक्रमण को फैला सकता है। रेड्डी ने कहा कि 12 साल तक के बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। लिहाजा ये बच्चे ‘सुपर स्प्रेडर’ का एक बड़ा ग्रुप बन सकते हैं।