—टोलप्लाज़ा से चोपन तक ओभरलोड खनिज लदे वाहनों की लगी लम्बी कतारें ,खनिज विभाग की दोहरी नीति के कारण आए दिन लग रहा जाम
– प्रशासन की लचर व्यवस्था व बिना प्लानिंग की चल रही कार्यवाही से लग रहा जाम
– भीषण ठंड में अधिकारी घरों में बैठे रूम हीटर से करते रहे शरीर गर्म, यात्री सड़क पर झेलते रहे परेशानियां
मारकुंडी । प्रशासन की लचर व्यवस्था व बिना प्लानिंग के चल रही खनिज जांच के कारण गुरुवार शाम से राबर्ट्सगंज टोलप्लाजा से मारकुंडी घाटी के नीचे तक लगए जाम के झाम ने भीषण ठंड में बस में सफर कर रहे यात्रियों व इलाज के लिए जा रहे एम्बुलेंस तक को सफर करने का रास्ता नहीं छोड़ा।लोगों का कहना है कि जब से आचारसंहिता लगी है तभी से इस तरह के नजारे आम हो गए हैं। आपको बताते चलें कि लोढ़ी टोलप्लाज़ा से लेकर चोपन तक लगे भीषण जाम के कारण रोडवेज बस से लेकर एम्बुलेंस तक फंसे हुए हैं ।
भीषण ठंड में यात्री बसों में भूख से बेहाल हैं लेकिन प्रशासन जाम छुड़ाने में नाकाम साबित हो रहा है । ऐसा नहीं कि यह पहला मौका है कि जब टोलप्लाज़ा से चोपन तक जाम लग रहा है अपितु प्रशासन की बिना प्लानिंग की चल रही चेकिंग व्यवस्था से अक्सर इस तरह टोल प्लाजा से मारकुंडी घाटी में जाम लग जाया करता है । सूत्रों की माने तो अधिकारी घरों में रूम हीटर लगाकर शरीर गर्म कर रहे हैं और उनके मातहत अपनी जेबें ,और इसी जेब गरम करने के चक्कर में ओभरलोड गाड़ियों का रेला सड़क पर बेतरतीब खड़ा हो जा रहा है जिससे छोटे बड़े वाहनों के द्वारा पास लेने के चक्कर में ट्रैफिक पूरी तरह जाम हो जाता है । आलम यह है कि पूरी रात बस यात्री छोटे बड़े सभी वाहन जाम में फंसे रहे। ओवर लोड वाहनों के चालू बन्द के सिलसिले से खनिज विभाग की दोहरी नीति साफ उजागर होने से वाहन स्वामियों में आक्रोश व्याप्त है।
उक्त सम्बन्ध वाहन स्वामियों और चालकों ने शासन के उच्चाधिकारियों से खनिज विभाग की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है और उन्होंने बातचीत के दौरान यह भी बताया कि उन्हें लोडिंग प्वाइंट से ट्रक चालकों व मालिकों को ओवर लोड लादने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिससे विवश होकर वाहन स्वामी व चालक ओवर लोड लोडिंग के लिए मजबूर है,अगर लोडिंग प्वाइंट से वाहन स्वामियों को एक निर्धारित मानक तय कर दिया जाता तो चलने में आसान होगा और प्रशासन को चेकिंग करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । लेकिन प्रशासन जहां एक तरफ ट्रकों को ओवरलोड चलने पर मना करता है और वहीं दूसरी तरफ खदान में ओवरलोड माल भरने की छूट दे रखा है ।
खनिज विभाग व प्रशासन की यह दोहरी नीति ही सड़क पर वसूली की पृष्ठभूमि तैयार कर रही है और लोगों को जाम के झाम से रूबरू भी।यहां आपको बताते चलें कि 10 या 12 चक्का ट्रक को 10 या 12 घन मीटर का परमिट दिया जाता है जबकि उस पर 1000 घन फिट बालू या गिट्टी लोड कर उसे ओभरलोड परिवहन के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में वह जैसे ही माल लोड कर सड़क पर आता है वैसे ही वह परिवहन अथवा खनिज विभाग के रडार पर आ जाता है और इन विभागों से ताल मेल रखने वाले कुछ लोगों के लिए इस तरह के ओभरलोड वाहन कमाई का जरिया बन जाते हैं।
बहरहाल सोनभद्र की सड़क फोरलेन बनने के बाद भी यात्रियों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है । आए दिन जाम के झाम से लोग त्रस्त हैं प्रशासन मूकदर्शक बनकर सिर्फ तमाशबीन बना हुआ है।