क्या कैमूर वन्य जीव क्षेत्र के अंदर बना लोढ़ी स्थित टोल प्लाजा हो सकता है डिस्मेंटल ? मामले में जिलाधिकारी व उपसा के सीईओ एवम डीएफओ को एनजीटी ने किया तलब
सोनभद्र। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता याचिकाकर्ता आशीष चौबे ने सोनभद्र स्थित एक होटल में पत्र प्रतिनिधियों से बात चीत करते हुए बताया की वाराणसी शक्तिनगर स्टेट हाइवे पर बने लोढ़ी स्थित टोल प्लाजा जो कि कैमूर वन्य जीव विहार की सीमा के अंदर बना हुआ है, के मामले की गंभीरता को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली ने 22 अगस्त को मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण, जिलाधिकारी सोनभद्रं व डी एफ ओ सोनभद्र को वक्तिगत रूम से कोर्ट में अपीयर होकर मामले की जानकारी देने को कहा है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता आशीष चौबे ने बताया की चूंकि उक्त टोल प्लाजा सेंचुरी एरिया के अंदर बनाया गया है और उक्त टोल प्लाजा के निर्माण के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है जिसकी वजह से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।इसी बात को लेकर एक याचिका माननीय नेशनएल ग्रीन ट्रिब्यूनल में डाली गई थी जिसे स्वीकार करते हुए तथ्योँ के दृष्टिगत न्यायालय ने 7 सितम्बर 2022 को जारी अपने आदेश में एक कमेटी बना कर तथ्यात्मक रिपोर्ट मगाई थी ।कमेटी ने जांचोपरांत एन जी टी में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है ,जिसमे यह स्पष्ट हो गया है की टोल प्लाजा एवम सड़क निर्माण कम्पनी का बना आवासीय परिषर बहिन कैमूर वन्य जीव क्षेत्र में स्थापित है एवम निर्माण कार्य ले आउट प्लान के अनुसार सही नही प्रतीत नही होता है है तथा कैमूर वन्य जीव क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधि करने से पूर्व नियमानुसार संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का भी कोई अभिलेख नही पाया गया है यह बाते भी संयुक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दिया है ।
Also riletedपर्यावरण एवं जल संरक्षण तथा उच्च जीवन शैली विषयक संगोष्ठी / भाषण प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन संपन्न
याचिका कर्ता का कहना है की अन्ततः कोर्ट का निर्णय ही सर्वमान्य होगा परंतु रिपोर्ट के अनुसार यदि टोल प्लाजा एवम उसका आवासीय इलाका नियामानुसार नही बना है तो ऐसे में उसका संचालन होना दुर्भाग्यपूर्ण है तथा वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के नियमो का उलंघन है । कमेटी रिपोर्ट को आधार बना कर टोल कलेक्शन स्टेट एवम अवैध निर्माण को ध्वस्त किए जाने को लेकर भी माननीय कोर्ट में एप्लीकेशन लगाया गया है जिसपर माननीय कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मागा है तथा मामला कोर्ट में विचाराधीन है । भारत के संविधान ने हर व्यक्ति को मौलिक अधिकार दिया है हर व्यक्ति का मौलिक कर्तव्य है की वह पर्यावरण , वनस्पति जीव जंतु की रक्षा करे संविधान की धारा 51 ए जी यह स्पष्ट रूप से कहता है ।
उक्त अवसर पर वहा उपस्थित अधिवक्ता सूर्य प्रकाश मिश्रा का कहना था कि जनपद सोनभद्र अपार प्रकृति खनिज संपदाओं वाला जिला है ।जनपद के हर कोने में प्राकृतिक दुर्लभ संपदा है,परंतु अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु पर्यावरण का दोहन नियमो कानूनो को ताख पर रख कर किया जा रहा है जो आने वाले समय के लिए विनाशकारी है। यह लड़ाई पर्यावरण संरक्षण एवम सोनभद्र वासियों के लिए है ।सोनभद्र के पर्यावरण को संरक्षित करने के इस मुहिम में सभी का साथ आवश्यक है ।जनपद सोनभद्र के लोगों को जनहित के इस मुहिम में आगे आकर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा और कानूनों और नियमों का उलघन कर जनपद का दोहन करने वाले लोगों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी जिससे की पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।