Thursday, March 28, 2024
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आखिर कौन है पत्थर खदानों का सबसे बड़ा खिलाड़ी ?

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(समर सैम की सोनभद्र पत्थर खदानों की पोस्मार्टम करती एक्सक्लुसिव रिपोर्ट)
सोनभद्र। आखिर कौन है ? पत्थर खदानों का सबसे बड़ा खिलाड़ी, जिसने दूसरों के धन के बल पर शून्य से शिखर तक का सफ़र तय किया। आज पत्थर खदानों में उसके नाम का सिक्का चलता है। पार्टनरों को भी किनारे लगाते हुए अपने नाम का सिक्का कायम कर लिया पत्थर खदानों में। ओबरा थाने में कई गंभीर धाराओं में उसके नाम से मुकदमें भी पंजीकृत हैं। डीएम और कमिश्नर ने भी जांचोपरांत सख़्त कारवाई के आदेश जारी किए परन्तु उसकी पकड़ के आगे सारे आदेश दगी कारतूस साबित हुए।सोनभद्र की पत्थर खादानों में कानून को दफ्न करने पर आमादा हैं खनन माफिया और शासन प्रशासन मूकदर्शक बनने पर मजबूर दिखाई दे रहा। जनपद सोनभद्र में खनन की आड़ में पहाड़ों को काटकर पाताल बना दिया गया खनन माफियाओं द्वारा। पहाड़ की कोख में खनन माफियाओं द्वारा इतना बारूद भर दिया गया है कि उसने अविकसित जलस्रोत को जन्म दे दिया। उस पर भी माफियाओं का पाषाण हृदय नहीं पसीजा। एक तरफ पाताललोक के पानी को पनचक्की लगाकर खदान से बाहर निकाला जा रहा है तो दूसरी तरफ खदानों में बारूद का जाल बिछाकर खनन करने की प्रक्रिया बदस्तूर जारी है। ऐसा नजारा ओबरा, डाला, बिल्ली मारकुंडी के खनन सेक्टरों में जाकर कभी भी देखा जा सकता है।अब पत्थर खदानों से होने वाली बेतहाशा काली कमाई से वशीभूत होकर माननीय माफिया भी बैकडोर से इंट्री हासिल कर चुके हैं। तमाम खदानों में वह पार्टनर बन बैठे हैं। लगातार धरती का कोख छलनी किया जा रहा है। इस पर ज़िम्मेदार मोहकमा गांधी जी के बन्दर बने हुए हैं। खनन माफियाओं द्वारा अवैध खनन के चलते फ़िज़ाओं में सैकड़ों टन बारूद घोल दिया गया है। जिसका खामियाजा हम सब सेहत गवां कर भुगत रहे हैं। आपको बताते चलें कि जनपद सोनभद्र में खनन की आड़ में टनों बारूद लगाकर पहाड़ों को बुलडोज़ कर दिया गया। इस पर भी शासन प्रशासन की कुम्भकर्णी नींद नहीं टूटी।तमाम ऐसी खदानें संचालित हो रही हैं जो असंक्रमणीय भूमि में दर्ज है। वहीं कुछ खदानें ऐसी भी संचालित हो रही हैं जिसके दस्तावेजों में हेर फेर किया गया है। जबकि वास्तविक ज़मीनों पर रिहाइशी मकान बने हुए हैं। वहीं दूसरी ज़मीनों पर ज़िम्मेदार अधिकारियों की सांठगांठ से खदानें संचालित की जा रही है। ऐसे ही एक मामले में दिनांक 3 जून 2021 को राबर्ट्सगंज कोतवाली में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। यह प्राथमिक सूचना रिपोर्ट जिलाधिकारी सोनभद्र के निर्देश पर दर्ज किया गया था। अराज़ी नम्बर 7187 क रकबा 1.1000 हेक्टेयर भूमि जो बाड़ी टोला में स्थित है का अवैध ढंग से बैनामा तहसील राबर्टसगंज के रजिस्ट्री ऑफिस में किया गया। इस मामले को अधिकारियों ने गंभीरता से लेते हुए जांच किया तो सत्य पाया गया।एडीएम सोनभद्र, उपजिलाधिकारी ओबरा, तहसीलदार ओबरा ने अपने जांच में पाया कि किसी मास्टर माइंड का ये सारा खेल रचा गया है। जांचोपरांत एक खनन व्यवसाई धीरज राय सहित रामबली, रामखेलावन, गोविंद एवं अशोक जायसवाल के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। जमीन के खेल में उपरोक्त सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419 एवं 420 कायम किया गया। परन्तु एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई न होने से सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। आखिर किसके दबाव में इतने गम्भीर मामले को दबाया जा रहा है।निश्चय ही इससे खनन माफियाओं के हौसले बुलंद होंगे। जबकि विवादित भूमि पर विभिन्न लोगों के मकान बने हुए हैं।वहीं सूत्रों के मुताबिक चर्चित खनन माफिया द्वारा ये सारा खेल खेला गया था। उपजिलाधिकारी ओबरा द्वारा क्षेत्रीय लेखपाल बिल्ली मारकुंडी के साथ लेखपत्र संख्या 5804/2020 स्थित मौजा बिल्ली मारकुंडी का स्थलीय निरीक्षण किया गया। जो रामबली पुत्र स्वर्गीय परशुराम निवासी बसुधा, कोटा परगना अगोरी तहसील रॉबर्टसगंज के हक में आराजी नम्बर 7187 क रकबा 1.1000 हेक्टेयर भूमि का बैनामा तहरीर किया गया है। जबकि उस भूमि पर विभिन्न लोग मकान बनवाकर रह रहे हैं। वहीं पर मौके पर मौजूद लोगों ने एसडीएम ओबरा को बताया कि भूमि क्रय करने की हैसियत क्रेता की नहीं है बल्कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा क्रेता के नाम से क्रय की गई है।खनन माफियाओं के इस खेल पर से पर्दा उठने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर प्राथमिक सुचना रिपोर्ट रॉबर्टसगंज कोतवाली में प्रभारी निरिक्षक अविनाश चंद्रा द्वारा दर्ज की गई थी। परन्तु खनन माफियाओं के खेल पर से पर्दा उठने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। बल्कि सारे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि इस मामले में रजिस्ट्री विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी के भी हाथ रंगे हुए थे परंतु उनके खिलाफ कोई कारवाई न होना भी अचरज का विषय है।

इस बीच गंगा में बहुत पानी बह चुका है। फ़िलहाल ज़मीन कहीं है और खदान कहीं का खेल खनन माफियाओं द्वारा अबाध गति से खेला जा रहा है। खनन माफिया के खिलाफ अवैध खनन से लेकर तमाम गम्भीर आरोप समय समय पर लगते रहें हैं। लेकिन खनन माफिया की पहुंच के आगे कमिश्नर एवं जिलाधिकारी सोनभद्र के आदेश अभी तक तो बौने ही साबित हुए हैं। तमाम गम्भीर आरोपों के बाद भी खिलाड़ी नम्बर वन का बाल बांका न होना अधिकारियों की बेबसी को दर्शाता है।फ़िलहाल इन दिनों पत्थर खदानों में खिलाड़ी नम्बर वन का सिक्का चल रहा है। खिलाड़ी नम्बर वन के खिलाफ तमाम जांच रिपोर्ट फिलहाल इन दिनों ठंडे बस्ते में धूल फांक रही है। उधर अवैध खनन के चलते खदानों से उड़ने वाली धूलों से स्थानीय लोगों के जीवन की सांसे कम हो रही है। सपा शासन में शुरू हुई अवैध खनन के खेल की जांच फाइलें भाजपा सरकार में और मोटी होती जा रही है। फ़िलहाल सुरसा के मुंह की तरह फैलती जांच रिपोर्ट की फाइलें कहाँ जाकर थमेगी, इसकी कल्पना करना मुश्किल है। क्योंकि जब किसी के सर पर चांदी की जूती पड़ती है तो हर तरफ से आवाज़ फिज़ा में गूंजने लगती है वन्स मोर!वन्स मोर! अंत में एक शेर बस बात ख़त्म, भ्रष्टाचार का ये नारा है, भरो तिजोरी चांदी की। जय बोलो, महात्मा गांधी की ।।

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