सोनभद्र । मुख्य विकास अधिकारी डाॅ. अमित पाल शर्मा ने शुक्रवार को राबर्ट्सगंज ब्लाक के रूदौली स्थित प्राथमिक/जूनियर विद्यालय (कम्पोजिट) और आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया। इस दौरान पंजीकृत विद्यार्थियों के मुकाबले महज दस प्रतिशत उपस्थिति पर गहरी नाराजगी जताई और विद्यालय के सभी शिक्षकों-शिक्षामित्रों का वेतन रोक दिया तथा बीएसए और खंड शिक्षा अधिकारी को तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।
रेन हार्वेस्टिंग के कार्य में शिथिलता बरतने पर ग्राम पंचायत अधिकारी प्रवीण कुमार का वेतन रोकने के साथ ही, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए । विद्यालय में पेयजल की व्यवस्था न करने को लेकर प्रधान के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए।
प्राथमिक/जूनियर विद्यालय (कम्पोजिट), रूदौली में पंजीकृत 314 छात्र/छात्राओं के मुकाबले 10 प्रतिशत से भी कम उपस्थिति पर सीडीओ ने कड़ी नाराजगी जताई और विद्यालय में कार्यरत प्रधानाध्यापक प्रतिमा सिंह, सहायक अध्यापक जमील अहमद, रूचि मिश्रा, मंजू व शिक्षामित्र रामनौमी, सुदेश्वर प्रसाद, सुनिता तथा अनुदेशक रविंद्र कुमार और तौलन के वेतन/मानदेय भुगतान पर रोक लगाने का बीएसए को निर्देश जारी किया।इसके साथ ही बीएसए को यह भी निर्देशित किया कि छात्रों की उपस्थिति का प्रतिशत 80 से अधिक होने के बाद ही वेतन/मानदेय भुगतान की कार्यवाही की जाए। वह भी उनकी अनुमति मिलने के बाद ।
छात्रों की कम उपस्थिति के संबंध में बीएसए हरिवंश कुमार और बीईओ राबर्ट्सगंज को तीन दिवस के भीतर स्थिति स्पष्ट करने का भी निर्देश दिया गया। पानी आपूर्ति न होने, शौचालय की टोटी खराब होने पर भी सीडीओ ने नाराजगी जताते हुए डीपीआरओ विशाल सिंह को निर्देशित किया कि प्रधान निर्धारित अवधि में पानी की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं करते हैं तो उनके विरूद्ध कार्यवाही करते हुए 95ए की नोटिस जारी करें।
मनरेगा योजनान्तर्गत विद्यालयों, अन्य शासकीय भवनों, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री आवासों में रेन हार्वेस्टिंग का कार्य नहीं कराए जाने, न ही उसका विवरण प्रस्तुत करने पर जहां बीडीओ को जमकर फटकार लगाई वहीं पंचायत अधिकारी प्रवीण कुमार के खिलाफ लापरवाही पूर्ण कृत्य एवं शासकीय कार्यों में रूचि न लेने का मामला पाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश डीपीआरओ को दिया गया तथा अगले आदेश तक उनके वेतन भुगतान पर भी रोक लगा दी गई।