सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों पर लगाया जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने यह कार्रवाई अपने-अपने उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करने के बाद की है.
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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों पर लगाया जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने यह कार्रवाई अपने-अपने उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करने के बाद की है.
कांग्रेस और भाजपा पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. एनसीपी और सीपीएम पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्मना लगा है. सीपीआई, एलजेपी, राजद, जनता दल यू पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगा है. बसपा को सिर्फ चेतावनी दी गई.
शीर्ष अदालत ने नवंबर 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को प्रकाशित करने में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा विफलता का आरोप लगाते हुए दायर अवमानना याचिकाओं पर फैसला सुनाया.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के बारे में यह जानकारी अखबारों में प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. बिहार विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा करने के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सीपीएम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी.
चुनाव आयोग ने अदालत से कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उनके चुनाव चिह्नों को निलंबित करेगा. इससे पहले चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि एनसीपी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 26 उम्मीदवारों को और सीपीएम ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले चार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि बसपा ने एक उम्मीदवार को निष्कासित कर दिया, जब पार्टी को पता चला कि वह अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा करने में विफल रहा है और एक झूठा हलफनामा दायर किया है.
सीपीएम की ओर से वकील ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. हमारा भी विचार है कि राजनीति का अपराधीकरण नहीं होना चाहिए.