UP Politics : उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसदों पर लटकी तलवार दांव पर टिकट , बढ़ी धुकधुकी
UP Politics सूत्रों के अनुसार पार्टी के लगभग दो दर्जन सांसद ऐसे हैं जिनकी बारे में न जनता की राय अच्छी है और न पार्टी कार्यकर्ताओं की। मध्य प्रदेश की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में टिकट वितरण में चौंकाने वाले निर्णयों के दृष्टिगत तमाम सांसदों की सांसे फूल रही है। कई सांसद ऐसे हैं जिनके टिकट पर उम्र के तकाजे से संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
UP Politics । लखनऊ । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट वितरण के प्रयोग ने उत्तर प्रदेश में भाजपा सांसदों (UP BJP MP) की धुकधुकी बढ़ा दी है। मध्य प्रदेश में भाजपा नेतृत्व ने जिस चौंकाने वाले अंदाज में अब तक टिकट बांटे हैं, उससे पार्टी सांसदों की बेचैनी बढ़ गई है। खासतौर पर उन सांसदों की जो भाजपा की ओर से कराये गए आंतरिक सर्वेक्षणों (BJP Internal Survey) में पार्टी की अपेक्षा पर खरे नहीं पाए गए हैं।
भाजपा ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय मंत्रियों सहित राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखने वाले अपने कई चेहरों को विधानसभा चुनाव में टिकट थमा दिया है। कुछ सिटिंग विधायकों के टिकट काट भी दिए हैं। पार्टी के इस अप्रत्याशित प्रयोग से भाजपाई अचंभित हैं। लगातार तीसरी बार केंद्र में सत्तारूढ़ होने के लिए जतन कर रही भाजपा ने अगले वर्ष होने वाले लोक सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।
पार्टी ने औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों ही मंचों से जिताऊ उम्मीदवारों पर ही दांव लगाने का संकेत दिया है। पार्टी विभिन्न तरीकों से जनता के बीच अपने सांसदों की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का आकलन कर रही है। बीते दिनों पार्टी की ओर से संचालित किये गए महाजनसंपर्क अभियान के दौरान भी पार्टी ने अपने सांसदों का दमखम परखा था।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी के लगभग दो दर्जन सांसद ऐसे हैं जिनकी बारे में न जनता की राय अच्छी है और न पार्टी कार्यकर्ताओं की। मध्य प्रदेश की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में टिकट वितरण में चौंकाने वाले निर्णयों के दृष्टिगत तमाम सांसदों की सांस फूल रही है।
कुछ सांसदों के टिकट में आयु भी रोड़ा
भाजपा के कई सांसद ऐसे हैं, जिनके टिकट पर उम्र के तकाजे से संशय के बादल मंडरा रहे हैं। पार्टी के 75 पार वाले फार्मूले के आधार पर कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी (BJP Satya Dev Pachauri) टिकट की रेस से बाहर हो सकते हैं। बरेली के सांसद संतोष गंगवार (BJP MP Santosh Gangwar) को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। फिल्म अभिनेत्री रहीं हेमा मालिनी (BJP MP Hema Malini) को तीसरी लोक सभा में मथुरा का प्रतिनिधित्व करने का मौका शायद न मिले।
प्रयागराज की सांसद डा.रीता बहुगुणा जोशी (BJP MP Reeta Bahuguna Joshi) का टिकट भी 75 वर्ष की उम्र के फेर में फंसना तय है। डुमरियागंज के सांसद जगदम्बिका पाल (BJP MP Jagdambika Pal), फिरोजाबाद के सांसद चंद्रसेन जादौन (BJP MP Chandrasen Jadaun), मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल (BJP MP Rajendra Agarwal) भी इसी कतार में शामिल हैं।
अपने बयानों से भाजपा के लिए असहज स्थितियां पैदा करते रहे पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi), भाजपा के खिलाफ आग उगलने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री व बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य (Sanghmitra Maurya) और विवादों में घिरे रहे कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) को टिकट दिए जाने को लेकर किंतु-परंतु का दौर जारी है।
महिला आरक्षण लागू हुआ तो टिकट से वंचित होंगे कई सांसद
नारी शक्ति वंदन अधिनियम का सूत्रपात करने वाली भाजपा ने यदि इसका प्रयोग कानून को अमली जामा पहनाते हुए अगले लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण किया तो कई सांसदों के टिकट कटेंगे।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 78 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे जिनमें 10 महिलाएं थीं। इनमें से आठ महिलाएं जीतकर संसद पहुंची थीं। यदि पार्टी ने 33 प्रतिशत वाला फार्मूला अपनाया तो कई सांसदों के टिकट कटना तय है।
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