Saturday, May 4, 2024
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तहसील के लाकप में बंदी सुधाकर दुबे की हुई मृत्यु के कम्पनशेसन के लिए जिला प्रशासन द्वारा उनकी विधवा को दिया गया चेक हुआ बाउंस

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–मृतक सुधाकर दुबे के परिजनों की तरफ से न्यायालय में उनका पक्ष रखने वाले अधिवक्ता विकास शाक्य ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा उनके मुवक्किल के प्रति अपनाया जा रहा यह रवैया गैर जिम्मेदारी भरा है।इससे यह बात तो साफ है कि जिला प्रशासन उनके मुवक्किल के प्रति अभी भी असंवेदनशील है।

सोनभद्र।पिछले दिनों सोनभद्र जिले की सदर तहसील के लाकप में बकायेदार सुधाकर दुबे की हुई मृत्यु के बाद उनके परिजनों द्वारा तत्कालीन तहसीलदार व उपजिलाधिकारी पर कार्यवाही के लिए प्रशासन से गुहार लगाने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्यवाही नहीं करने के बाद मृतक के परिजनों द्वारा लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही के लिए उच्च न्यायालय में वाद दाखिल करने के बाद उच्च न्यायालय द्वारा मंडलायुक्त मिर्जापुर की अगुवाई में तहसील के लाकप में बंदी की हुई मृत्यु की बिंदुवार जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश पारित किया था।मंडलायुक्त की जांच में बंदी की लाकप में हुई मृत्यु व उसके बाद अपनाए जाने वाले विधिक प्राविधानों में हुई तहसील प्रशासन की लापरवाही/चूक उजागर होने के बाद उच्च न्यायालय ने लाकप में मृतक बंदी के परिजनों को कम्पनशेसन देने का आदेश दिया।यहां आपको बताते चलें कि न्यायालय के उक्त आदेश के बाद जिला प्रशासन ने मृतक सुधाकर दुबे की विधवा रानी देवी को मुवावजे के लिए जो चेक दिया उसमें से एक तीन लाख रुपये का जो चेक दिया गया था वह बैंक से बाउंस होकर वापस हो गया।मृतक सुधाकर दुबे के परिजनों की तरफ से न्यायालय में उनके पक्ष को रखने वाले अधिवक्ता विकास शाक्य ने उक्त मामले पर कहा कि मेरे मुवक्किल को जिला प्रशासन द्वारा जानबूझकर मानसिक रूप से परेशान करने के लिए ही जिला प्रशासन द्वारा उस खाते का चेक दिया गया जो खाता ब्लाक है।जिला प्रशासन के उक्त रवैये से एक बात तो साफ है कि जिला प्रशासन द्वारा मेरे मुवक्किल को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।मैं जिला प्रशासन के उक्त अविधिक व असंवेदनशील रवैये के खिलाफ अपने मुवक्किल की तरफ से उक्त चेक जारी करने वाले लोगों को लीगल नोटिस भेज रहा हूं, और यदि ससमय उक्त नोटिस का सम्यक संतोषपूर्ण जबाब नहीं दिया जाता है तो उक्त चेक जारी करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही के लिए न्यायालय की शरण में जाएंगे।

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