Monday, May 13, 2024
HomeUncategorizedSupreme court : अनुच्छेद 370 , लोकतंत्र को बहाल करने की...

Supreme court : अनुच्छेद 370 , लोकतंत्र को बहाल करने की आड़ में हमने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया – कपिल सिब्बल

-

370 पर संविधान पीठ में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जज सुनवाई कर रहे हैं. इसकी अगुवाई CJI डी वाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं.

नई दिल्ली । New Delhi News । जम्मू कश्मीर मे अनुच्छेद 370 हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता मे पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत सुनवाई कर रहे हैं. अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ कुल 23 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने केस का टाइटल रखा है. खास बात ये है कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के 4 साल होने में सिर्फ तीन दिन पहले ये सुनवाई शुरू हुई. 5 अगस्त, 2019 को, भारत सरकार ने 1954 के आदेश को खत्म करते हुए एक राष्ट्रपति आदेश जारी किया, जिससे भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू और कश्मीर पर लागू हो गए.  यह आदेश भारत की संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित एक प्रस्ताव पर आधारित था.

अनुच्छेद 370 मामला : SC में कपिल सिब्बल बोले- 'लोकतंत्र बहाल करने की आड़ में...'
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

6 अगस्त को एक बाद के आदेश ने अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी खंडों को निरस्त कर दिया. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 अधिनियमित किया गया, जिसने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में नोट दाखिल किया गया है. याचिकाकर्ताओं के कुल 18 वकीलों ने मामले पर बहस करने के लिए लगभग 60 घंटे का समय मांगा है.

नोट के मुताबिक, कपिल सिब्बल (10 घंटे), गोपाल सुब्रमण्यम (10 घंटे), राजीव धवन, दुष्यंत दवे, गोपाल शंकर नारायणन, शेखर नफाड़े, मेनका गुरुस्वामी, चंदर उदय सिंह, नित्या रामकृष्णन आदि बहस करेंगे. जबकि केंद्र के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बहस करेंगे. 370 पर संविधान पीठ में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ जज सुनवाई कर रहे हैं, इसकी अगुवाई CJI डी वाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं. पीठ में शामिल तीन जज भविष्य में CJI बनेंगे.

इनमें जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. जबकि जस्टिस संजय किशन कौल दूसरे नंबर के वरिष्ठ जज हैं, वो इसी साल 25 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं. यानी अनुच्छेद 370 पर अदालत का फैसला 25 दिसंबर तक आएगा. अकबर लोन की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कई मायनों में एक ऐतिहासिक क्षण है, यह अदालत इस बात का परीक्षण करेगी कि 5 अगस्त, 2019 को इतिहास को क्यों उछाला गया.

उन्होंने कहा कि क्या संसद द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया लोकतंत्र के अनुरूप थी, क्या जम्मू-कश्मीर के लोगों की उम्मीदों को दबाया जा सकता है. यह ऐतिहासिक है क्योंकि इसमें पांच साल लग गए.अदालत इस मामले की सुनवाई सामने आने में और वहां 5 साल से वहां कोई चुनी हुई सरकार नहीं है. यह अनुच्छेद जो लोकतंत्र को बहाल करने की मांग करता था, इसे खत्म कर दिया गया है और क्या ऐसा किया जा सकता है?

लोकतंत्र को बहाल करने की आड़ में हमने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया : कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि हम यहां इस आधार पर खड़े हैं कि जम्मू-कश्मीर का भारत में एकीकरण निर्विवाद है, निर्विवाद था और सदैव निर्विवाद रहेगा. इसके बावजूद असंवैधानिक प्रक्रिया से पूरा ढांचा बदल दिया गया. क्या जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा को इस तरह से चुप कराया जा सकता है? पिछले पांच वर्षों से जम्मू-कश्मीर में कोई प्रतिनिधि लोकतंत्र नहीं है. लोकतंत्र को बहाल करने की आड़ में हमने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है.

कानून के किस प्रावधान के तहत विधायिका को खत्म किया गया : कपिल सिब्बल 

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य ऐतिहासिक रूप से संघ में एकीकृत रियासतों के विपरीत एक अद्वितीय संबंध का प्रतिनिधित्व करता है. क्या दो संप्रभुओं के बीच उस अनूठे रिश्ते को इस तरह से ख़त्म किया जा सकता है? सत्ता में मौजूद पार्टियों में से एक के हटने के बाद राज्यपाल ने जून 2018 से जम्मू-कश्मीर विधानसभा को निलंबित रखा. यह देखने का मौका ही नहीं दिया कि नई सरकार बन सकती है या नहीं. COI अपने आप में एक पोल दस्तावेज़ है, जो समाज में रहने वाले लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखता है.

यह भी पढ़ें । MLA Assets: देश के 4001 विधायकों की संपत्ति तीन राज्यों के बजट से भी ज्यादा , क्या आप जानतें है कि किस पार्टी के MLA हैं सबसे ज्यादा दौलतमंद

संविधान सभा का अभ्यास राजनीतिक अभ्यास है. भारत के संविधान का मसौदा तैयार करना एक राजनीतिक अभ्यास है और एक बार मसौदा तैयार हो जाने के बाद,सभी संस्थान संविधान द्वारा शासित होते हैं. परिस्थितियों में संसद शक्तियों के प्रयोग में सीमित हैं. संसद खुद तो संविधान सभा में परिवर्तित नहीं कर सकता. आज संसद  प्रस्ताव द्वारा यह नहीं कह सकती कि हम संविधान सभा हैं. वे ऐसा कोई कानून पारित नहीं कर सकते जो सूची से बाहर हो. कानून के किस प्रावधान के तहत विधायिका को खत्म किया गया.

Article 370 , supreme court ,D Y chandrachurn , Kapil Sibal , Jammu and Kashmir vindhyaleader news , sonbhdra news s

सम्बन्धित पोस्ट

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

error: Content is protected !!