अब सबकी निगाह इस बात पर टिकी है कि आखिर जांच में क्या निकल कर सामने आता है क्योंकि म्योरपुर एबीएसए के ऊपर उन्हीं के अधीनस्थ टीचर ने एसआईटी जांच का हवाला देकर उनसे पैसा ऐंठने का आरोप लगाया था । अब जब जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट भी जिलाधिकारी को मिल गई है तो ऐसे में क्या कार्यवाही होती है यह तो कुछ दिनों में साफ हो जाएगा ।
वहीं शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो म्योरपुर प्रकरण में जांच टीम ने न तो एबीएसए को क्लीनचिट दिया है और न ही शिक्षकों के आरोपों को सही ठहराया है । हाँ सूत्रों के अनुसार कुछ विभागीय लोगों की माने तो एक बात उभरकर सामने आ रही है कि म्योरपुर में जो मामला उभरा है , यदि उसकी परत दर परत जांच हुई तो शिक्षा विभाग में भूचाल आ जायेगा और कई लोग निपट भी जाएंगे , जिसमें शिक्षक से लेकर शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी जिन्होंने शासनादेश के विपरीत कार्य किया है, भी हो सकते हैं।फिलहाल प्रशासन ने जांच टीम को इस बात की जांच करने के निर्देश दिये थे कि शिक्षकों ने एबीएसए के ऊपर पैसा लेने का जो गंभीर आरोप लगाया है , उसमें कितनी सच्चाई है ।
फिलहाल लगता है कि प्रशासन के साथ ही विभाग पर पैनी नजर रखने वाले लोगों को भी इसी विवाद से एक नया मामला मिल गया कि क्या मध्यप्रदेश से आये शिक्षक वाकई यूपी में नई जाति प्रमाणपत्र बनवाकर यहां नौकरी कर रहे हैं ? यदि ऐसा है तो इसकी भी जांच होनी चाहिए । प्रशासन अब जाति प्रमाणपत्र की जांच कराने मूड में है । ऐसे में यदि जांच हुई तो एक बड़ा मामला निकल कर सामने आ सकता है , जिसमें जाति प्रमाण पत्र बनाने वाले से लेकर उन्हें नौकरी पर रखने वाले भी दोषी ठहराए जा सकते हैं ।