मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के संचालन की जिम्मेदारी निभा रहे समाज कल्याण विभाग का वही पुराना ढर्रा एक बार फिर से सामने आया है।वही पुरानी कहानी की आखिर गरीब की फरियाद कौन सुने और कारण यह है कि विभाग के लोगों को लगता है कि आखिर वह अपनी बेबसी की फरियाद लेकर जा ही कहाँ तक सकता है? समाज कल्याण विभाग के कंधे पर मुख्यमंत्री ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौपते समय जरूर यह सोचा होगा कि यह विभाग अपने नाम के अनुरूप कुछ जरूर अच्छा करेगा।परन्तु विभाग है कि अपने आदतों से बाज नहीं आ रहा।उक्त विभाग हमेशा से ही उन ग़रीबों के सामाजिक उत्थान के लिए आये सरकारी धन के बंदरबांट व गरीबों की भावनाओं से खिलवाड़ करने की जुगत में रहा है।पिछले दिनों हुई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत शादी समारोह में भी विभाग का कुछ ऐसा ही रवैया नजर आया जहाँ शादी के मंडप में बड़े अरमानों के साथ आई गरीब कन्या को एक लाल जोड़ा भी विभाग के लोग नहीं दे सके और काली साड़ी में ही करा दी गयी उसकी शादी।
सोनभद्र से विधायक को अदिवासी समाज के चेहरे के रूप में मंन्त्री बनाकर जिस राजनीतिक हित को भाजपा साधना चाह रही है उसमें इस तरह की लापरवाही वर्तमान सरकार को भारी पड़ सकती है। आपको बताते चलें कि समाज कल्याण राज्यमंत्री बनने के बाद गृह जनपद सोनभद्र में पहली बार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम के आयोजन को लेकर उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बार कार्यक्रम पिछली दफा से काफी बेहतर होगा । मगर शनिवार को हुए सामूहिक विवाह कार्यक्रम में मंत्री से लेकर संतरी तक इस कार्यक्रम के प्रति उदासीन ही रहे यहाँ तक कि अधिकारियों को न तो संख्या का पता था और न ही वर वधु को आशीर्वाद देने के लिए इस बार अधिकारी कार्यक्रम स्थल पर आखिर तक मौजूद ही थे । हद तो तब हो गयी जब देखने को मिला की एक जोड़े को बिना नया कपड़ा दिए ही काले कपड़े में बिठाकर उसका विवाह संपन्न कराया दिया गया । यहाँ आपको बताते चलें कि कितने अरमान लिए एक गरीब लड़की शादी करने के लिए अपने घर से निकली होगी लेकिन वह प्रशासन की दुर्व्यवस्थाओं का शिकार हो गयी । प्रशासन उसे एक लाल जोड़ा तक नहीं दे सका ताकि वह लाल जोड़े में बैठकर शादी रचा सके । किसी प्रकार जिला प्रशासन 607 जोड़ों का विवाह तो संपन्न कराया परन्तु उसमें अब्यवस्था का आलम यह था कि आधे से अधिक शादी के जोड़ो को शासन से अनुमन्य सामानों को भी समाज कल्याण विभाग उपलब्ध नहीं करा सका। विभाग ने शादी के जोड़ों को दिए जाने वाले सामानों की बकाया सामान की एक लिस्ट थमा कर अपने कर्त्तव्यों की इति श्री कर राहत भरी सांस ली ।
वैवाहिक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव गोंड़ से जब अधिकारियों के न पहुंचने का कारण पूछा गया तो मंत्री जी बंगलें झांकते नजर आये । मंत्री जी को सामूहिक विवाह में कुल जोड़ों की संख्या भी ज्यादा ही बताया गया था जबकि मौके पर शादी कम ही हुई । कुल मिलाकर इस बार जिस उत्साह से सामूहिक विवाह होना चाहिए वह दुर्व्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया । लेकिन अधिकारियों के लिए राहत भरी बात यह रही कि इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम से मंत्री जी खुश थे ।