सोनभद्र।पिछले कुछ वर्षों से राबर्ट्सगंज शहर उर्फ टांड़ के दौर में जमींदार अपनी जमींदारी के कागज़ातों व अपने अधिकारों के लिए प्रशासन से मांग कर रहे थे और जब प्रशासन ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो शहर में जमीनी विवाद बढ़ने लगे।किस जमीन पर किसका अधिकार है यह तय नहीं हो पा रहा था ।कहीं की जमीन पर यहां के जमींदार अपना अधिकार बताते तो उसी पर दूसरा अन्य अपना अधिकार बता उसकी खरीद बिक्री कर देता।विवाद बढ़ता देख व अपने कानूनी अधिकारों की रक्षा हेतु जमींदार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जहां से जिलाधिकारी सोनभद्र को समयबद्ध करते हुए उनके कागजात दुरुस्त कर उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया।परन्तु उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी जमीनदारी मुहाल के कागजात तैयार कर उन्हें उपलब्ध नही कराया जा सका।

इसके बाद जमींदार पारस अग्रहरी उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर दी जिसकी सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने एक तिथि नियत कर जिलाधिकारी को निर्देशित किया कि यदि उक्त तिथि तक कागजात दुरुस्त कर जमींदार को उपलब्ध नहीं कराए जाते तो जिलाधिकारी न्यायालय के आदेश की अवमानना के दोषी माने जाएंगे।

इसी आदेश के पालन में तहसील राबर्ट्सगंज के मातहतों द्वारा जिसमे लेखपाल व कानूनगो शामिल थे ,जमींदार को उनके समस्त कागजात जिसमे उनकी जमीनदारी क्षेत्र की खतौनी, पट्टा रजिस्टर, उनका खेवट व उनकी दैनंदिन आदि है को उन्हें उपलब्ध करा दिया।