परन्तु यही आकाशीय बिजली वर्किग पीरियड में होती तो हालात खौफनाक हो सकते थे। इस घटना से एक बार पुनः सिस्टम को आकाशीय बिजली की रोकथाम हेतु कारगर कदम उठाने के लिए गौर ओ फ़िक्र करने पर नए शिरे से विचार करने की जरूरत महशूस किया है।
अभी तक अधिकांशतः पहाड़ी एवं जंगली एरिया में वज्रपात अधिक देखने को मिलता था। परंतु अब परिस्थितियों ने ऐसा करवट लिया है कि वज्रपात ने शहरी इलाकों में स्थित इंसाफ के दहलीज़ पर दस्तक़ देना शुरू कर दिया है।
आदिवासी अंचल में मानसून सीज़न में हर साल वज्रपात के चलते व्यापक धन जन की हानि होती है। परन्तु मामला समाज के ऐसे तबके का रहता है जिसे सिस्टम ने हाशिये पर डाल रखा है। इसलिए इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। वज्रपात बाहुल्य इलाकों में आजतक आकाशीय बिजली की मारक क्षमता को नगण्य करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। मामला विधान सभा से लेकर लोकसभा में समय समय पर उठता रहा है। फिर भी तड़ित चालक यंत्र एवं दूसरे उपाय आजतक नहीं किये गए हैं।
आकाशीय बिजली की कहर से लगातार मज़लूमों को दो चार होना पड़ रहा है। लेकिन न्याय के चौखट पर वज्रपात के दस्तक़ देने से शायद कोई सुधि लेने वाला आगे आये। इलाहाबाद हाईकोर्ट मे कोर्ट की छत पर बिजली गिरने के कारण छत मे आई दरार के चलते कोर्ट रूम मे भरा पानी सिस्टम को बदलने की ओर इशारा कर रहा है।
वहीं प्रयागराज जनपद में आकाशीय बिजली ने दिनांक 23 सितम्बर 2022 को व्यापक रूप में कहर मचाया। इस दौरान एक दर्जन स्थलों पर वज्रपात ने तांडव मचाया। वज्रपात ने अपनी चपेट में धार्मिक स्थलों को भी ले लिया। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में वज्रपात की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई। साथ ही दो लोग गम्भीर रूप से घायल हो गये। नरेश पुत्र रामबली, उस्मान पुत्र अकील अहमद एवं राजबाबू पुत्र हीरा लाल आकाशीय बिजली की चपेट में आने से मौत की आगोश में समा गए। साथ ही रामसिंह पुत्र सूर्यबली एवं ग्यास पुत्र अली ग्यास गंभीर रूप से घायल ज़िंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।