तहसील दिवस पर दूर दराज से आने वाली भीड़ को देखते हुए ही शायद जिलाधिकारी के मन मे यह ख्याल आया कि यदि यही जिम्मेंदार अधिकारी ग्राम स्तर पर एक दिन उनके ही गांव में पहुंच जायँ तो इन ग्रामीणों को इतनी दूर अपनी छोटी छोटी समस्याओं के निवारण के लिए नहीं आना पड़ेगा।यहां यह बात भी बताते चलें कि तहसील दिवस में उमड़ने वाली भीड़ में अधिकांश राजस्व सम्बन्धी विवाद जैसे जमीनी विवाद या फिर जमीन की नापी आदि से सम्बंधित या फिर पेंसन सम्बन्धी शिकायत या फिर ग्राम स्तर पर कराए जाने वाले कार्यों में लापरवाही की शिकायत ही लेकर आते थे।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी ने ग्राम समाधान दिवस की शुरुआत कराई जिसमे प्रत्येक सोमवार को रोस्टर के हिसाब से न्याय पंचायत के जिस ग्राम पंचायत में ग्राम समाधान दिवस आयोजित होना है वहां सारे अधिकारी मौजूद रहते हैं और आने वाली शिकायतों की मॉनिटरिंग हेतु एक जिला स्तरीय अधिकारी भी वहीं मौजूद होता है।आने वाली शिकायतों को वहीं निस्तारण किया जाता है और यदि समस्या तुरंत निस्तारण के योग्य नहीं है तो आगे के लिए उच्चाधिकारियों को अग्रसारित कर दी जाती है।
यहां आपको बताते चलें कि अभी एक माह पहले शुरू की गई जिलाधिकारी के इस ग्राम समाधान दिवस रूपी पहल के सार्थक परिणाम सामने दिखने लगे हैं।तहसील दिवस पर अपनी समस्याओं /शिकायतों को लेकर उमड़ने वाली फरियादियों की भीड़ में केवल एक माह में ही 50 से 60 प्रतिशत की कमी देखी जा रही है।तहसील दिवस पर अधिकारियों के सामने फरियाद लेकर लाइन लगाए दूर दराज से आने वाले लोगों की भीड़ में कमी निश्चित ही यह दर्शाता है कि ग्राम समाधान दिवस यदि इसी तरह चलता रहा तो अपनी छोटी छोटी समस्याओं को लेकर दूर दराज से चलकर अधिकारियों के चक्कर लगाने को बाध्य गरीब आदिवासियों को निजात मिल सकती है क्योकि जब उनकी उन समस्याओं को उनके घर के आस पास ही निस्तारण कर दिया जाएगा तो वह इतनी दूर क्यों आना चाहेगा।
फिलहाल तो तहसील दिवस पर उमड़ने वाली भीड़ में कमी व आन लाइन शिकायतों वाले पोर्टल पर दर्ज होने वाली शिकायतों में उत्तरोत्तर कमी से यह तो कहा ही जा सकता है कि जिलाधिकारी की पहल के सफल परिणाम सामने आने लगे हैं।