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गाँवो से गायब सफाई कर्मी:सफाई कर्मियों की नियुक्ति हुई थी गांवों की सफाई के लिए , मगर नौकरी कर रहे ऑफिस और साहेब के घरों में

बहरहाल अब देखना ही कि डीपीआरओ के पत्र के बाद जिले के सभी एडीओ पंचायत कब आदेश का पालन करना सुनिश्चित करेंगे और साहेब के दफ्तर , कीचन व ड्राइविंग सीट से निकल कर सफाई कर्मी राजस्व गांव पहुंचकर अपने मूल कामों को करेंगे ।

सोनभद्र। इन दिनों सोनभद्र के म्योरपुर ब्लाक के मकरा सिंदूर गांव में फैली रहस्यमयी बीमारी के कारण आदिवासी समुदाय के लोगो की लगातार हो रही मौत पर सूबे की राजधानी तक गरमाई राजनीति के तहत जिले में स्वास्थ्य विभाग की नाकामियों को छुपाने के लिए सफाई के मसले को कुछ अधिक ही तूल दिया जा रहा है यही वजह है कि गाँवो की साफ सफाई के लिए जिम्मेदार पंचायत विभाग पर सबकी नजर टिक गई है। यह तो सही है कि संचारी रोगों के फैलने की एक वजह साफ सफाई का न होना भी है और मकरा सिंदूर को जिस तरह से रहस्यमयी बीमारी ने अपनी चपेट में लिया है इससे तो यह कहा ही जा सकता है कि बीमारी संचारी है और यदि सरकारी अमला अपना कर्तव्य का सही निर्वहन करता तो इन मौतों के आंकड़े को कम किया जा सकता है। यहां यह भी ध्यातव्य है कि सरकार ने हर गांव को साफ सुथरा रखने के लिए सफाई कर्मियों की नियुक्ति की थी । लेकिन नियुक्ति के बाद से ही सफाई कर्मियों पर मनमानी करने का आरोप लगने लगा है । यूं तो कागजों पर पूरे जनपद में 1402 सफाई कर्मियों की नियुक्ति है लेकिन इनमें ज्यादातर कागजों पर ही नौकरी कर रहे हैं ।

सूत्रों के मुताबिक कई सफाईकर्मी प्रधान से सांठगांठ बनाकर नौकरी कर रहे हैं तो कई सफाई कर्मी अधिकारियों की सेवा कर वेतन उठा रहे हैं । सूत्रों की माने तो कई अधिकारियों ने अपने निजी कामों को निपटाने के लिए कई सफाई कर्मियों को अपने घर पर लगा रखा है , जो गांव न जाकर अधिकारियों के निजी कामों को निपटा रहे हैं । बताया तो यह भी जाता है कि कई सफाई कमीं साहेब के घरों के कीचन से लेकर गाड़ी तक संभाले हुए हैं । विंध्यलीडर की टीम के हाथ लगे एक पत्र से साफ हैं कि जिलापंचायत राज अधिकारी के पत्र लिखने के बाद भी एडीओ पंचायत ऐसे सफाई कर्मियों की सूची नहीं दे रहे हैं जो गांव में बिना गए ,अथवा बिना गांव में काम के ही वेतन उठा रहे हैं ।

जिसका जिक्र डीपीआरओ ने अपने पत्र में भी किया है । इससे साफ है कि पंचायत विभाग में सफाई कर्मियों के नियुक्ति व उनकी को लेकर कैसे खेल चल रहा है । यही कारण है कि जब गांवों में साफ सफाई नहीं रहेगी तो बीमारियां बढ़ेंगी और मकरा जैसी घटनाटनाएँ घटती रहेंगी ।

आपको बताते चलें कि सुशील कुमार नामक एक व्यक्ति ने न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर सफाई कर्मियों की कार्यप्रणाली पर पर कई गंभीर सवाल खड़े किये उन्होंने जनहित याचिका में कहा कि सफाई कर्मियों की नियुक्ति गांवो की साफ सफाई के लिए किया गया है जबकि अधिकतर सफाई कर्मी प्रधान अथवा जिलास्तरीय अधिकारियों से सांठगांठ कर गांवो में बिना आये ही वेतन ले रहे हैं। उक्त जनहित याचिका को निपटाते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार को कुछ निर्देश दिए हैं जिसके बाद डीपीआरओ ने सभी एडीओ पंचायत को पत्र लिखकर कहा था कि प्रत्येक सफाईकर्मी की तैनाती राजस्व ग्राम में सुनिश्चित की जाये एवं राजस्व ग्राम से प्राप्त पे रोल के आधार पर ही वेतन भुगतान किया जायेगा

। डीपीआरओ ने अपने पत्र में साफ लिखा है कि यदि आपके विकास खण्ड से सफाईकर्मी किसी अन्य कार्यालय में सम्बद हैं तो उन्हें तत्काल सूचित करके तैनाती के राजस्व ग्राम में कार्य हेतु निर्देशित कर दें , अन्यथा सफाईकर्मी के अन्य स्थानों पर तैनात पाये जाने पर उसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी आपकी होगी । साथ ही प्रत्येक माह पे – रोल के साथ इस आशय का प्रमाण पत्र भी प्रेषित किया जाय कि समस्त सफाईकर्मी अपने तैनाती के राजस्व ग्राम में कार्य कर रहे हैं । इतना ही नहीं सफाई कर्मियों के लिए एडीओ पंचायतों ने अब तक किसी माह पे रोल के साथ प्रमाणपत्र नहीं भेजा

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