Saturday, July 27, 2024
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Breking : प्रदेश में भीषण गर्मी से हो रही मौतों पर आईपीएफ ने जताई गहरी चिंता

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–लू से मौतों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई के बजाय महज की जा रही है बयानबाजी
—सोनभद्र में लचर स्वास्थ्य सेवाओं, पेयजल संकट और अघोषित बिजली कटौती से लोगों की मुश्किलें बढ़ीं

Sonbhdra news (सोनभद्र)। प्रचंड गर्मी में हीट वेब एवं हीट स्ट्रोक से लगातार हो रही मौतों पर आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने गहरी चिंता जताई है। संगठन के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने सीएम को ट्वीट कर तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि बलिया, सोनभद्र, मिर्जापुर समेत प्रदेश के अन्य भागों में भीषण गर्मी की वजह सैकड़ों मौतें हुई हैं, अगर सरकार इससे निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाती तो इतने बड़े पैमाने पर मौंते नहीं होतीं।

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सोनभद्र जैसे जनपदों में तो ग्रामीण क्षेत्र में स्थित स्वास्थ्य केंद्र व अस्पताल बदहाल होने, पेयजल संकट और अघोषित बिजली कटौती से हालात और बदतर हुए हैं। अभी तक सरकार ने महज बयानबाजी, एडवाइजरी और गाईडलाईन जारी करने के सिवाय ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे इन मौतों को रोकने में मदद मिलती। अगर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं समेत मौजूदा हालात से निपटने के लिए समय रहते प्रभावी कदम उठाए जाते तो इतने लोगों को अपनी जान न गवानी पड़ती। वास्तव में स्वास्थ्य महकमे के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने के बजाय सरकार का फोकस प्रचार पर है और कोरोना महामारी के बाद एक बार फिर प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था उजागर हुई है। इसी तरह सरकारी दावा है कि तय शड्यूल के अनुसार लोगों को बिजली मिल रही है। जबकि बिजली की जबरदस्त कटौती की वजह से शहरों में भी लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

आइपीएफ के राजेन्द्र प्रसाद गोंड, मगरु प्रसाद श्याम और इंद्रदेव खरवार द्वारा रिहंद जलाशय के सटे गांवों सोढ़ो, टांगा पाथर व डडीहरा आदि के दौरे में जारी रिपोर्ट के हवाले बताया कि एक बड़े क्षेत्र में अधिकांश बंधी, बाऊली, कुएं व हैंडपंपों के सूख जाने से एक किमी दूर तक से पानी लाना पड़ता है। हजारों ग्रामीण रिहंद जलाशय का जहरीला पीने को विवश हैं। ठेका मजदूर यूनियन के जिला मंत्री तेजधारी गुप्ता ने बताया कि यही स्थिति भाठ क्षेत्र के गांवों में है।
आगे दिनकर कपूर ने कहा कि देश में 176 नदियों के सूखने संबंधी मीडिया रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है। दरअसल यह अवैध खनन और कारपोरेट हितैषी नीतियों की देन है जिससे पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंची है और जबरदस्त जल संकट पैदा हुआ है।

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