Thursday, April 25, 2024
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भयंकर शीतलहर के बीच चढ़ा सोनांचल का सियासी पारा

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सोनभद्र से ब्रजेश पाठक व राजेंद्र द्विवेदी की रिपोर्ट

बहरहाल क्रिकेट के खेल व राजनीति में कब क्या होगा यह कहना तो थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि नेता अपने फायदे के लिए कब कहाँ रहेंगे यह बात वह खुद भी नहीं जानते । वजह साफ है की राजनीति अब सेवा नहीं बल्कि मेवा उगलने वाली वह जमीन हो गयी है जिसपर इन सियासी नेताओं ने आजादी के बाद कब्जा जमा लिया है और इन नेताओं में एक खूबी यह होती है कि वे सियासी रुख पहले ही भांप लेते हैं और चुनाव पूर्व ही पाला बदलने का खेल शुरू हो जाता है।

सोनभद्र । जिला भयंकर शीतलहरी की चपेट में है लेकिन सोनांचल का सियासी पारा बेहद गर्म हो चला है । बीजेपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद जिले की राजनीति भी गरमा गई है वजह साफ है स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी रहे अनिल मौर्य को लेकर कल से जिले में तमाम अटकलें लगाई जा रही है । हालांकि घोरावल से बीजेपी विधायक अनिल मौर्य के समर्थक लगातार सोशल मीडिया पर उनके बीजेपी में बने रहने की बात कर रहे हैं । पर इस सियासी गड़ित के बनते बिगड़ते इस खेल में वह कब तक अपने वादे पर कायम रहते हैं यह आने वाले समय में ही पता चलेगा। सोनभद्र की बात करें तो जिले में अपनादल ( एस ) ने जिले की सभी चार सीटों पर बीजेपी नेताओं की कैसे सियासी गणित बिगाड़ दिया है यह हम आपको आगे बताने वाले हैं ।

2017 में अपनादल ( एस ) ने दुद्धी से दावेदारी की थी और वहां से जीत भी हासिल की। इस बीच अपनादल (एस) ने अपनी सियासी ताकत वृद्धि करने में लगा रहा और 2017 से 2022 तक के सियासी सफर में अपनादल ने जिले में अपनी स्थिति इतनी मजबूत कर ली कि आज वह भाजपा के समकक्ष खड़ा नजर आ रहा है ।यही वजह है कि वह सोनभद्र में विधानसभा क्षेत्र के दो सीटों पर अपनी दावेदारी बहुत हीं मजबूती से ठोंक कर भाजपा नेताओं की सारी गड़ित ही बिगाड़ दिया है। सूत्रों की माने तो इस बार अपनादल ( एस ) दुद्धी से दावेदारी नहीं करना चाहता बल्कि वह एक सीट घाट नीचे व एक सीट घाट ऊपर मांग रहा है। इस तरह से देखा जाय तो घाट नीचे दो विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमे वह दुद्धी से लड़ना नहीं चाहती तो अपनादल ने घाट नीचे की बची ओबरा विधानसभा सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी ठोंक दी है इससे भाजपा से आदिवासी चेहरा के रूप में मंन्त्री बने वर्तमान ओबरा विधायक संजीव गोंड़ का सियासी समीकरण ही बिगड़ गया है। अब आती है घाट ऊपर की घोरावल व राबर्ट्सगंज की विधानसभा क्षेत्र में अपनादल ने एक सीट पर मजबूती के साथ अपनी दावेदारी पेश की है।

अब रावर्ट्सगंज विधानसभा की बात करें तो सदर की सीट बेहद दिलचस्प हो चली है । सूत्रों की माने तो अपनादल ( एस ) के टिकट पर यहां से अभिषेक चौबे के चुनाव लड़ने की चर्चा ने इस बात की हवा को और मजबूत कर दिया है कि क्या जिले की भाजपा में चल रही संगठनात्मक अंतर्कलह का फायदा अपनादल नेता अभिषेक चौबे को मिल सकता है । सूत्रों के मुताबिक जैसे जिला पंचायत में बीजेपी को कलह की वजह से सीट गंवानी पड़ी थी लगता है उसी तरह का नजारा विधानसभा में भी देखने को मिल सकता है।

अब यदि सूत्रों के हवाले से मिल रही खबर पर यकीन करें तो दुद्धी सीट छोड़ने के बाद विधायक हरिराम चेरो का क्या होगा ? क्या वे किसी दूसरे दल में अपना भाग्य आजमा आएंगे या फिर इस बार उन्हें राजनीति में विश्राम करना पड़ेगा ?यह ससवाल भी लोगों को मथ रहा है ,वैसे दुद्धी से वर्तमान विधायक हरिराम चेरो ने अभी अपना पत्ता नहीं खोला है अब देखना होगा कि उनका कदम क्या होता है।

मंगलवार को जिस तरह से सूबे की राजनीति में उठापटक हुआ उसे लेकर घोरावल विधायक अनिल मौर्या की चर्चा होना स्वभाविक है । लेकिन जब तक बीजेपी की तरफ से टिकट को लेकर कोई संदेश नहीं मिल जाता तब तक कोई फैसला नहीं ले पा रहे।यहीं कारण हैं कि घोरावल विधायक मीडिया से दूरी बनाये हुए हैं ।

अब यदि यह सीट अपनादल ( एस ) के खाते में जाती है तो फिर बीजेपी विधायक अनिल मौर्य का क्या होगा ? बीजेपी विधायक के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोबारा टिकट लेने की होगी । घोरावल विधायक को यह तो पता है कि अपनादल गठबंधन को कम से कम एक सीट जाना तय है और वह सीट यदि घोरावल हुआ तो उन्हें भी राजनीति विश्राम करना पड़ सकता है ।

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