Friday, April 19, 2024
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एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला प्रान्त बना !

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अधिवक्ताओं के लिए ऐसा कानून लाने वाला राजस्थान देश में पहला राज्य बन गया है. मतलब अगर कहीं भी वकील पर उसके कार्य के संबंध में हिंसा की जाती है तो इस एक्ट में वकील को प्रोटेक्शन मिलेगा.

जयपुर. राजस्थान में अगर किसी ने वकील पर हाथ उठाया तो वह गैर जमानती अपराध माना जाएगा. वकीलों की लंबित मांग को पूरा करते हुए मंगलवार को सरकार ने विधानसभा में राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 पारित करवाया. इस विधेयक की मांग अधिवक्ता समुदाय लंबे समय से कर रहा था.

सदन से यह विधेयक पारित होते ही अधिवक्ता समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई. विधेयक पारित होते ही सेशन कोर्ट में अधिवक्ताओं ने गुलाल से होली खेली. इस बिल की मांग को लेकर प्रदेश की अदालतों में 20 फरवरी से वकील कार्य बहिष्कार पर चल रहे थे. अब बिल पारित होने के बाद वकील कल से अदालतों में काम पर लौटेंगे.

बिल पारित होने के बाद वकीलों ने सरकार का धन्यवाद भी जताया. द बार एसोसिएशन जयपुर ने प्रत्येक 21 मार्च को धन्यवाद दिवस मनाने का एलान भी किया है. बार काउंसिल के पूर्व चैयरमेन व कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने बताया कि यह कानून लाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है.

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले जब राहुल गांधी जयपुर आए थे तब वकीलों ने उन्हें इस तरह के कानून का बनाने का ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इसे शामिल किया था लेकिन पिछले पिछले 4 साल से यह घोषणा लंबित चल रही थी.

उन्होंने यह बिल पास करवाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधि मंत्री शांति धारीवाल और सभी विधायकों का धन्यवाद दिया. राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिसमें अगर किसी वकील के साथ उसके कार्य के संबंध में हमला, घोर उपहित, आपराधिक बल, अपहरण का प्रयास किया गया तो यह गैर जमानती अपराध माना जाएगा.

इसके अलावा आरोप सिद्ध होने पर आरोपी को 7 साल की जेल और 20 हजार रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है. इसके साथ ही बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो न्यायालय आरोपी से वकील को क्षतिपूर्ति दिलवाएगा. पहले बिल में यह प्रावधान न्यायालय परिसर तक ही सीमित किए गए थे लेकिन वकीलों की मांग पर इस बिल की धारा-3 में संशोधन करके उसे पूरे प्रदेश के लिए में लागू किया गया है.

मतलब अगर कहीं भी वकील पर उसके कार्य के संबंध में हिंसा की जाती है तो इस एक्ट में वकील को प्रोटेक्शन मिलेगा. इसके अलावा बिल की धारा-9 को भी विलोपित कर दिया गया है. पहले वकील द्वारा अपने कर्त्तव्य का निर्वहन नहीं करने पर एक्ट में उसके खिलाफ मुवक्किल को भी शिकायत करने का अधिकार दिया गया था लेकिन क्योंकि एडवोकेट एक्ट में पहले से ही वकील की शिकायत का प्रावधान है.

ऐसे में इस एक्ट से इस प्रावधान को हटा दिया गया है. वहीं धारा-11 को भी संशोधित किया गया है. इसमें पहले कहा गया था कि अगर कोई वकील इस एक्ट का दुरुपयोग करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती थी लेकिन अब सजा को 2 साल तक कर दिया गया है.

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