जिला सभा एवं प्रदेश सभा के औचित्य को नकार प्रकाश दास खुद बने प्रधान
नियम कायदे दरकिनार,बहन प्रधानाध्यापिका और भाई बना मंत्री।
चोपन सोनभद्र। शुक्रवार की सुबह चोपन नगर क्षेत्र में अखबारों के वितरण के साथ ही आर्य समाज चोपन का एक पंपलेट भी वितरित हुआ है जिसमें मुख्य रूप से प्रकाश दास- प्रधान, अर्जुन विश्वकर्मा- उप प्रधान, धीरज चक्रवर्ती- मंत्री,महेंद्र सिंह कोषाध्यक्ष के रूप में दर्शाए गए हैं।
नए पदाधिकारियों का नाम देख लोग आश्चर्यचकित हैं।
आइये मिलते हैं आर्य समाज चोपन के तथाकथित पदाधिकारियों से…
1-प्रधान – प्रकाश दास
अवकाश प्राप्त रेल कर्मी, करीब दो दशकों से आर्य समाज चोपन के मंत्री रहे। वर्तमान में आपकी पत्नी और पुत्र सभी आर्य समाज चोपन के सदस्य हैं।पूरा परिवार ही आर्य समाज और विद्यालय को अपना बनाने में लगा है। दो दशकों से आर्य शिशु मंदिर स्कूल के बच्चों से प्राप्त फीस का पूरा पैसा नगदी के रूप में होने के बावजूद प्रधान शम्भू प्रसाद के निधन के बाद अब आप पिछले आय व्यय का पूरा ठीकरा शम्भू के सिर फोड़ खुद को ईमानदार दिखना चाहते हैं।
उपलब्धि – #-आर्य समाज के एक बिजली बिल पर करीब तीन लाख का बकाया।
आपके व्यक्तित्व के सम्मुख आर्य समाज की जिला एवं प्रदेश सभा असहाय।
2- उप प्रधान- अर्जुन विश्वकर्मा उर्फ गोपाल जी
चोपन में लोग आपको गोपाल लाइट के नाम से जानते हैं। समय-समय पर आप स्कूल मैदान का स्वहित में बेहतरीन उपयोग कर लेते हैं। समाज एवं विद्यालय के विकास केलिए आप कितने उपयोगी है यह बताने की आवश्यकता नहीं..
3- मंत्री – धीरज चक्रवर्ती
आप आर्य शिशु मंदिर की प्रधानाध्यापिका के भाई हैं और स्कूल गेट की रेल भूमि पर अपनी कापी किताब की दुकान चलाते हैं।आर्य समाज स्कूल की क़िताबें केवल आपकी दुकान पर ही उपलब्ध हैं। वैसे आपकी एक खासियत और भी है। नगर के पूराने अनुभव बताते हैं कि अगर आपको किसी ने गलती से अपनी दुकान किराए पर दे तो आप उसे अपनी संपत्ति मान बैठते हैं।
अब मंत्री के रूप में आप नयी भूमिका निभाने को तैयार हैं। देखिए क्या गुल खिलता है..
4-कोषाध्यक्ष – महेंद्र सिंह
आप भी दो दशकों से आर्य समाज के कोषाध्यक्ष पद पर आसीन हैं।बीच में चर्चा थी कि आपने कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन नये पम्पलेट से स्पष्ट हो गया कि पद पर आप अभी भी विराजमान हैं और मिली भगत के खेल में आप की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।दो दशकों के पिछले कार्यकाल में आपने संस्था का खाता कभी भी बैंक में खोलने की आवश्यकता नहीं समझी। आपकी पत्नी भी जो एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका है वह भी आर्य समाज चोपन में सक्रिय सदस्य है।
आप सब महानुभावों के सानिध्य में करीब 6 दशक पुराना विद्यालय जिसका कभी गौरवशाली इतिहास रहा है जहां कभी 700+ बच्चे हुआ करते थे आज सौ के आसपास पहुंच गए हैं। आज 10 से अधिक कमरे धूल धूसरित खाली पड़े हैं और महज तीन कमरों में पूरा विद्यालय चल रहा है।वर्तमान परिदृश्य में अगर नगर का प्रबुद्व वर्ग उदासीन बना रहा तो कल क्या होगा यह तो समय ही बताएगा…