मध्यांचल डिस्कॉम की बात करें तो 1546 उपभोक्ताओं से 4 करोड़ एक लाख 22506 रुपए की वसूली की गई है. अब एमडी स्तर से उक्त राशि को लौटाने के लिए आदेश जारी किए गए हैं. अब अगली सुनवाई छह दिसंबर को होगी.
लखनऊ । कॉस्ट डेटा बुक के विपरीत एस्टीमेट बनाए जाने के मामले में अब सच्चाई सामने आने लगी है. पहले जहां बिजली कंपनियों ने 21 अक्टूबर को नियामक आयोग में जवाब दिया था कि सिर्फ दो करोड़ से अधिक की वसूली हुई है, वहीं जब मंगलवार को बिजली कंपनियों के एमडी नियामक आयोग में शपथ पत्र के साथ आए तो दो करोड़ का आंकड़ा दो गुना हो गया. मध्यांचल डिस्कॉम की बात करें तो 1546 उपभोक्ताओं से 4 करोड़ एक लाख 22506 रुपए की वसूली की गई है. अब एमडी स्तर से उक्त राशि को लौटाने के लिए आदेश जारी किए गए हैं. अब अगली सुनवाई छह दिसंबर को होगी.
कॉस्ट डेटाबुक के विपरीत पूरे प्रदेश में सभी बिजली कंपनियों में उपभोक्ताओं से की गई अधिक वसूली के मामले में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर मंगलवार को आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव ने सुनवाई की. यह पहला मौका है जब विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 में सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक विद्युत नियामक आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और अपना-अपना शपथ पत्र आयोग को सौंपा.
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पूर्वांचल की तरफ से प्रबंध निदेशक शंभू कुमार ने आयोग के सामने शपथ पत्र सौंपते हुए कहा कि उनकी बिजली कंपनी में कॉस्ट डाटाबुक के विपरीत लगभग 37 लाख 49 हजार 686 रुपए की अधिक वसूली की गई है, जिसे 15 दिन में वापस कर दिया जाएगा.
इसके बाद केस्को कंपनी के एमडी अनिल धींगरा ने कहा कि उनकी कंपनी में केवल 60 हजार की अधिक वसूली की गई है, जिसे वापस कर दिया गया. पश्चिमांचल के एमडी अरविंद मल्लप्पा बंगाली ने कहा कि केवल 84 उपभोक्ता से 36 लाख 12 हजार 820 की अधिक वसूली की गई है, जिसमें से दो उपभोक्ता को 15052 वापस कर दिया गया है. दक्षिणांचल के एमडी अमित किशोर ने आयोग को शपथ पत्र देकर कहा कि उनके क्षेत्र में केवल मैनपुरी में 12 उपभोक्ताओं से 40 हजार 802 की अधिक वसूली की गई है, जिसे जल्द वापस किया जाएगा.
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सुनवाई में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत 25 मिनट विलंब से पहुंचे, जिस पर विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन ने कहा कि अब आपका केस बाद में सुना जाएगा. अंतत: एक घंटे तक मध्यांचल के प्रबंध निदेशक कोर्ट रूप में उपस्थित रहे. उसके बाद उनका केस सुना गया. एमडी मध्यांचल ने शपथ पत्र दाखिल करते हुए कहा कि उनकी बिजली कंपनी में 1546 बिजली उपभोक्ताओं से 3 करोड़ 27 लाख अधिक वसूली की गई है. जिसकी वापसी के लिए आदेश जारी कर दिया गया है.
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उपभोक्ताओं को अधिक वसूली की धनराशि वापस की जाएगी. उन्होंने पैसा वापस करने के संबंध में जारी आदेश की प्रति भी सौंपी और कहाकि धनराशि आगे बढ़ भी सकती है. इसके अलावा आयोग के चेयरमैन ने दक्षिणांचल के एमडी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहाकि आपने केवल एक खंड की ही सूचना दी है और वह भी उचित नहीं लग रही है. आप पूरे दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के सभी खंडों की जांच पड़ताल करके 22 नवंबर को पूरी रिपोर्ट लेकर दोबारा व्यक्तिगत रूप से आयोग के सामने उपस्थित हों.
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हाल में ही 21 अक्टूबर को बिजली कंपनियों ने जो आयोग में जवाब दाखिल किया था, उसमें कुल दो करोड़ 27 लाख अधिक वसूली की बात कही गई थी. अब शपथ पत्र पर वह अधिक वसूली की धनराशि चार करोड़ एक लाख 22506 हो गई है यानी की शपथ पत्र मांगते ही अधिक वसूली की धनराशि में लगभग दो करोड़ का इजाफा हो गया.
प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस कंपनी में मुरादाबाद, गाजियाबाद सहित अनेकों विद्युत वितरण खंडों में पावर काॅरपोरेशन द्वारा आयोग को प्रस्तावित नई कॉस्ट डाटा बुक जिस पर अभी आयोग द्वारा अनुमोदन किया जाना बाकी है, उसे ही लागू कर दिया गया.
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उपभोक्ता परिषद ने अनेकों उपभोक्ताओ का साक्ष्य आयोग के सामने प्रस्तुत किए. पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम, जिसके द्वारा पूर्व में कहा गया था कि उसकी कंपनी में अधिक वसूली नहीं हुई है, अभी सही तरीके से जांच की जाए तो करोड़ों रुपए की अधिक वसूली सामने आएगी. इसके बाद दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह वही कंपनी है, जिसके द्वारा 21 अक्टूबर को कहा गया था कि उसकी कंपनी में कोई भी अधिक वसूली नहीं हुई है.
उपभोक्ता परिषद ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के पुवायां शाहजहांपुर का एक केस पेश करते हुए कहा कि बरेली क्षेत्र में अधिक वसूली के केस दिखाए गए हैं. यहां पर अधिक वसूली की गई है, इसलिए पुन: सभी खंडों की विस्तृत जांच कराई जाए.
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उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के मामले में भी साक्ष्य पेश करते हुए कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा मऊ क्षेत्र में कॉस्ट डाटा बुक का उल्लंघन नहीं दिखाया गया है, जबकि ऊर्जा मंत्री के क्षेत्र मऊ में कॉस्ट डाटा बुक का उल्लंघन हुआ है. ऐसे में अभी पूर्वांचल को और कार्रवाई कर सही रिपोर्ट देनी चाहिए.
उपभोक्ता परिषद ने कॉस्ट डाटाबुक के विपरीत पावर काॅरपोरेशन द्वारा जारी आदेश से भिन्न उपभोक्ताओं से जीएसटी के मद में भी अधिक वसूली का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इसमें भी करोड़ों की वसूली की गई है. उपभोक्ता परिषद ने कहा कि बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं से अधिक वसूल की गई धनराशि को उन्हें वापस किया जाना चाहिए.
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अगर बिजली कंपनियां बार-बार गलत बयानी करेंगी तो आयोग को बिजली कंपनियों के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 धारा 146 दोनों के तहत कार्रवाई करना चाहिए. जिस पर आयोग चेयरमैन ने उपभोक्ता परिषद से पूछा कि आप बिजली कंपनियों पर कार्रवाई चाहते हैं या जनता की अधिक वसूली की वापसी, इस पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा पहले उपभोक्ताओं से अधिक वसूली की वापसी कराई जाए फिर अगर बिजली कंपनियां बार-बार झूठ बोलती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.