Thursday, May 2, 2024
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सोनभद्र के आदिवासियों में क्रांति की मशाल जलाई थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने

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नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर विशेष

सन 1939- 40 में नेता जी का मिर्जापुर के लालगंज में हुआ था आगमन।

नेताजी के ओजस्वी भाषण से प्रभावित हो आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे क्षेत्रवासी

  • नेताजी की आदम कद की प्रतिमा स्थापित कराने की मांग

सोनभद्र। क्रांतिकारियों, देशभक्तों व स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जन्म भूमि एवं कर्मभूमि रही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के जंगली ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासियों, पिछड़ी जाति की स्त्रियों, पुरुषों,युवाओं के हृदय में आजादी का जज्बा जगाने के लिए आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस सन 1939- 40 में मिर्जापुर जनपद की यात्रा कर लोगों में आजादी का अलख जगाया था ।
विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक/इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-“सन 1939 -40 के दरम्यान नेताजी सुभाष चंद्र बोस कोलकाता से दिल्ली जाते समय मिर्जापुर आए और रेलवे स्टेशन से बग्गी पर सवार होकर लालगंज के मिलिट्री परेड ग्राउंड के सामने उपरौथ इंटर कॉलेज पहुंचे। वहां पर स्थानीय नेताओं के स्वागत, सत्कार के पश्चात मिट्टी के चबूतरे पर खड़े होकर उन्होंने वहाँ उपस्थित विशाल जनसभा को संबोधित किया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के इस भाषण से इस क्षेत्र की जनता काफी प्रभावित हुई और सभा मे नेताजी के ओजस्वी भाषण से प्रभावित होकर आदिवासी नेता सैठोले कोल सभा स्थल से ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने का संकल्प लिया और मिर्जापुर- सोनभद्र के जंगलों में 10,000 से अधिक घरो मै जाकर अंग्रेजो के खिलाफ आदिवासियों को अंग्रेज शासन के खिलाफ संगठित कर अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए तैयार किया। आदिवासियों के तेवर को देखकर ब्रिटिश हुकूमत डर गई और अंग्रेज पुलिस जगह- जगह पर कोल नेता की गिरफ्तारी के लिए दबिस देने लगी लेकिन अंग्रेजी फ़ौज नाकाम रही।


सन 1940 में जब देश में मुस्लिम लीग और कांग्रेस के मध्य विचारधारा की टकराहट की स्थिति उत्पन्न हो गई और देश में संप्रदायिकता जहर तेजी के साथ फैलने लगा था, ऐसे माहौल में मिर्जापुर जनपद के कांग्रेसी नेता बैरिस्टर युसूफ इमाम के नेतृत्व में इस जनपद में स्वतंत्रता आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था। इसी वर्ष जिला कांग्रेस कमेटी मिर्जापुर का चुनाव हुआ जिसमें वर्तमान सोनभद्र जनपद के गुरु परासी के निवासी, मिर्जापुर के गांधी कहे जाने वाले पंडित महादेव प्रसाद चौबे को कांग्रेस पार्टी का मिर्जापुर का जिला अध्यक्ष चुना गया।
उनके नेतृत्व में जनपद में कांग्रेस कमेटी से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने, स्वतंत्रता आंदोलन का प्रचार के
लिए दो दिवसीय राजनैतिक सम्मेलन 7-8 मार्च को लालगंज में आयोजित हुआ।


इस सम्मेलन में भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, क्रांतिकारी, आजाद हिंद फौज के संस्थापक, युवाओं के दिलों की धड़कन सुभाष चंद्र बोस भी पधारे थे। इस महान क्रांतिकारी के विचारों को सुनने के लिए सोनभद्र जनपद के प्रख्यात क्रांतिकारी बलराम दास केसरवानी के नेतृत्व में रॉबर्ट्सगंज व दुद्धी से तथा डॉक्टर विश्राम सिंह के नेतृत्व में चुनार तहसील से व प्रख्यात गांधीवादी नेता बैरिस्टर युसूफ इमाम के नेतृत्व में मिर्जापुर तहसील से सैकड़ों आंदोलनकारी लालगंज में आयोजित पांचवें राजनीतिक सम्मेलन मैं पंहुचे। इसी सम्मेलन में नेताजी ने 2 घंटे तक अपना ओजस्वी भाषण दिया और सभा में उपस्थित हजारों लोगों ने उनके भाषण को सुना और गुना। इस सभा मे कांग्रेस पार्टी के प्रांतीय नेता जेड अहमद ने भी भाषण दिया था। नेताजी का मिर्जापुर में आगमन से मिर्जापुर जनपद के शहरी, ग्रामीण, आदिवासी इलाकों में रहने वाले आंदोलनकारियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा और नवयुवक नेताजी से प्रेरित होकर कांग्रेस के साथ जुड मातृभूमि को आजाद कराने का संकल्प लेकर आगे आये जिसका परिणाम 1940 के बाद होने वाले आंदोलन में दिखा और युवाओं ने उसके बाद के आंदोलनों में उत्साह से ब्रिटिश साम्राज्य से लोहा लिया।
आज जब देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वी जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है और अंडमान निकोबार के 25 दीपों का नामकरण परमवीर चक्र प्राप्त वीर योद्धाओं के नाम पर किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में मिर्जापुर जनपद के लालगंज के उपरौथ इंटर कॉलेज जहां पर नेता जी ने सभा को संबोधित किया था यहां पर नेताजी की आदम कद की प्रतिमा की स्थापना ही नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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