Monday, May 13, 2024
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सोनभद्र का पंचायत राज विभाग जहाँ भ्रष्टाचारियों को सजा नहीं , दिया जाता हैं अभयदान

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सोनभद्र । अभी बेंच घोटाले का मामला ठंडा भी नहीं हुआ कि जिले में शौचालय घोटाले ने पंचायत विभाग की नींद उड़ा दी है। जिले को ओडीएफ घोषित कर वाहवाही लूटने के चक्कर में अधिकारी बिना स्थलीय सत्यापन किये अपने भरोसेमंदों के कहने पर गांवों को ओडीएफ घोषित करते चले गए । लेकिन उन्हें क्या पता कि उनके भरोसेमंद उनके अधीनस्थ ही विभाग का बेड़ा गर्क कर अपने निजी हितों की पूर्ति में लगे हैं।अब जब यह मामला फिर उभर के सामने आने लगा है तब भ्रष्टाचार की परत दर परत खुल के सामने आ रही है।परन्तु आश्चर्य की बात यह है कि जहां भी भ्रष्टाचार सामने आ रहा है तो वहां के तत्कालीन भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों को बचाने में पूरी मशीनरी लग जा रही है।

आपको बताते चलें कि एक समय अधिकारी जिले को ओडीएफ घोषित कर वाहवाही लूटने में लगे थे तो वहीं दूसरी तरफ गांवों के सेक्रेटरी धन लूटने में। आलम यह है कि जिले के ऐसे सैकड़ों ग्राम पंचायत है जहां शौचालय का पैसा तो निकल गया लेकिन शौचालय बना नहीं अर्थात ओडीएफ केवल कागजो पर शौचालय पूर्ण दिखा कर गांव के गांव ओडीएफ अर्थात खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिए गए। कहीं कहीं तो सिर्फ खाना पूर्ति कर अधूरा छोड़ दिया गया।

अब जब एक बार फिर शौचालय का जिन्न बाहर निकल आया है तो पंचायत विभाग की नींद उड़ी हुई है। मगर अभी भी विभाग के अधिकारी वही गलती कर रहे हैं जो पूर्व में अधिकारी कर के चले गए हैं।

यहाँ आपको बताते चलें कि चतरा ब्लाक अंतर्गत सोढा ग्राम पंचायत में निर्मित शौचालयों की जांच की गई तो वहां पूर्व में कागजों में बने लगभग 255 शौचालय जमीन पर नहीं मिले। यानी उसका पैसा तो निकल गया था लेकिन बना नहीं। मजे की बात यह है कि उक्त जांच हुए लगभग छः माह गुजर गए हैं और जांच में दोष सिद्ध होने के बाद सेक्रेटरी पर कार्यवाही करने के बजाय सेक्रेटरी को एक बार फिर मौका दिया गया कि जो शौचालय नहीं बने हैं उसे बनवा दिया जाय, और उक्त चहेते सेक्रेटरी को उसी विकास खण्ड में बड़ी ग्राम पंचायतों का चार्ज दे दिया गया ,अब आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं कि भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों से विभाग किस तरीके से निपटाता है ?

यहाँ आपको यह भी बताते चलें कि जांच के छः माह गुजर तो गए लेकिन वावजूद इसके आज तक अधूरे शौचालय पूरे नही हुए।

सोढा जैसे जिले में कई मामले धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं लेकिन किसी भी मामले पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। यहां आपको यह भी बताते चलें कि कुछ दिनों पूर्व कोन ब्लाक पूर्व में यह चोपन का हिस्सा था,में रात्रि प्रवास पर रुके सदर विधायक को जब सुबह शौचालय जाना हुआ तो जिस गांव में वह प्रवास पर रुके थे उस गांव में कोई शौचालय नही होने की ग्रामीणों की बात पर विधायक जी आश्चर्य में पड़ गए;और उक्त गांव में बने शौचालय की जांच कराई गई।

परन्तु यहां भी परिणाम वही ढाक के तीन पात की तरह शिफर ही रहा और आश्चर्यजनक रूप से यहाँ के तत्कालीन पंचायत सेक्रेटरी को भी बडी ग्राम पंचायत देकर विभागीय अधिकारियों ने अपनी मंशा बता दी कि विभाग के कमाऊ पूतो को बचाने का हर सम्भव कोशिश की जाएगी । शायद यही कारण है कि कार्यवाही न होने की वजह से विभाग में भ्रष्टाचार घटने की बजाय बढ़ रहा है।

कुल मिलाकर सोनभद्र भ्रष्टाचारियों के लिए एक चारागाह बन गया है, मगर अधिकारियों को अब भी उनपर यह भरोसा है कि एक बार मौका देने पर शायद पूर्व की गलतियों को सुधार ले। मगर अधिकारी को शायद यह नहीं पता कि जिन पर वो भरोसा जता रहे हैं, फिर से एक बार वही बेंच घोटाले में उनकी लुटिया डुबो दी है। कहीं ऐसा न हो कि शौचालय घोटाले की जांच उच्च स्तर पर हो जाय और फिर पूरे जिले की लुटिया ही डूब जाय। एक बात तो तय है कि यदि सोनभद्र में शौचालय निर्माण की स्थलीय जांच हो गयी तो यह मनरेगा घोटाले की तरह ही बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

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