Thursday, May 2, 2024
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विस चुनाव 2022 : टिकट की आस में बैठे हैं नेता, माथे पर उभरी चिंता की लकीरें

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सोनभद्र । वैसे तो सोनभद्र जिले का विधानसभा चुनाव सातवें चरण में होना है लेकिन अभी तक प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा अपने सभी प्रत्याशी घोषित नहीं किए जाने से जिले में टिकट की आस लगाए नेताओं व उनके चेलों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचनी लगी हैं और चट्टी चौराहों पर टिकट के दावेदार इन नेताओं के समर्थकों में आये दिन अपने अपने गुट के नेताओं के दिल्ली दरबार तक पहुंच होने के एवज में उनके नेता को टिकट मिलने को लेकर अक्सर बात गाली गलौज से शुरू होकर मार पीट तक पहुंच जा रही है। ऐसे में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में असमंजस कि स्थिति बनी है। किसको विधानसभा पहुंचने का टिकट मिलेगा या किसका कटेगा इसी असमंजस में संभावित प्रत्याशियों का हर दिन बेचैनी से बीत रहा है और उनका ब्लड प्रेशर व शुगर बढ़ता जा रहा है।टिकट के दावेदार इन नेताओं को दो तरफा समस्याओं से जूझना पड़ रहा है जहाँ एक तरफ उन्हें अपने ऊपर की पहुंच से पार्टी व संगठन में टिकट के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर बनते बिगड़ते हालात से जूझना पड़ रहा है वहीं अपने समर्थकों का टेम्परामेंट बनाये रखने के लिए अपनी ही पार्टी के अन्य दावेदार व उनके समर्थकों से पार पाने के रास्तों की तलाश भी करनी पड़ रही है।

यहाँ आपको बताते चलें कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने मजबूती के साथ लड़ रही समाजवादी पार्टी ने दरअसल अब तक सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज, दुद्धी और ओबरा तो वहीं कांग्रेस ने ओबरा, दुद्धी व घोरावल विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दिया है और सपा व कांग्रेस पार्टी के घोषित होने वाले प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्रों में चुनावी मैदान में उतर कर सत्ताधारी दल के संभावित उम्मीदवारों की किलेबंदी प्रारम्भ कर दी है यही वजह है कि जिन भी दलों ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं उन सभी दलों के संभावित उम्मीदवारों व उनके समर्थकों में अब बैचेनी बढ़ती जा रही है।

बताते चलें कि जिले में रॉबर्ट्सगंज सदर, घोरावल, ओबरा और दुद्धी चार विधानसभाएँ है। 2017 के चुनाव में यहां से एनडीए गठबंधन ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें एक अपना दल (एस) और 3 बीजेपी के खाते में गई थी।

यूपी व‍िधानसभा चुनाव 2022 की बात करें तो सत्ताधारी दल बीजेपी का टिकट पाने के लिए भारी भीड़ है। हर विधानसभा से दर्जनों लोगों ने टिकट की मांग कर संगठन के उच्च पदस्थ नेताओं को निर्णय लेने में असमंजस में ला दिया है क्योंकि संगठन के उच्च पदों पर बैठे लोग जानते हैं कि इतनी भीड़ में से जैसे ही किसी एक को टिकट मिलेगा बाकी सभी उसके स्वाभाविक विरोधी की भूमिका में होंगे, ऐसे में उन सब मे से उस कंडीडेट को चुनना जो उन सभी विरोधियों पर मजबूती के साथ विजय पा ले निश्चित ही कठिन निर्णय है यही वजह है कि संगठन को निर्णय लेने में देर हो रही है।इधर टिकट के इंतजार में संभावित उम्मीदवार विधायक बनने का ख्वाब पालकर राजधानी का चक्कर लगाने में जुटे हैं और एक अदद टिकट के जुगाड़ में लगे हैं।

इधर जैसे जैसे समय गुजर रहा है बीजेपी के वर्तमान विधायक भी असमंजस की स्थिति में हैं कि कहीं उनका ही टिकट न कट जाए और उनकी जगह पर किसी दूसरे चेहरे को मैदान में न उतार दिया जाए। इसको लेकर भी उनके व उनके समर्थकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें भी साफ देखी जा सकती हैं।

बीजेपी गठबंधन और एसपी गठबंधन के साथी अपना दल (एस) और अपना दल (कमेरावादी) पार्टी में भी टिकट बँटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। विधानसभा घोरावल की सीट सपा गठबंधन के अपना दल (K) खाते में जाने से खींचतान बढ़ गयी है। सपा के घोषित अन्य उम्मीदवारों के माथे पर भी चिंता की लकीरें हैं कि घोरावल सीट से प्रबल दावेदार रहे पूर्व विधायक को टिकट न मिलने से कहीं उनके विधानसभा क्षेत्र में उनके जाति के वोटरों पर न असर पड़े।

वहीं बीजेपी गठबंधन में भी अपना दल (S) भी रॉबर्ट्सगंज सदर और ओबरा विधान सभा सीट पर नजरे गड़ाए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर यह सीटें गठबंधन के खाते में गई तो ओबरा के विधायक संजीव गोंड़ जो कि समाज कल्याण राज्यमंत्री है उनका क्या होगा? और रॉबर्ट्सगंज से भाजपा विधायक भूपेश चौबे का टिकट भी फंस सकता है।

ऐसे में जब तक टिकटों की घोषणा नहीं हो जाती तब तक असमंजस कि स्थिति बनी रहेगी। यहां बता दें कि टिकटों का इंतजार नेता ही नहीं आम मतदाता भी कर रहे हैं। हर चट्टी चौराहे पर टिकट और चुनाव की ही चर्चा जारी है।

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