ओबरा/सोनभद्र ।सोन नदी के तटवर्ती जनपदों सहित पटना को प्रभावित करने वाले रिहंद एवं बाणसागर बांध के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। इस समय रिहंद बांध अपने अधिकतम जलस्तर क्षमता से थोड़ी ही दूर रह गया है। फिलहाल रिहंद, बाणसागर सहित ओबरा डैम के जलस्तर पर प्रशासन द्वारा लगातार सतर्कता बरती जा रही है।
मानसून में गेट खोलने की संभावना को देखते हुए तकनीकी तैयारी पूरी कर ली गई है। चालू अगस्त माह में अब तक रिहंद का जलस्तर आठ फीट बढ़ चुका है। फिलहाल छत्तीसगढ़ के कोरिया, सूरजपुर, सरगुजा एवं मध्य प्रदेश के सिगरौली जनपदों में बारिश अभी सामान्य ही हो रही है। ऐसे में हालात फिलहाल अभी नियंत्रण में है।
शुक्रवार को रिहंद का जलस्तर 858.6 फीट था जबकि इससे पहले अगस्त माह में रिहंद के गेट खोलने पड़े थे। उधर मध्यप्रदेश के शहडोल स्थित बाणसागर बांध भी अपने अधिकतम से मात्र 4.81 मीटर ही कम है। अगर एमपी के शहडोल, अनूपपुर, कटनी, मंडला, जबलपुर सहित तमाम जनपदों में बारिश ज्यादा हुई तो बांध का जलस्तर अधिकतम तक पहुंच जाएगा। पिछले वर्ष भी बाणसागर बांध के कई गेट खोलने पड़े थे। फाटक खुलने पर सोन नदी पटना के आस पास के इलाके में खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है क्योंकि वहाँ पहले से ही गंगा नदी तबाही मचाये हुए है।
रिहंद और बाणसागर बांध के गेट खुलने पर सोन नदी का जलस्तर खतरनाक हो जाता है। फाटक खुलने पर अमूमन 50 हजार से एक लाख क्यूसेक पानी सोन नदी में पहुंचता है। इसके अलावा सोन नदी में गोपद, बानस, विजुल, कनहर, नार्थ कोयल जैसी नदियों का भी पानी पहुंचता है। जिसके बाद लाखों क्यूसेक पानी इंद्रपुरी बराज से डिस्चार्ज करना पड़ता है और यह पानी पटना से पहले गंगा में मिलता है ,जो पटना में अक्सर बाढ़ का कारण बनता है। बीते 28 जुलाई से एक अगस्त तक हुई भारी बारिश के कारण सोन नदी के जलस्तर में काफी वृद्धि हुई थी। जिसके कारण एक अगस्त को बराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ना पड़ा था। वर्तमान में गंगा का जलस्तर पहले से बढ़ा हुआ है। ऐसी स्थिति में अगर दोनों बांध के खोलने की स्थिति बनी तो पटना के लिए भारी मुसीबत पैदा हो सकती है।