Wednesday, May 1, 2024
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याचिकाकर्ता द्वारा याचिका वापस लेने के बाद भी एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेकर दो बालू की खदानों पर लगाया ब्रेक और 15 करोड़ का जुर्माना भी ठोका

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सोनभद्र । खनन माफियाओ से जल जंगल और जमीन बचाने के लिए सबको आगे आना होगा उक्त बातें पर्यावरण पर काम करने वाले संगठनों की तरफ से अक्सर कही जाती रही है। यहां आपको बताते चलें कि जिस तरह से सोनभद्र की नदियों और जंगलों का दोहन खनन माफिया कर रहे है उससे मानव जीवन पर गंभीर संकट पैदा हो सकता है।आपको बताते चलें कि पृथ्वी पर जितने भी जीव हैं उनके जीवन चक्र के लिए इकोलॉजिकल सिस्टम का सही रहना आवश्यक है परन्तु अंधाधुंध कमाई के चक्कर और खनन माफियाओं के साथ सरकारी अमले के गठजोड़ ने कुछ इस तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू किया कि सोनभद्र का पूरा इकोलॉजिकल सिस्टम ही बिगाड़ कर रख दिया है।

यहां आपको यह भी बताते चलें कि पिछले दो सप्ताह के बीच ही सोनभद्र की सड़कों पर लगातार तीन तेंदुओं की मौत से यह बात तो साबित ही है कि न जाने कितने वन्य जीवों की मौते हुई होंगी जो सामने नही आ पाई होंगी और यह बात साबित करती है कि सोनभद्र का इकोलॉजिकल सिस्टम पटरी से उतर चुका है।पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे सामाजिक संगठनों द्वारा लगातार यह मांग की जाती रही है कि सेंचुरी क्षेत्र से 10 किमी बफर जोन के नियम को लागू किया जाय जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहे ।

यहां आपको यह भी बताते चलें कि सोनभद्र पहले से ही देश का सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र घोषित है परन्तु लगातार वन लगाने और उसे सुरक्षित रखने के बजाय सोनभद्र में नदी और पहाड़ नष्ट किये जा रहें हैं । दोनों बालू खदानों जिनमे लगातार की जा रही इंलीगल माइनिंग के खिलाफ एडवोकेट अभिषेक चौबे ने एन जी टी में याचिकाकर्ता सेंदल परवीन की तरफ से वकील थे ने आज एन जी टी की तरफ से पारित आदेश के बाबत उन्होंने बताया की NGT में सुनवाई के लिए दी गयी एक याचिका में अगोरी किला के पास संचालित दो बालू खनन लीज सुधाकर पांडेय एंड एसोसियेट्स और न्यू इंडिया मिनरल्स को अवैध खनन में संलिप्त पाये जाने और NOC के शर्तों का उल्लघन कर नदी की धारा को अवरुद्ध करने सहित कई अहम मुद्दों पर गंभीरता से लेते हुए सुधाकर पांडेय एंड एसोसियेट पर 8 करोड़ 16 लाख और न्यू इंडिया मिनरल्स् पर 7 करोड़ 8 लाख का जुर्माना लगाया है ।

उन्होंने बताया कि जुर्माने से मिले इन पैसो को प्रभावित क्षेत्र मे पर्यावरण के संरक्षण और विकास के लिए खर्च करना है जिससे हुई पर्यावरण की क्षति की भरपाई की जा सके।उन्होंने बताया कि सुनवाई की निर्धारित तिथि 20 फरवरी को याचिकाकर्ता ने उक्त याचिका को अपनी तरफ से खत्म करने के लिए कोर्ट को प्रार्थनापत्र दिया था जिस पर माननीय न्यायालय ने उनके प्रार्थनापत्र पर सुनवाई कर उनकी तरफ से उन्हें उक्त याचिका से अलग करते हुए उक्त याचिका पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उक्त याचिका की सुनवाई के लिए अभिषेक चौबे को पक्ष रखने का मौका दे दिया और सुनवाई करते हुए सुनवाई की अगली तिथि 3 मार्च तक उक्त दोनों ही खदानो को बंद करते हुए लीज धारकों को अपना पक्ष रखने का आदेश जारी किया तथा उक्त दोनों बालू की साइडों पर भारी भरकम जुर्माना ठोंक यह भी जता दिया कि नियमों का उल्लंघन कर जो भी इकोलॉजिकल सिस्टम पर प्रहार करेगा उसके साथ न्यायालय कठोरता से नियमों का पालन करवाएगा।

यहां आपको यह भी बताते चलें कि एनजीटी के उक्त आदेश के बाद सोनभद्र के खनन क्षेत्र में खलबली मची हुई है और खनन क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त है। एनजीटी के स्वतः संज्ञान में लेकर याचिकाकर्ता के पीछे हटने के बाद भी जिस तरह से अवैध खनन के खिलाफ जिस तरह आदेश पारित कियागया है निश्चित ही उसका असर दूरगामी होगा तथा नियमों को ताक पर रख कुछ खनन व्यापारियों द्वारा जिस तरह से अंधाधुंध खनन कर इकोलॉजिकल सिस्टम को बिगाड़ा जा रहा है उम्मीद है उसमें अवश्य ही सुधार होगा।

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