Friday, April 26, 2024
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नियम कानून ठेंगे पर : आखिर किसकी शह पर बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे जिले भर में बंगाली दवाखाना

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कुछ दिनों पूर्व ही उक्त बंगाली दवाखाना को सीज किया गया था, बड़ा सवाल है कि अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने के बाद आखिर कैसे संचालित होने लगा उक्त क्लीनिक

सोनभद्र। शक्तिनगर थाने से महज चंद कदमों की दूरी पर संचालित बंगाली दवाखाने के लिए सारे नियम कानून माफ हैं क्योंकि अभी कुछ दिनों पूर्व उक्त क्लिनिक को सीज किया गया था पर वह क्लिनिक अब चलने लगा।लोगो की मानें तो उक्त क्लिनिक संचालक के पास बीमारी के इलाज हेतु मानक के अनुरूप कोई भी वैध डिग्री नहीं है पर नियमों को ताक पर रखकर लोगों की जिंदगी के साथ उक्त क्लिनिक संचालक लगातार खिलवाड़ कर रहा है। उक्त तथाकथित डॉक्टर द्वारा सरेआम सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बिना पंजीयन के क्लीनिक खोलकर आए हुए मरीजों को इंजेक्शन लगाना एवं आपरेशन करना कहीं न कहीं किसी बड़े हादसे को दावत दे रहा है।

सूत्रों की माने तो यह डॉक्टर बवासीर व हाइड्रोसील का ऑपरेशन करने का 10 से ₹15 हजार रूपए मरीजों से लेता है। साथ में वह अंग्रेज़ी दवा रखकर मरिजो के सामान्य बीमारी का भी इलाज करता है जिसमे वह मरीजों को अंग्रेजी दवा देता है।मिली जानकारी के मुताबिक आये दिन उक्त डॉक्टर के साथ वहां इलाज कराने आये हुए मरीजों से आए दिन तू तू मैं होता रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि आखिर किसके दबाव में जिले के आला अधिकारी जिनके कंधों पर बिना मानक के चल रहे क्लीनिकों या बिना डिग्री के इलाज कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करने की जिम्मेदारी भी है क्यों नहीं करते हैं कार्रवाई ? आखिर जिले में इतना मजबूत जांच तंत्र होते हुए भी बिना कोई डिग्री व बगैर लाइसेंस के संचालित क्लीनिक पर कार्यवाही नहीं होने को लेकर क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

जानकारी के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य को को लोक स्वास्थ्य के रक्षण का कार्य सौंपा गया है जिसके पालन में 2010 में भारत सरकार के द्वारा रूजोउपचार स्थापना एवं पंजीकरण अधिनियम 2010 लाया गया जिसके तहत किसी भी रूप में किसी भी व्यक्ति के द्वारा चाहे वह सरकारी हो या निजी चाहे वह व्यक्तिगत हो या समूह में, किसी भी प्रकार से बीमारियों का संरक्षण, इलाज, प्रसुतिगृह ,औषधालय,क्लीनिक,सैनिटोरियम,नर्सिंग होम या कोई भी संस्था चाहे किसी भी नाम से , किसी भी मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति में संचालित किया जा रहा हो, उसका पंजीकरण इस अधिनियम के दायरे में लाया गया। इसी के साथ न्यूनतम इलाज प्रोटोकॉल एवं मानक इलाज प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया।इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य यह है कि क्लीनिक एवं नर्सिंग होम खोलने से पहले क्या प्रोटोकॉल पालन किए जाने चाहिए जिससे कि लोगों की स्वास्थ्य की रक्षा हो सके। उक्त पंजीकरण समिति कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित की जाती है । इस अधिनियम के प्रावधान के तहत बाकायदा नेशनल मेडिकल काउंसिल,स्टेट मेडिकल काउंसिल के गठन का प्रावधान किया गया है और जिला स्तर पर भी जिला रूजोउपचार पंजीयन समिति का भी गठन किया गया है। जिसके चेयरमैन जिला कलेक्टर होते हैं और जिसके संयोजक जिला चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी होते हैं जिसके तीन अन्य सदस्य भी होते हैं जिनके द्वारा जिले में संचालित सभी क्लिनिक का बाकायदा पंजीकरण किया जाता है और उनके कार्यालय में जितने भी जिले में पंजीकृत क्लीनिक है उसकी जानकारी होती है और एक रजिस्टर मेंटेन किया जाता है।

इस अधिनियम के मुताबिक संबंधित क्लीनिक और नर्सिंग होम के द्वारा भी एक रजिस्टर मेंटेन किया जाना चाहिए और जब भी सरकार के द्वारा उसकी जानकारी मांगी जाए तब उन्हें सरकार को प्रस्तुत करना आवश्यक है।इस अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है की परमानेंट लाइसेंस क्लिनिको को जारी नहीं किया जाएगा पहले 2 साल का प्रोबेशनरी लाइसेंस जारी किया जाएगा और उक्त 2 साल के प्रोबेशनरी पीरियड में अगर क्लिनिक के द्वारा पूरे नियम कानून का अच्छे से पालन किया जाता है तभी परमानेंट लाइसेंस जारी किया जाएगा। यह परमानेंट लाइसेंस भी हमेशा के लिए नहीं होता है सिर्फ 5 साल के लिए होता है और हर 5 साल के बाद इसे समिति से पुनः रिन्यू करवाना होता है। सुत्रों को माने तो ना ही उक्त बंगाली डॉक्टर का जिले में कोई रजिस्ट्रेशन है ना ही कोई डिग्री है। केवल कुछ तथाकथित अधिकारियों की मिलीभगत से जिले में बंगाली डॉक्टरों के नाम से अथवा खानदानी दवाखाने के नाम पर जिले भर में कई दुकाने कई संचालित हो रही है।

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