सोनभद्र। निदेशक ( प्रशासन ) , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें , उत्तर प्रदेश , लखनऊ ने पत्र लिखकर मुख्यचिकित्साधिकारी सोनभड़त कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक धीरज श्रीवास्तव के विरुद्ध प्रचलित अनुशासनिक कार्यवाही के दृष्टिगत रखते हुये कार्य आवंटन के सम्बंध में निर्देश जारी किये गये हैं कि धीरज श्रीवास्तव , वरिष्ठ सहायक अधीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी , सोनभद्र को वित्तीय / स्थापना एवं संवेदनशील पटल का कार्य आवंटित न किया जाय ।
जिसके क्रम में मुख्यचिकित्साधिकारी ने धीरज श्रीवास्तव , वरिष्ठ सहायक कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पूर्व आंवटित कार्य व पटल परिवर्तित करते हुये पूर्व में उन्हें आवंटित कार्य को उनके अधीन तैनात लिपिकीय संवर्ग के अन्य कार्मिको को कार्य आवंटन आदेश जारी कर दिए हैं।मुख्य चिकित्साधिकारी ने आज के अपने आदेश में वरिष्ठ सहायक धीरज श्रीवास्तव को आवंटित कार्यो में से जितेंद्र अवस्थी प्रधान सहायक को व संजय कुमार सिंह कनिष्ठ सहायक को सौपने के आदेश निर्गत किये हैं।
यहाँ आपको बताते चलें कि पिछले कुछ दिनों से मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय जंग का मैदान बन गया है। ऐसा लगता है कि कार्यालय में तैनात कर्मचारियों में वर्चस्व की जंग छिड़ी हुई है। महत्वपूर्ण पटलो के कार्य को कब्जाने को लेकर छिड़ी इस जंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बाबुओं की कई लॉबी बन गयी है जिसका परिणाम यह है कि पटल उसकी काबिलियत या अनुभव के आधार पर नही अपितु कब कौन सी लॉबी प्रभावशाली स्थिति में है इसके आधार पर आवंटित होती चली आ रही है।
यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जो धीरज श्रीवास्तव का कार्य हटाया गया है वह मुख्यचिकित्साधिकारी ने स्वंय नहीं हटाया है बल्कि उच्चधिकारियों को जब यह बात सज्ञान में आई कि उक्त बाबू के खिलाफ भ्र्ष्टाचार से सम्बंधित विभन्न जांचे विभाग में प्रचलित रहने के बावजूद उन्हें महत्वपूर्ण सम्बेडनशील पटल के कार्य लिए जा रहे हैं तब मुख्यचिकित्साधिकारी को पत्र लिखकर उनके कार्य को हटाने का निर्देश दिया गया जिसके बाद उनके पटल के कार्य को अन्य बाबुओं को आवंटित किया गया है।यहाँ यह बात भी विचारणीय है कि उक्त बाबू के खिलाफ जिले के विभिन्न समाजसेवियों व गणमान्य लोगों द्वारा मुख्यचिकित्साधिकारी को पत्रक देकर यह अवगत कराया जाता रहा कि इन्हें महत्वपूर्ण पटलों के कार्य न दिए जांय पर मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय में तैनात बाबुओं की सशक्त लॉबी के प्रभाव में उन पत्रों पर कभी कार्यवाही नहीं हुई।अब देखने वाली बात यह होगी कि उक्त कार्यवाही के बाद क्या मुख्यचिकित्साधिकारी कार्यालय के क्रियाकलापों में परिवर्तन होता है अथवा वह इसी तरह चलता रहेगा ?