Friday, May 3, 2024
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दशकों तक समाजवादी राजनीति के महत्वपूर्ण नेता रहे शरद यादव का निधन

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद नेता शरद यादव  का निधन हो गया है. राजनीतिक गठजोड़ के माहिर खिलाड़ी शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता है.

नई दिल्ली : शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए और दशकों तक राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई. वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे. वह अस्वस्थता के कारण अंतिम कुछ वर्षों में राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं थे. दिग्गज समाजवादी नेता ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. यादव को दिल्ली में उनके छतरपुर स्थित आवास पर अचेत होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था. यादव 75 वर्ष के थे. शरद यादव की शादी 15 फरवरी 1989 को रेखा यादव से हुई. इन दोनों को एक बेटा और एक बेटी है.

शिक्षा में रुचि रखने वाले शरद यादव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई जबलपुर के विख्यात इंजीनियरिंग कॉलेज से की. इसी कॉलेज में पहली बार उनका सामना राजनीति से हुआ. यह वही दौर था जब देश में छात्र राजनीति उफान पर थी. शरद यादव इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. पढ़ाई को बिना प्रभावित किये वह राजनीति में सक्रिय रहे. उन्हें बीई सिविल में गोल्ड मेडल मिला.

1974 में जब जेपी आंदोलन अपने शीर्ष पर था शरद यादव तब 27 के थे. जय प्रकाश नारायण का आदेश हुआ कि शरद जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ें. इस उपचुनाव में शरद यादव को जीत मिली और वह लोकसभा के सदस्य बन गये. 1977 में वे एक बार फिर से इसी सीट से चुनाव जीते.

लोहिया के विचारों से थे प्रभावित

समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचार प्रभावित रहे शरद यादव ने कई राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया. आपातकाल के दौरान 1969-70, 1972, और 1975 में कई बार जेल गये. शरद यादव ओबीसी की राजनीति के बड़े नेता थे. उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने में भी अहम भूमिका निभाई.

एमपी से उत्तर प्रदेश आए शरद

1978 में शरद युवा लोक दल के अध्यक्ष बन गए. 1981 में शरद यादव की सियासत मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश आ गई. 1980 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. संजय गांधी की मौत के बाद 1981 में अमेठी में उपचुनाव हुआ तो इस चुनाव में शरद यादव राजीव गांधी के खिलाफ खड़े हो गए. इस चुनाव में भी उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा.

मध्य प्रदेश, यूपी और बिहार की राजनीति में थी दखल

शरद यादव 1989 में बदायूं लोकसभा सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते. 1989-90 में शरद यादव टेक्सटाइल और फूड मंत्री रहे. इसके बाद शरद यादव ने अपनी संसदीय राजनीति का सफर बिहार से शुरू किया. शरद यादव बिहार के मधेपुरा सीट से चुनावी दंगल में उतरे और 1991, 1996, 1999 और 2009 में इस सीट से चुनाव जीते. इस सीट से उन्हें 4 बार हार का मुंह भी देखना पड़ा. शरद यादव को शिकस्त दी लालू यादव ने. पहली बार 1998 में और फिर 2004 में. फिर पप्पू यादव ने उन्हें 2014 में हराया. 2019 में शरद यादव जेडीयू के दिनेश यादव से चुनाव हार गये थे.

राष्ट्रीय जनता दल में विलय

यादव 1989 में वी. पी. सिंह नीत सरकार में मंत्री थे. उन्होंने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्य किया. 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव को एक समय उनका समर्थन प्राप्त था. शरद यादव उन प्रमुख समाजवादी नेताओं में से थे जिन्होंने देश की राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ी. बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा 2013 में भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला करने के पहले वह भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे. बाद में उन्होंने अपनी पार्टी गठित की लेकिन स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से राजनीति में उतने सक्रिय नहीं थे. उन्होंने 2022 में अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया था.

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