जनसमस्याओं से जुड़े मुद्दों पर जनप्रतिनिधियों का उपेक्षापूर्ण रवैया व नगरपालिका में रिस्तेदारों के बढ़ते हस्तक्षेप ने विगाड़ दी नगर की सूरत
सोनभद्र।जी हाँ, यह कोई जुमला नहीं अपितु सोनभद्र नगर की हकीकत बयां करती सच्चाई है।आप सोनभद्र जिला मुख्यालय के शहर राबर्ट्सगंज में चाहे जहाँ भी जाना चाहें आपको कीचड़ सनी सड़कें, नालियों का सड़क पर बहता गंदा पानी ,ओभरब्रिज से नीचे झरने की तरह गिरती सड़क की गंदगी,गली मोहल्ले की बजबजाती नालियाँ ही मिलेंगी।
जनता कोसती फिर रही है कि अब किससे करें फरियाद? जब केन्द्र में सरकार भाजपा की, प्रदेश में सरकार भाजपा की, सोनभद्र नगर पालिका परिषद का चेयरमैन भाजपा के, यहाँ के सारे विधायक भाजपा के या उनके सहयोगी दल के, सांसद भाजपा के तब भी जिले की एकमात्र नगरपालिका परिसद का हाल यह है ?और यह हाल तब है जब भाजपा की केंद्र सरकार के मुखिया स्वच्छता का अभियान छेड़े हुए हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की अपील करते रहते हैं।
राबर्ट्सगंज के रहवासियों का कहना है की नगर में पनपती भाई भतीजावाद व दामाद संस्कृति ने नगर को डुबो दिया है।अब नगरवासियों की इस बात में कितनी सच्चाई है इस पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता और यह दामाद संस्कृति क्या है फिलहाल इस पर भी पर्दा है क्योंकि लोग किस अर्थ में यह बात कह रहे हैं यह भी नहीं कहा जा सकता पर यह तो हकीकत है कि नगर पानी पानी जरूर हो गया है।
लोग सोसल मीडिया पर ट्रोल कर रहे हैं कि यदि विकास के सारे कार्य समाप्त हो चुके हों तो ओभरब्रिज से बहते झरने को भी बंद करा दिया जाए।फिलहाल रात से ही हो रही बारिश ने नगरवासियों का पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया । नगर के व्यापारी पूरे दिन दुकान के सामने पानी निकालते दिखे ।
मंडी गेट , इलाहाबाद बैंक से लेकर धर्मशाला चौराहा दीपनगर व सिविललाइंस रोड से आर टी एस क्लब को जोड़ने वाली सड़क सहित पूरे नगर में जलजमाव ने लोगों को घरों में कैद कर दिया । जहां भी जाइए वहां भारी जलभराव से लोग परेशान थे , बाइक व साइकिल सवारों के लिए तो यह बारिश भारी मुसीबत बन गयी ।
हाँ लगता है इस बीच पूरे दिन यदि कोई टेंशन मुक्त दिखा तो नगर पालिका प्रशासन, न चेयरमैन को कोई चिंता न अधिकारी को । क्योंकि उन्होंने तो नाली सफाई सहित अन्य जरूरी कार्यों का लाखों का टेंडर निकालकर अपना काम कर दिया ।अब जनता जाए भाड़ में। सभासदों की स्थिति ऐसी है कि यदि खुद की बात नहीं बनी तो हड़ताल से धरना प्रदर्शन पर उतर जाएंगे , वरना वे लोग जनता की किसी समस्या को लेकर तो कभी आंदोलन करते नहीं दिखे ।