Friday, April 26, 2024
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जनपद के अनूठे अभियान मेरा प्लास्टिक मेरी जिम्मेदारी को भारत सरकार के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने सराहा

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सोनभद्र।
किसी शायर की एक पंक्ति है कि कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों: वातावरण के लिए अभिशाप बन चुकी सिंगल यूज प्लास्टिक जो धीरे धीरे हम सब की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी उससे छुटकारा वास्तव में आसान नहीं था पर वर्तमान जिलाधिकारी की एक अनूठी मिहिम जो जनपद में धीरे धीरे आंदोलन बनती जा रही है को देखकर यही कहा जा सकता है कि असंम्भव कुछ भी नही है बस ईमानदारी ब लगन से कुछ करने की जरूरत है। यहाँ आपको बताते चलें कि मेरा प्लास्टिक मेरी जिम्मेदारी अभियान की शुरुआत जनपद में जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने किया एवं इस अभियान से जनपद के समस्त ग्राम प्रधान एवं पंचायत स्तर के समस्त जनप्रतिनिधियों और नागरिकों से आह्वान किया कि गांव के वातावरण से सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रबंधन के लिए अपने घर पर एक बोरी लगाकर जो भी प्लास्टिक घर में आता है उसको बाहर फेंकने के बजाय उस बोरी में डालें।

सरकार के माननीय मंत्री और जनपद के सभी विधायक जन के द्वारा भी लगातार क्षेत्रों में यह अभियान चलाया जा रहा है और लोगो को जागरूक किया जा रहा है। यह अभियान इस तरह से एक अनूठे अभियान के रूप में आगे बढ़ रहा है जिससे प्रभावित होकर भारत सरकार के पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने इसकी सराहना की तथा अपने पेज पर जनपद के द्वारा किए गए अनूठे प्रयास को स्थान देते हुए पोस्ट किया गया की यह एक तरह का अनूठा अभियान है, जिसके तहत सिंगल यूज प्लास्टिक को रोका जा सकता है ।

ग्राम पंचायतों में यह अभियान एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। लोगो से अपील की जा रही है कि लोग अपने घर के प्लास्टिक उसी बोरी में डालें एवं बाहर न फेंके तथा अब गांव में लोग एक उत्सव की तरह बिखरे हुए प्लास्टिक को बीनकर एकत्रित कर रहे हैं। जनपद का यह अभियान अन्य जिलों को भी प्लास्टिक प्रबंधन के लिए एक रास्ता दिखा रहा है।

आज पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अपने पेज पर जनपद द्वारा किए गए अनूठे प्रयास को स्थान प्रदान कर उत्तर प्रदेश में सोनभद्र का नाम अग्रणी पंक्ति में रखा गया है।
जिला पंचायत राज अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि यह अभियान सतत रूप से सभी ग्राम पंचायतों में चलाया जा रहा है। अभी तक 3000 किलो से अधिक प्लास्टिक ग्राम पंचायतों में इकट्ठा हो चुका है। जिसको डाला सीमेंट फैक्ट्री में निस्तारण हेतु दिया जाना है एवं लगातार गांव में लोगों को समझाया जा रहा है कि लोग प्लास्टिक बाहर न फेंके जिससे कि प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

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