स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से कुकुरमुत्तों की तरह उगे मानकविहीन पैथोलॉजी सेंटर लोगों में बांट रहे मौत
सोनभद्र में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे । आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह सोनभद्र में न सिर्फ लोगों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है बल्कि स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता अथवा चुप्पी की वजह से कुकुरमुत्ते की तरह बाजार में उगे पैथोलॉजी सेंटरों द्वारा लोगों को मौत बांटी जा रही है ।
मिली जानकारी के मुताबिक सीएमओ को सूचना मिली कि बीजपुर क्षेत्र में स्थित प्राइवेट पैथालॉजी सेंटर से की जा रही जांच में बहुतायत में लोगों की मलेरिया पॉजिटिव की रिपोर्ट निकाली जा रही है जबकि सरकारी अस्पतालों में आये मरीजों की जांच में ऐसा कुछ भी प्रतीत नहीं हो रहा।इस लिए प्राइवेट पैथोलॉजी की रिपोर्ट पर संदेह होने तथा उक्त क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में मलेरिया पॉजिटिव निकलने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कम्प मच गया । सीएमओ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए टीम गठित कर उक्त क्षेत्र में जांच टीम को वास्तविक स्थिति की जांच के लिए बीजपुर भेज दिया ।
उक्त क्षेत्र मेबस्वास्थ्य टीम के आने की भनक लगते ही पैथालॉजी सेंटरों के शटर गिरने लगे और लोग भाग खड़े हुए । लेकिन कुछ शिकायतकर्ताओ द्वारा चिन्हित पैथालॉजी सेंटरों पर इन पैथोलॉजी सेंटरों पर छापा मारा गया तो जांच टीम को कई मरीजों की जांच रिपोर्ट हाथ लगी जो बेहद चौकाने वाली थी । जांच रिपोर्ट में जिन् मरीजों को मलेरिया पॉजिटिव दिखाया गया था जब उन मरीजो की रिपोर्ट का मिलान पैथोलॉजी सेंटर के रजिस्टर से किया गया तो वहां मरीज के नाम के आगे रिपोर्ट में कुछ भी नहीं लिखा था । यानी साफ है कि पैथालॉजी सेंटरों से रिपोर्ट मनमाने तरीके से बनाए जा रहे हैं । इस तरह की रिपोर्ट सामने आने के बाद जब टीम के अधिकारियों ने पैथालॉजी संचालक से सवाल पूछना शुरू किया तो संचालक ने चुप्पी साध ली ।
जांच अधिकारियों ने वहां मौजूद पत्रकारों को बताया कि यहां किस तरह मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।बातचीत में मलेरिया अधिकारी ने भी माना कि यदि किसी मरीज को जो मलेरिया पॉजिटिव नहीं है लेकिन रिपोर्ट के आधार पर वह मलेरिया की दवा खा लेता है तो उसके लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है ।
जहां एक तरफ जांच अधिकारी यह मान रहे हैं कि पैथालॉजी सेंटरों से गलत रिपोर्ट बनाई जा रही है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग इन दोषी पैथोलॉजी सेंटरों के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर सिर्फ कारण बताओ नोटिस थमा कर चलते बने। स्वास्थ्य विभाग क्षेत्र में चल रहे अवैध पैथोलॉजी सेंटरों पर कार्यवाही के नाम पर किस तरह बैकफुट पर है इसकी चर्चा पूरे इलाके में है । यहां सवाल यह उठता है कि जब अधिकारी स्वमं यह मान रहे है कि अवैध पैथालॉजी सेंटरों से मौत बांटी जा रही है तो आखिर यह पैथोलॉजी सेन्टर चल कैसे रहे हैं ?आखिर जांच के नाम पर मौत बांटते यह पैथोलॉजी सेंटर किसकी अनुकम्पा पर धड़ल्ले से चल रहे हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग में झोलाछाप डॉक्टरों व पैथोलॉजी सेंटरों की जांच के लिए एक पूरा सिस्टम लगा हुआ है और बाकायदा इसके लिए स्वास्थ्य विभाग में एक नोडल अधिकारी नियुक्त है,इसके बाद भी कुकुरमुत्ते की तरह उगी इन झोलाछाप पैथोलॉजी सेंटरों पर कार्यवाही नही होना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह अवश्य ही उतपन्न करती है।
लोगों का यह भी मानना है कि यदि सीएमओ को इतनी बड़ी संख्या में मलेरिया पॉजिटिव की सूचना न मिली होती तो शायद हुक्मरान इतनी दूर नहीं पहुंचते, और कार्यवाही देख यही लग रहा है कि जांच टीम को मरीजों की जिंदगी बचाने से ज्यादा खुद की नौकरी बचाने की चिंता अधिक है ।
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बहरहाल स्वास्थ्य मंत्री व डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भले भी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बेहतर होने का लाख दावा कर रहे हों मगर सोनभद्र में जिस तरीक़े से अवैध पैथालॉजी सेंटरों की भरमार है और वे मौत बांटने का काम कर रहे हैं ऐसे में उन पर कठोर कार्यवाही न होना कहीं न कहीं प्रशासन पर सवाल खड़े करता है । ऐसे में जरूरत है पैथोलॉजी सेंटरों के साथ उन अधिकारी-कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही करने की जो सरकार की छवि को खराब करने में जुटे हुए है ।