सोन नदी मे बालू खनन रोक लगाने सम्बन्धी एन जी टी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्थगन आदेश
सोनभद्र। सोन नदी मे बालू खनन पर रोक लगाने सम्बन्धी एन जी टी के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्म कालीन बेंच ने ग्रीष्म कालीन अवकाश की छुट्टी के बाद की अगली तिथि तक एन जी टी के आदेश पर अगली सुनवाई तक स्टे दे दिया है जिससे बालू खनन में लगे व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। अवैध खनन से हो रही पर्यावरणीय क्षति के कारण जलीय जीवों के जीवन पर मंडरा रहे खतरे व अन्य पर्यावरणीय प्रभावों से बिगड़ते इकोलॉजिकल सिस्टम की बात पर एनजीटी में लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता अभिषेक चौबे व विकास शाक्य ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष मजबूती से रखा जायेगा। सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है।
श्री शाक्य ने बताया की अभी तक चंद्रशेखर चौरसिया, एन डी फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, वर्धमान कंपनी, मास्टरजीनी सर्विसेज प्रा. लिमिटेड की ओर से एन जी टी के बालू खनन पर रोक वाले आदेश को चुनौती देने वाली अपीलीय याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे, मयंक पांडेय,आशीष कुमार पांडेय ने बहस की जिन्हें सुनने के बाद माननीय न्यायालय ने एनजीटी के सोनभद्र में सोन नदी में बालू खनन पर पूर्ण विराम लगाने सम्बन्धी आदेश पर अगली सुनवाई तक स्थगन दिया है।आगे उन्होंने यह भी बताया कि एनजीटी के पूर्व के आदेश में माननीय उच्चतम न्यायालय ने केवल कुछ बिंदुओं पर स्थगन दिया है बाकी बिंदुओं पर दिया गया आदेश पूर्ववत प्रभावित रहेगा।
विरसामुंडा फाउंडेशन के ओर से अधिवक्ता अभिषेक चौबे ,मनीष तिवारी एडवोकेट, आर के तंवर और निहार रंजन सिंह एडवोकेट ने बहस मे अपना पक्ष रखा। बहस सुनने के बाद न्यायलय ने गर्मी के अवकाश के बाद की अगली सुनवाई तक स्टे दिया है।
अधिवक्ता विकास शाक्य ने कहा कि।कुछ अन्य पट्टा धारको की भूमिका वर्तमान मामले मे अलग है जिससे समानता का लाभ नही मिलेगा। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय से जितने की उम्मीद जताई है।श्री शाक्य ने जिला प्रशासन से उम्मीद जताया है कि यदि सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक सोन नदी में खनन होता है तो पट्टाधारक सेंचुरी क्षेत्र और सोन नदी की धारा को किसी भी प्रकार से अवरुद्ध तथा प्रभावित ना होने दें इसकी पूरी व्यवस्था करेंगे।