एक तरफ सड़को पर लाल कार्पेट बिछा कर स्वागत में फोटो शेसन करा रहे कुछ समाजसेवी तो दूसरी तरफ जंगली रास्तों से सफर कर आ रहे डाक बम कांवरिये
सोनभद्र। सोनभद्र में विजयगढ़ किला से जल लेकर शिवद्वार मंदिर तक हजारों की संख्या में कांवर यात्रा लेकर शिव भक्त सावन में बाबा भोलेनाथ को जलाभिषेक करने आते हैं।कल इस वर्ष के सावन माह का अंतिम सोमवार होने के कारण आज रविवार को शिवभक्तों का विजयगढ़ किले पर जमावड़ा लगा है और वहां से हजारों की संख्या में शिवभक्त कांवर लेकर शिवद्वार के लिए निकले परन्तु किले से कर्माव गांव तक लगभग 10 किलोमीटर तक का सफर कांवरियों को जंगल व पहाड़ी नदियों को पार करके आना पड़ रहा है। आपको बताते चलें कि उक्त जंगली रास्ते पर न कोई यह बताने वाला है कि उन्हें किस रास्ते से गुजरना है जिसका परिणाम है कि जत्थों में निकले कांवरिये जंगलों में बनी पगडंडियों से गुजरते हुए रास्ता भटक जा रहे हैं।इतना ही नहीं जिन जंगली रास्तों से कांवरिये गुजर रहे हैं उन पगडंडियों के दोनों तरफ की झाड़ भी नहीं कटी है जिसकी वजह से उन्हें दुष्वारियों से गुजरना पड़ रहा है।

यहां आपको बताते चलें कि विजयगढ़ दुर्ग से कर्माव गांव तक के जंगली व पहाड़ी रास्ते के बीच पड़ने वाले दुधवा नाले पर इस वर्ष प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण नाले में बहते हुए पानी के कारण कई कांवरिये गिर कर चुटहिल भी हो रहे हैं।स्थानीय लोगों ने बताया कि पूर्व के वर्षों में उक्त नाले पर पुलिस के जवान लगाए जाते थे और नाले के इस पार से उस पार तक मोटा रस्सा बांधा जाता था जिसके सहारे कांवरिये नाले को पार करते थे।परन्तु इस बार उक्त नाले पर प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं है।स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि उक्त नाले को पार करना कभी कभी बड़ा ही खतरनाक साबित होता है क्योंकि अगर थोड़ी भी बरसात हो गई तो उक्त दुधवा नाले में इतना तेज गति से पानी बहता है कि लोगों के उसके साथ बह जाने का खतरा रहता है ऐसे में वहां प्रशासन के लोगों का रहना ठीक होता,पर इस बार की कांवर यात्रा भगवान भरोसे छोड़ दी गई है।

यहां एक बात अवश्य ही देखने को मिली कि जब कांवरिये जल लेकर उन जंगली पहाड़ी रास्तों से निकल मैदानी रास्तों पर बढ़ते हैं और जैसे जैसे शहरों के नजदीक आने लगते हैं तो समाजसेवियों के कुछ जत्थे उन्हें सड़कों पर रोक फलाहार आदि देकर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं पर उनकी यह कोशिश धार्मिक से अधिक फोटोसेशन अधिक प्रतीत होती है।शहरों में लाल कार्पेट बिछा कर कांवरियों के स्वागत में फोटो खिंचवाने से अच्छा होता यदि यह समाजसेवी लोग उन जंगली रास्तों के झाड़ कटवा दिए होते जिससे होकर यह कांवरिए गुजर रहे हैं और उन्हें उन जंगली पगडंडियों पर पथरीली राहों से गुजरते हुए उन झाड़ झंखाड़ से गुजरने को विवश होना पड़ रहा है।