सोनभद्र में चौथे स्तम्भ पर कोल माफियाओं के गुर्गों ने किया हमला, थाने में दी गयी तहरीर
कुछ दिन पूर्व प्रशासन की जांच में सलाइबनवा रेलवे स्टेशन के डंपिंग यार्ड में कोयले की तरह दिखने वाले पत्थर व अन्य सामग्री के मिलने व उस पर कार्यवाही किये जाने के बाद मीडिया में छपी खबरों से बौखलाहट में है कोयले के अवैध कारोबार में लिप्त कोल माफिया,शायद इसी लिए पत्रकारों को डराने के लिए कोल माफियाओं के इशारे पर उनके गुर्गे कर रहे हैं पत्रकारों पर हमला
Sonbhdra news सोनभद्र/यूपी
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में पत्रकारों पर हमले का मामला सामने आया है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सलाइबनवा स्थित रेलवे के लोडिंग प्वाइंट पर कुछ दिनों पूर्व कालाबाज़ारी व अवैध रूप से कोयले में मिलावट कर मिलावटी कोयले के कारोबार पर हुए प्रशासन स्तर पर एक्शन के बाद खबर कवरेज करने गए कुछ पत्रकारों पर कोल माफियाओं की शह पर उनके गुर्गों ने हमला बोल दिया। यहां आपको बताते चलें कि उक्त हमले में एक पत्रकार गम्भीर रूप से घायल है। मामला कालाबाज़ारी और मिलावटी अवैध कोयले के परिवहन से जुड़ा है।
यहां यह बात भी गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व मीडिया में यह खबर आई कि सलाइबनवा रेलवे साइडिंग पर कुछ कोल माफियाओं द्वारा असली कोयले को खुले मार्केट में सप्लाई करने के बाद उसमें कोयले जैसी दिखने वाली सामग्री मिला कर ओद्योगिक प्रतिष्ठानों में सप्लाई कर अकूत कमाई की जा रही है।उक्त खबर को संज्ञान में लेते हुए कुछ दिन पूर्व ही प्रशासन की तरफ से अवैध कोयले व परिवहन के खिलाफ जांच कर एक्शन लिया गया था।
प्रशासन की जांच में इस खबर की पुष्टि हो गयी थी कि सलाइबनवा में कोयले में मिलावट कर असली कोयले को बाजार में पहुंचा कोल माफिया धनार्जन में लगे हैं।जांच के दौरान मिलावट के लिए लाए गए कोयले जैसा दिखने वाला डुप्लीकेट कोयला को मय ट्रकों के थाने में खड़ा कर प्रशासन द्वारा एफआईआर दर्ज करा दी गई है। पत्रकारों की मानें तो आज जब जीरो ग्राउंड पर ताजा हालात क्या है ? और प्रशासन की जांच के बाद की गई कार्यवाही के बाद मिलावट के इस खेल पर कितना विराम लगा है ? की खबर का कवरेज करने कुछ पत्रकार सलाइबनवा गए थे लेकिन खनन माफियाओं को जैसे पता लगा आईडी लगाए कुछ लोग स्टॉक किये गए कोयले का वीडियो बना रहे है वैसे ही कोल माफियाओं के आदेश पर उनके गुर्गों ने घेराबंदी शुरू कर दी। चारों तरफ से पत्रकारों की नाकाबंदी कर दी गई और गाली गलौच का सिलसिला मारपीट तक पहुँच गया।
हॉस्पिटल में भर्ती घायल पत्रकार सत्यदेव ने बताया कि, कुछ दिन पूर्व हुए कोयले की जांच प्रशासन स्तर पर हुई थी जिसमे सलाइबनवा रेलवेस्टेशन के कोल लोडिंग प्वाइंट पर कोयले में मिलावट के लिए लाए गए छाई, ग्रेनाइट पत्थर सहित कुछ अन्य खनिज जो कोयले जैसा दिखाई देता है पर कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उसी मामले में हम साथी पत्रकार ग्राउंड रिपोर्टिंग करने सलाईबनवा गए हुए थे। हम सभी सलाईबनवा स्टेशन के नजदीक पहुंचे ही थे कि चारों तरफ से कोल माफियाओं के गुर्गों ने हमे घेर लिया। हम सब किसी तरह डंपिंग यार्ड के उस पार सलाईबनवा स्टेशन पहुँचे की हमे रेलवे विभाग के लोगों का संरक्षण मिल सकता है। लेकिन माफियाओं के बेखौफ गुर्गों ने हम चारों को स्टेशन के अंदर भी घेर लिया और बातों में उलझाकर पीछे से हमला कर दिया। लगभग 50 की संख्या में गुर्गों ने गाली देना चालू किया। किसी तरह हमलोग बचकर रेलवे स्टेशन परिसर से निकले और चोपन की तरफ आने लगे तब भी उन लोगों ने हमलोगों की गाड़ियां रुकवाई और पथराव किया।
सत्यदेव पांडेय ने बताया कि, पत्रकारों पर हुए हमले की लिखित शिकायत चोपन थाने में दे दी गई है। हालांकि साथी पत्रकार द्वारा रेलवे परिसर में हुए हमले के मामले में जब शिकायत देने की कोशिश की गई तो रेलवे प्रशासन ने मामले से ही पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर हमला करने वाले दोषियों के खिलाफ शख्त कार्रवाई हो जिससे आने वाले समय में खबर कवरेज में बाधा डालने वाले समाज विरोधी तत्वों में संदेश जाए कि पत्र प्रतिनिधियों पर हमला करना उनके हित में नहीं है।
खैर जो भी हो यह घटना यह बताने के लिए काफी है कि कोयले के काले कारोबार से जुड़े कोल माफियाओं को कानून का कोई ख़ौफ़ नहीं रह गया है और उनके एक इशारे पर उनके बेख़ौफ़ गुर्गे किसी पर भी हमला बोल उसे धराशायी कर सकते हैं।यह तो संयोग अच्छा था कि पत्रकार सही सलामत अपने घर लौट आये हैं वरना इतिहास गवाह है कि कई बार कोल अथवा तेल माफियाओं ने जो भी उनके कार्य मे टांग लड़ाई उसे यमलोक का रास्ता दिखा दिया। कोल माफियाओं के हमले में घायल पत्रकार सत्यदेव पांडेय ने कहा कि, जिस तरह से कोयला कारोबार से जुड़े लोगों के इशारे पर उनके गुर्गे उन लोगों पर हमलावर थे उनके व साथी पत्रकार भाइयों के साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती थी।
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यहां आप सब को बताते चलें कि, खनिज संपदा से भरे सोनभद्र जिले में किसी भी तरह का खनन हो उसमे बड़े पैमाने में अवैध खनन का खेल खेला जाता है और इस खेल में तो कुछ ऐसे सफेद पोश लोग सम्मिलित होते हैं जिनकी पहुंच सत्ता प्रतिष्ठान के बहुत ऊपर तक होती है और यही वजह है कि उनके इस खेल पर जल्दी कोई आंख उठा कर नहीं देखता। ऐसे में अदने से पत्रकारों की क्या बिसात जो उनके इस बेख़ौफ़ खेल में दखलंदाजी करने की हिमाकत कर बैठे ? चूंकि पत्रकारों ने ही उनके इस खेल को उजागर कर दिया था जिसके कारण प्रशासन को भी दिखावे के लिए ही सही कुछ कार्यवाही करने पर मजबूर होना पड़ा।शायद यही वजह है कि पत्रकारों से चिढ़े कोल माफियाओं के गुर्गों ने पत्रकारों पर धावा बोल दिया। फिलहाल यह सोचना कि उक्त कोल माफियाओं से जुड़े पत्र प्रतिनिधियों पर हमला करने वाले कोल माफियाओं के गुर्गों पर पुलिस कोई कारगर कार्यवाही करेगी,बेमानी होगी।
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यहां सवाल यह उठता है कि पत्रकार आखिर वहाँ का वीडियो अथवा फोटो ले लेता तो उन लोगों पर कौन सा पहाड़ टूट पड़ता ? आखिर वहां ऐसा क्या है जिसे कोल माफिया छुपाना चाहते हैं ?यदि वहां सब कुछ सही है तो फिर कोल माफियाओं के गुर्गे पत्र प्रतिनिधियों को वहाँ का वीडियो अथवा फोटो लेने से क्यों रोक रहे हैं ?आखिर कोल माफिया क्या छुपाना चाहते हैं ?यहां यह तो स्पष्ट है कि सलाइबनवा रेलवेस्टेशन के कोयला लोडिंग प्वाइंट पर कुछ तो ऐसा जरूर हो रहा है जिसे कोल माफिया नहीं चाहते कि उनकी उक्त गतिविधि समाज के सामने आए।