सोनभद्र।उत्तरप्रदेश सरकार चाहे यह लाख दावे कर रही हो कि प्रदेश में कानून का राज कायम हो चुका है और कानून सबके साथ विधिक प्रक्रिया में निहित प्राविधानों के अनुरूप ही व्यवहार कर रहा है पर वास्तविकता के धरातल पर सब कुछ लगता है कि ठीक नहीं चल रहा है।यहां आपको बताते चलें कि यह भी हो सकता है कि पुलिस विभाग में ऊपर के अधिकारी सब कुछ ठीक करने की कोशिश में सच्चे मन से लगे हों पर नीचे सब कुछ उनके मुताबिक ही वैसा ही चल रहा हो जैसा कि उच्चाधिकारियों की मंशा है यह कह पाना सम्भव नहीं है ।जैसा कि पहले से चलता आ रहा है और यह पुलिस विभाग के लिए स्थापित सत्य है कि जो कोई भी पुलिस की व्यवस्था में बाधा उतपन्न करने का प्रयास करेगा उसे अंजाम भुगतने को तैयार रहना होगा लगता है कि यह मिथक निकट भविष्य में टूटने वाला नहीं है।

यहां आपको अधिवक्ता पप्पू सिंह की जुबानी बताते चलें कि बीते गुरुवार को शाम के करीब 4 बजे की घटना है ,कोतवाली सदर क्षेत्र के नगर पालिका राबर्ट्सगंज के वार्ड उरमौरा उत्तरी के निवासी इंद्र कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह के जमीन पर एक व्यक्ति किराएदार के रूप में गाडियों का गैराज खोलकर अपनी आजीविक चला रहा था जो कुछ महीनों से अपना गैराज बन्द कर कहीं अन्यत्र चला गया था। इसके बाद उक्त पप्पू सिंह जब उससे किराया की मांग करते तो उक्त मैकेनिक द्वारा उन्हें यह कहा जाता रहा कि जल्द ही मैं अपने गैराज के समान को बेचकर आपका किराया दे दूंगा,बीते गुरुवार की शाम को जब इंद्र कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह जो पेशे से अधिवक्ता भी हैं, कचहरी से घर आये तो देखा कि उक्त गैराज के समान को एक कबाड़ी ट्रक पर लोड करवा रहा है तो इन्होंने कहा कि उक्त समान तुम किससे पूछ कर अपनी ट्रक में लोड करवा रहे हो ? तब उक्त माल को लोड करवाने वाले कबाड़ी ने उन्हें बताया कि जिसका समान है उन्हीं के कहने पर मैं सामान को लोड करवा रहा हूँ आपको जो भी कहना है उनसे बात करिए,कबाड़ी के यह कहने पर उक्त अधिवक्ता पप्पू सिंह ने कबाड़ी से कहा कि मेरी जगह का किराया बकाया है मैं बिना किराया दिए इस सामान को नहीं ले जाने दूंगा।जिसने तुमको यह सामान बेचा है या तो उसे बुला लो या जो मेरा किराया है उसे दे कर यह सामान ले जाओ।इतना सुनते ही उक्त कबाड़ी ने पुलिस को फोन कर वहां से गायब हो गया और कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंची और उक्त कबाड़ लदी हुई ट्रक और उक्त अधिवक्ता पप्पू सिंह को भी कोतवाली ले आयी और अधिवक्ता को पुलिस लॉकप में डाल दिया।

पुलिस के इस कार्य से कई ऐसे सवाल खड़े होते हैं जिसका जबाब तो फिलहाल आने वाले समय मे ही मिल पायेगा पर पुलिस की यह कार्यप्रणाली जरूर सवालों के घेरे में है कि जब एक अधिवक्ता को इस तरह बिना किसी कारण पुलिस लॉकप में रख सकती है तो आम नागरिक के साथ उसका व्यवहार कैसा होगा ? मिली जानकारी के मुताबिक आज दोपहर जब बार एशोसिएशन के लोगों व कुछ पत्र प्रतिनधियों द्वारा यह बात पुलिस के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लायी गयी तो आनन फानन उक्त अधिवक्ता को लगभग 20 घण्टे पुलिस के लॉकप में रखने के बाद छोड़ दिया गया।

अब सवाल फिर वही है कि जब उक्त अधिवक्ता का कोई दोष नहीं था तो उसे इतने समय तक पुलिस ने लॉकप में क्यों रखा ? यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि कबाड़ी के अनैतिक कार्य मे बाधा उत्पन्न करने वाले अधिवक्ता को तो पुलिस रात भर लॉकप में रखती है पर उक्त कबाड़ी को आखिर कोतवाली में क्यों नहीं बुलाया जा सका ?इससे एक बात तो साफ है कि कबाडियों की तरफ जो भी उंगली उठाएगा उसे गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।आप खुद ही सोचिए जब एक अधिवक्ता को कबाड़ी के कार्य में रुकावट डालने पर अपनी रात पुलिस के हवालात में गुजारनी पड़ सकती है तो आम आदमी इन कबाड़ियों का विरोध किस तरह कर पायेगा ?

ऐसा प्रतीत होता है कि पप्पू सिंह अधिवक्ता थे और जब पुलिस को यह लगने लगा कि बात उच्चाधिकारियों तक पहुंच गई है और यदि जल्दी ही उन्हें लॉकप के बाहर नहीं किया तो मामला उल्टा पड़ सकता है शायद इसलिए भी उन्हें पुलिस ने छोड़ दिया पर क्या आम आदमी के साथ भी पुलिस ऐसा करती ?यदि नही तो आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं कि यह कबाड़ का धंधा करने वाले इतने बेख़ौफ़ क्यूँ हैं ?अब आप खुद ही सोचिए कि आखिर कबाड़ियों के साथ पुलिस का यह रिश्ता क्या कहलाता है ?