धर्मसोनभद्र

विजयदशमी के मौके पर राबर्ट्सगंज नगर की रामलीला में 9 सिर वाले रावण का किया गया दहन

सोनभद्र। विजय दशमी के अवसर पर जनपद सोनभद्र के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज के रामलीला मैदान पर 9 सिर वाले रावण का दहन किया गया। यही नहीं रामलीला के मंचन में युद्ध कर रहे रावण का भी 9 सिर था। आखिर शाश्वत सनातन धर्म की अखण्ड विजयदशमी पर्व की नूतन परम्परा में आखिर कौन बदलाव लाना चाहता है ? इतनी बड़ी भूल रामलीला आयोजक समिति कैसे कर सकती है? सनातन धर्म एवं संस्कृति के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ आखिर कौन कर सकता है ?

दुनिया में हर जगह 10 सिर वाले रावण के पुतले का दहन किया जाता है। बच्चे बच्चे के मन मस्तिष्क पर दशानन का दस सिर का रूप दर्ज़ है। लंकेश्वर को दस सिर के कारण ही दशानन कहा जाता है। परंतु इसके बाद भी रामलीला कमेटी ने इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे कर दी?

बताते चलें कि हर साल की भांति इस बार भी राबर्ट्सगंज रामलीला मैदान में भव्य रामलीला का मंचन किया गया। जब रावण वध का समय आया तो सब की आंखे हैरत से फटी रह गई। दशानन के स्थान पर आयोजन समिति ने 9 सिर वाले रावण यानी नवानन का पुतला दहन कर दिया।

स्मरण रहे कि लंकाधिपति रावण के कुनबे में एक लाख पुत्र सवा लाख नाती थे। परंतु इनमें से कोई भी 9 सिर वाला नहीं था। फिर आखिर रामलीला कमेटी 9 सिर वाले रावण का कंसेप्ट कहां से लेकर आया ? आखिर धर्म को हास परिहास का विषय बनाने की इजाज़त समिति को किसने प्रदान की?लोकतांत्रिक सम्प्रभु भारत में धर्म के साथ खिलवाड़ करने की इजाज़त किसी को नहीं है। फिर आखिर आयोजन समिति ने इतना बड़ा कदम कैसे उठाया ? राम रावण युद्ध मंचन के समय रावण का किरदार 10 सिर का न होकर 9 सिर का था। आखिर 9 सिर वाले रावण की परम्परा की शुरुआत की वजह क्या हो सकती है? समय की शिला पर खड़ी जनता पूंछ रही है आयोजन समिति से। रावण युद्ध के समय राम से युद्ध करता 9 सिरों वाला रावण कौतूहल का विषय बना रहा।9 सिर वाले रावण के पुतला दहन के दौरान सदर विधायक भूपेश चौबे, एएसपी कालू सिंह, सदर एसडीएम रमेश कुमार यादव, सीओ सिटी राहुल पांडेय मौजूद रहे। मगर पुतला दहन करते वक्त इन लोगों ने भी इतनी गम्भीर ख़ामियों पर ध्यान नहीं दिया।श्रुति के अनुसार रावण के पास 9 मणियों की माला थी। जिसे उसकी माँ ने दिया था। इससे वह दस सिर होने का भ्रम पैदा करता था। काम, क्रोध,लोभ, घृणा, पक्षपात मोह, द्वेष, अहंकार, व्यभिचार और छल यह सभी रावण के दसों शीश के अर्थ हैं। आयोजकों ने इनमें से एक का दहन नहीं किया। पुतला दहन के अवसर पर नगर के गणमान्य व्यक्तियों समेत रामलीला कमेटी के सदस्य व बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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